और समूद को भी ग़रज़ किसी को बाक़ी न छोड़ा (51)
और (उसके) पहले नूह की क़ौम को बेशक ये लोग बड़े ही ज़ालिम और बड़े ही सरकश थे (52)
और उसी ने (क़ौमे लूत की) उलटी हुयी बस्तियों को दे पटका (53)
(फिर उन पर) जो छाया सो छाया (54)
तो तू (ऐ इन्सान आखि़र) अपने परवरदिगार की कौन सी नेअमत पर शक किया करेगा (55)
ये (मोहम्मद भी अगले डराने वाले पैग़म्बरों में से एक डरने वाला) पैग़म्बर है (56)
कयामत क़रीब आ गयी (57)
ख़ुदा के सिवा उसे कोई टाल नहीं सकता (58)
तो क्या तुम लोग इस बात से ताज्जुब करते हो और हँसते हो (59)
और रोते नहीं हो (60)
और तुम इस क़दर ग़ाफि़ल हो तो ख़ुदा के आगे सजदे किया करो (61)
और (उसी की) इबादत किया करो (62) सजदा
सूरए अन नज्म ख़त्म
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