आपका-अख्तर खान

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16 अप्रैल 2021

यक़ीनन हमारे देश की सियासत , मतलबपरस्त है , ज़ालिम है , और हमारे देश के कुछ अपवादों को छोड़ कर सभी लीडर ,, जल्लाद , सिर्फ जल्लाद है

यक़ीनन  हमारे देश की सियासत , मतलबपरस्त है , ज़ालिम है , और हमारे देश के कुछ अपवादों को छोड़ कर सभी लीडर ,, जल्लाद , सिर्फ जल्लाद है ,, जी हाँ दोस्तों , हम इनके पिछलग्गू , देश की राष्ट्रभक्ति के नाम पर , देश के स्वीकारित गद्दार हैं , हम देश , देश की जनता के साथ नहीं , हमे तो सिर्फ हमारा लीडर चाहिए , हमारी पार्टी चाहिए , कुर्सी चाहिए ,पद चाहिए और मज़े चाहिए ,, देश संकट में हो , देश पर हमले हों , बिमारी हो , महामारी हो ,, हमे देश से देश की जनता से कोई वास्ता नहीं , हमे सिर्फ सियासत , सियासत , कुर्सी ,, कुर्सी चाहिए ,, देश में  कोरोना संकट ,, लाखों बीमार ,,हज़ारों हज़ार मौतें , लेकिन हम सियासत से बाहर नहीं निकले , कोरोना फिर लौटकर आएगा , हमने ,, इसका एडवांस प्रबंध नहीं किया , हमारी सरकारों ने ,प्रधानमंत्री ने , मुख्यमंत्रियों ने , आम जनता से ,, देश के लोगों से , कोरोना टेक्स , पेट्रोल डीज़ल टेक्स से , कोरोना फंड के अलावा , अरबों अरब रूपये जमा तो किये , लेकिन हमारे देश की जनता को यह जानने का भी हक़ नहीं , के कोरोना फंड में कितने हज़ार करोड़ रूपये है , किस मद में कितने रूपये खर्च किये ,, भाड़ में गया सूचना का अधिकार ,भाड़ में गया हमारे संविधान में , जानने का अधिकार , हमारी कोर्ट्स , सुप्रीमकोर्ट , चुनाव आयोग , सूचना आयोग , लोकपाल , पत्रकार ,सभी तो इस अपराध में खुलकर शामिल है , हम तो इस अपराध को दिन प्रतिदिन समर्थन देकर ,बढ़ावा देने के ज़िम्मेदार हैं , क़ुदरत , ईश्वर ,भगवान , अल्लाह ,वाहेगुरु , क्यों नाराज़ ना हो हमसे , हमे  मंदिरों के लिए  मस्जिदों के लिए लड़ते है ,, मंदिर में पानी पीने पर बवाल खड़ा करते हैं , चंदे करते है , बढ़ी बढ़ी मज़हबी इमारतें बनवाते है , ऐसी ,, वगेरा लगवाते है , लेकिन कहाँ है अब , खुदा नाराज़ है ,  भगवान नाराज़ है , नमाज़ घर पर पढ़ो , पूजा घर पर पढ़ो , लेकिन , जब तुम बीमार हो ,, तो अस्पताल कहाँ है ,डॉक्टर कहाँ है ,, अस्पताल की सुविधाएँ कहाँ है , ना डॉक्टर्स , न नर्सिंग स्टाफ , ना जांच के उपकरण , ना ऑक्सीजन , ना अस्प्ताल के बेड ,,  जाँच की सुविधाएँ नहीं , इंजक्शन नहीं , दवाइयां नहीं ,, डॉक्टर्स का इलाज को लेकर कोई रिसर्च नहीं सिर्फ अन्दाज़ा , अंदाजा , जी गया तो जी गया , मर गया तो मर गया , ,लोकडाउन , कर्फ्यू ,, भी तमाशा बना दिया , ज़रा पूँछिये तो सही हिम्मत तो दिखाइये , प्रधानमंत्री महोदय ,, ग्रह मंत्री महोदय ,, चिकित्सा मंत्री महोदय ,, आपने , पुरे एक साल क्या प्रबंधन ,किया एडवांस खतरे की बार बार घंटियां बजाने पर भी आपके इंतज़ामात क्या थे , आपका दिमाग देश के साथ , देश की जनता के साथ नहीं था , आप सरकारें गिराने , सरकारें बनाने में लगे थे ,, आप चुनाव के धुआंधार प्रचार में बिना मास्क , बिना सोशल डिस्टेंसिंग ,, कोरोना गाइड लाइन के खिलाफ खुलकर शामिल थे ,, देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने क्या किया , वर्चुअल , वर्चुअल , बैठकें ,, तीन पॉकेट धर्मगुरु , दो ,पॉकेट समाजसेवक , , दो युवा , दो महिलाये , दो प्रशासनिक अधिकारी ,,बस  विडिओ कॉन्फ्रेंसिंग ,,  दिखावा , झूंठी वाह वाही ,, और हम खामोश , हमारा नेता , हमारी पार्टी ज़िंदाबाद ,, कैसे हम देश के मूल्यौं के साथ समझौता करके गद्दारी करते है , ,देश में आतंकवादी घटना होती है ,, हम उसी पर वोट मांगते है ,, उसी पर चुनाव जीत जाते है , उसी घटना पर वोट दे देते है , कोई भी सवाल नेताओं से  पूंछो तो जवाब में हिन्दू , मुस्लिम , पाकिस्तान , मंदिर , मस्जिद , धर्म , मज़हब , अजीब है हमे लोग , कहते खुद को राष्ट्रभक्त है , और हरकतें हमारी सारी देश को खोखला करने वाली हैं , देश के साथ गद्दारी करने वाली हैं , क्या प्रधानमंत्री , राज्यों के मुख्यमंत्रियों का कतर्व्य , आने वाले खतरे की लगातार घंटियों के बाद ,, संभावित तय्यरियाँ , करने का नहीं ,था  , विशेषज्ञ चिकित्सकों के ज़रिये ,, पूर्व रोकथाम की तैय्यारियाँ करना नहीं था , अस्पतालों में बेड बढ़ाना , जांच व्यवस्थाएं बढ़ाना ,, जांच की मशीने लगाना ,  कर्मचारियों को नियुक्त करना ,, दवाये , आई सी यू , बाइपैथ , ऑक्सीजन , वगेरा के इंतिज़ाम , करके रखना , हमारे इन नेताओं की ज़िम्मेदारी नहीं थी ,, अगर ऐसे विकट हालातों में भी यह लोग बिना मास्क के चुनाव प्रचारों में जुटे रहे , तेरी  ,, मेरी , हिन्दू , मुस्लिम , करते रहे , तो यह देश के गद्दारों से भी बढ़कर गद्दार है ,, देश की जनता की हिफाज़त हमने इनके हाथों में सौंपी है , और यह देश की जनता के अरबों अरब रूपये कोविड के नाम पर एकत्रित करके भी , देश की जनता को सिर्फ , सिर्फ मोत बाँट रहे है , वोह भी इलाज के बाद नहीं , इलाज के अभाव में अस्पतालों में जगह नहीं , इलाज नहीं ,, दवाएं नहीं , शमशानों , क़ब्रिस्तानों में जगह नहीं  , कोन है इसके ज़िम्मेदार , हम , हमारे यह नेता ,जिनकी हम रोज़ आपस में एक दूसरे को कोस कर , एक दूसरे से गाली गलोच कर , हिन्दू मुस्लिम , पाकिस्तानी , जेहादी ,,कटटरपंथी करके , जय जयकार करते है , क्या यह नेता जय जयकार के लायक है  ,  क्या इन नेताओं ने ,धन ,, सुविधाएं होने के बाद भी ,  अपने राजधर्म का पालन नहीं किया है ,, अगर नहीं तो दोस्तों सिर्फ एक हफ्ते के लिए , तुम ओरिजनल राष्ट्र्भक्त बन जाओ , हिंदुस्तानी बन जाओ , इन लबरगुट्टों से आज़ादी के सिपाही बन जाओ , न पार्टी , न नेता , न भाईसाहब , कुछ नहीं सिर्फ देश के लिए क्या ज़रूरी है , देश के विकास के लिए ,सुविधाओं के लिए क्या ज़रूरी है , अपने इन लबरगुट्टों का गिरेहबान पकड़कर हमे इन्हे समझाना ही होगा , जय जय कार बंद करो , वरना इनके पास बिमारियों का इलाज नहीं , सिर्फ लोकडाउन ,ब्रेक डाउन , टेक्स ,, वसूली , पाबंदियां , गिरफ्तारियां , सड़कों पर पिटाई , अपमान ,, ,घरों में क़ैद लोगों की भुखमरी के सिवा , कोई इलाज नहीं  है  , , इन्हे समझो  ,  खुद को बदलो ,,  क्या हिम्मत है , निष्पक्ष रहकर ऐसे नेताओं से सवाल करने की , ,अगर नहीं  , तो फिर कीड़े मकोड़ों की तरह हमे यूँ ही तड़प तड़प कर मरना होगा , हमारे अपनों को मरते हुए देखना होगा , सिसकना होगा ,, ,अभी भी हम सम्भल सकते है , हमारे कर्तव्यों के साथ , सोशल डिस्टेंसिंग , कोरोना गाइड लाइन की पालना , मास्क ,, सेनेटाइज़ के साथ ,  हम खुद को खुद के परिजनों को पाबंद करें ,, कवारेन्टाइन की पालना करें ,, लेकिन ,, निजी अस्पतालों  की लूट ,  सरकार द्वारा ऐसे नौसिखिये निजी  अस्पतालों की मान्यता  , अनुभवहीन चिकित्सकों से इलाज ,, कोविड फंड का अब तो इलाज के लिए , व्यवस्थित तरीके से हो , आई सी यू , मुफ्त इलाज , दवाएं , जांचें , जांच मशीनें , डॉक्टर्स , बेड्स , वेंटिलेटर्स   ,,  कोरोना किट , तो उपलब्ध हों , जयपुर सवाई मानसिंग अस्पताल के , फेफड़ों के संक्रमण के विशेषज्ञ ,,  अजीत सिंह से फार्मूला पूंछकर , उसे दूसरों  को भी  तो सिखाये , के आखिर वोह , मरीज़ को फेफ़ड़ों के गंभीर संक्रमण के बाद भी , कौन सी दवाये देते है , ,घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर लगवाकर , मरीज़  को उनकी दवाओं से वोह कैसे उन्हें तंदरुस्त कर रहे है ,, इस बारे में ,  डॉक्टर अजीत सिंह से , उनके इलाज फार्मूले पर चर्चा करके , क्या हर ज़िले , देश के हर राज्य के मरीज़ों को इसका लाभ  नहीं मिलना चाहिए ,, कोशिश तो होना चाहिए , हो सकता है ,,  सिम्पटम्स अलग हो , हो सकता है ,, कोरोना संक्रमण अलग हो , लेकिन  इनकी विशेषग्यता पर , विचार तो होना ची चाहिए ,,,  ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

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