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18 अप्रैल 2021

तो अब तू ही (इनसे) बदला ले तो हमने मूसलाधार पानी से आसमान के दरवाज़े खोल दिए

तो अब तू ही (इनसे) बदला ले तो हमने मूसलाधार पानी से आसमान के दरवाज़े खोल दिए (11)
और ज़मीन से चश्में जारी कर दिए, तो एक काम के लिए जो मुक़र्रर हो चुका था (दोनों) पानी मिलकर एक हो गया (12)
और हमने एक कश्ती पर जो तख़्तों और कीलों से तैयार की गयी थी सवार किया (13)
और वह हमारी निगरानी में चल रही थी (ये) उस शख़्स (नूह) का बदला लेने के लिए जिसको लोग न मानते थे (14)
और हमने उसको एक इबरत बना कर छोड़ा तो कोई है जो इबरत हासिल करे (15)
तो (उनको) मेरा अज़ाब और डराना कैसा था (16)
और हमने तो क़ुरआन को नसीहत हासिल करने के वास्ते आसान कर दिया है तो कोई है जो नसीहत हासिल करे (17)
आद (की क़ौम ने) (अपने पैग़म्बर) को झुठलाया तो (उनका) मेरा अज़ाब और डराना कैसा था, (18)
हमने उन पर बहुत सख़्त मनहूस दिन में बड़े ज़न्नाटे की आँधी चलायी (19)
जो लोगों को (अपनी जगह से) इस तरह उखाड़ फेकती थी गोया वह उखड़े हुए खजूर के तने हैं (20)

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