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11 मार्च 2021

पत्रकारों के लिए कभी संघर्ष ,, प्रशिक्षण , सेमिनार , मीट दी प्रेस , का गवाह बने , कोटा प्रेस क्लब , भवन में इन दिनों , खुद के ही अस्तित्व , विधि , विधान , कोष , उलंग्घन मामले में ,, आपसी खींचतान शुरू हो गयी है

पत्रकारों के लिए कभी  संघर्ष ,,  प्रशिक्षण , सेमिनार , मीट दी प्रेस  , का गवाह बने , कोटा प्रेस क्लब , भवन में इन दिनों , खुद के ही अस्तित्व , विधि , विधान , कोष , उलंग्घन मामले में ,,  आपसी खींचतान शुरू हो गयी है , एक तरफ साधारण सभा के नाम पर , सर्वसम्मति से फिर से उसी कार्यकारिणी को दुबारा निर्वाचन का प्रचार प्रसार कर खुशियां मनाई जा रही है , तो दूसरी तरफ , इसी प्रेस क्लब भवन के नींव की ईंट बने , संस्थापक सदस्यों को इस प्रेस क्लब को बचाने के लिए अब संघर्ष करना पढ़ रहा , है  प्रेस क्लब में आम सभा के नाम पर ,, कथित सर्वसम्मत चुनाव चयन , मामले को रद्द करने की मांग को लेकर ,, संस्थापक सदस्यों ने ,, कोटा जिला कलेक्टर तक का दरवाज़ा खटखटा डाला है ,, उनका कहना है  , प्रेस क्लब के संविधान से बढ़कर कोई नहीं और संवैधानिक प्रावधानों के उलंग्घन पर दोषी लोगों को सज़ा मिलना ही चाहिए ,,  कोटा प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्यों में , पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रद्युम्न शर्मा , श्याम रोहिरा , के एल जैन , सुनील माथुर , धीरज गुप्ता तेज ,  सहित सभी पत्रकार साथियों ने इस मामले में , 9 मार्च को आयोजित साधारण सभा ,, में खुद के द्वारा खुद को ही सर्वसम्मति बताकर चुन लिए जाने को हास्यास्पद ,, संविधान विरुद्ध क़रार देते हुए इस मामले में जांच कर कार्यवाही की मांग की है , सभी जानते है ,  1976 में स्थापित प्रेस क्लब कोटा के लिए संस्थापक सदस्य भंवर शर्मा अटल ,,सहित कुछ सदस्यों ने , नगर विकास न्यास से भूखंड आवंटित करवाया था , फिर इन सदस्यों ने तात्कालिक रूप से नगर निगम कोटा से केनाल रोड स्थित ,, फायर ब्रिगेड ,,कार्यालय में , एक हॉल ,, प्रेस क्लब कार्यालय के लिए आवंटित करवाया था  ,,, सदस्यों की एकजुटता ,, सदस्यों द्वारा किये गए आर्थिक सहयोग , संस्थाओं सहित दानदाताओं से घर घर जाकर मदद लेकर , इस प्रेस क्लब भवन को खड़ा किया गया ,, प्रेस क्लब कोटा में सदस्यों की राशि के अलावा ,, नगर निगम , नगर विकास न्यास ,, सांसद कोष , विधायक कोष , राजयसभा सांसद कोष से निर्माण सहयोग है ,, जो शुद्ध रूप से सरकारी व्यवस्था के तहत है ,, इस भवन में स्थापित प्रेस क्लब कोटा , के संचालन , इसकी निधि ,  इसके कोष , इसके चुनाव मामले में ,, विधि नियम बने हुए है , प्रेस क्लब कोटा ,राजस्थान सोसाइटी एक्ट 1958 एवं प्रचलित विधि नियमों के तहत संचालित है , जिसके एक अध्यक्ष ,,  उपाध्यक्ष , सचिव ,कोषाध्यक्ष ,  सहित अन्य लोगों को ,, सभी सदस्य मिलकर चुनते है , चुनाव स्वतंत्र प्रक्रिया के तहत , विधिक रूप से निष्पक्ष निर्वाचन अधिकारी नियुक्त कर , गुप्त मतदान  प्रक्रिया से होते आये है  ,, इस बार साधारण सभा में , एक पद पर लगातार दो बार रह चुके सदस्यों को उस पद पर चुनाव से प्रतिबंधित करते हुए नियम में संशोधन कर , रजिस्ट्रार सोसायटी से अनुमोदित भी करवा लिया गया था ,, वर्ष 2021 में आगामी दो वर्षों के लिए प्रेस क्लब की नई कार्यकारिणी के चुनाव होना थे ,, सदस्यों , सदस्यों के नवीनीकरण ,, मामले में ,तानाशाही , मनमानी के लगातार आरोपों के बाद सदस्यों की संख्या सीमित रह गयी ,, सदस्यों को , प्रेस क्लब की आमदनी में से हर साल , चांदी के सिक्के देकर , प्रेस क्लब नियमों के विरुद्ध निधि के दुरूपयोग के मामले में विरोध होता रहा है ,,  प्रेस  क्लब कोटा के लिखित संविधान में ,, चुनाव नियम की धारा 7 में स्पष्ट संशोधन है , कोई भी व्यक्ति दो बार एक पद पर रहने के बाद ,उसी पद के लिए तीसरी बार निर्वाचित नहीं होगा , चुनाव भी नहीं लड़ सकेगा ,, चुनाव सर्वसम्मति से होगा , सर्वसम्मति नहीं होने पर , निर्वाचन अधिकारी के ज़रिये गुप्त मतदान से चुनाव ,होगा ,  लेकिंन संशोधन में ,  लिखा किस तरह से पढ़ा गया है समझ नहीं आया ,,और सर्वसम्मति से चुनाव में खुद को ही निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया , या बहुमत से , निर्वाचित घोषित कर दिया ,,  प्रेस क्लब संविधान में धारा 5 की उपधारा 5 में क्लब का कोष  किस तरह से होगा ,,  और विधान की  धारा  8  में ,, क्लब के कोष का किस तरह से किन मामलों में उपयोग होगा , इसका विवरण है ,, इस विधि नियम संवैधानिक  प्रावधान में लाभांश आपस में सदस्य मिलकर चांदी के सिक्के या फिर किसी भी तरह से उपहार स्वरूप , हिस्सा स्वरूप बांटेंगे , प्राप्त करेंगे , उन्हें कार्यकारिणी वितरित करेगी ऐसा प्रावधान नहीं है , इस  प्रावधान के विपरीत अगर कुछ हुआ है , तो गलत है , इस मामले में , पूर्व अध्यक्ष धीरज गुप्ता तेज ने पूर्व में भी , लिखित  जताया था ,, संविधान के प्रावधानों का याद दिलाया था ,, शिकायत भी दर्ज कराई थी ,, अब जहाँ तक चुनाव की बात हैए ,, साधारण सभा की  सुचना दस दिन पूर्व दिया जाना प्रत्येक सदस्य को ,  एजेंडे के साथ दिया जाना ज़रूरी है , विधान की धारा 7 में चुनाव प्रक्रिया स्पष्ट है ,,, धारा 7 की उपधारा  1 विशिष्ठ प्रावधान है , के किसी भी एक पद पर लगातार दो बार रह चुके है वोह उस पर पर चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं होंगे ,, उपधारा 2 में चुनाव सर्वसम्मति से होगा , यानी सर्वसम्मति मतलब एक व्यक्ति भी विरोध में नहीं होगा , अगर एक व्यक्ति भी चुनाव करवाने के पक्ष में है , तो फिर सर्वसम्मति नहीं मानी जाएगी ,, उप धारा 3 में सर्वसम्मति नहीं होने पर चुनाव बहुमत के आधार पर साधारण सभा की स्वीकृति मिलने पर करवाना होगा ,, उप धारा 4 गुप्त मतदान की प्रक्रिया है ,,, निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया है ,, अब साधारण सभा हो या फिर की भी नियम , सदस्यों को सिक्के बांटने ,, और दो बार एक ही पद पर लगातार रह चुके किसी भी व्यक्ति को , तीसरी बार किसी भी स्थिति में निर्वाचित करने का तो प्रश्न ही नहीं है , प्रावधान ही नहीं है ,ऐसे में खुद ने खुद को दो बार एक ही पद पर रहने के बाद भी , प्रावधानों के विपरीत चुन लिया ,, आपके अच्छे काम है , आप लोकप्रिय है सभी सदस्य आपके साथ है ,, कुछ गिनती के लोगों ने अगर विरोध किया है तो फिर आप को दुबारा , विधिक प्रावधान के तहत , दो बार एक ही पद पर रहने पर , तीसरी बार लगातार उस पद के लिए वोह व्यक्ति खड़ा नहीं हो ,सकेगा , इस नियम के तहत ,  निर्वाचन अधिकारी नियुक्त कर , गुप्त मतदान करवा लेते , जो भी जीतता , वोह असली जीत थी , यूँ चोर दरवाज़े से इस तरह से , विधिक प्रावधानों की धज्जियां उढ़ाकर , ठीक नहीं है ,, इसी कारण सदस्य ,, प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्य , वरिष्ठम सदस्य इस प्रक्रिया का विरोध कर  चुनाव की मांग कर रहे है , , इधर निर्वाचित पक्ष खुद को ईमानदार बताकर ,, प्रेस क्लब का हितेषी साबित कर रहा है , एक तरफा जीत और भविष्य के  प्रेस क्लब के लिए इस निर्वाचन को ज़रूरत बता रहा है , विधिक प्रावधान के तहत बता रहा है ,,, विधान की धारा 6 में विधिक व्यवस्था से हर पक्ष बाध्य है , जबकि धारा 12 प्रेस क्लब की हर गतिविधि , व्यवस्थाओं की जांच करने का अधिकार , राजस्थान सोसायटी एक्ट के प्रावधान के तहत , सोसायटी के रजिस्ट्रार उसके प्रतिनिधि को है ,,, कोटा प्रेस क्लब , पत्रकारिता के संघर्ष , स्नेह मिलन ,, सहयोग , ,प्यार , मोहब्बत ,, सेमिनार , सिम्पोजियम ,, भवन निर्माण सहित कई उपलब्धियों की यादगार रहा है ,, लेकिन प्रेस क्लब में हमेशा लोकतंत्र ज़िंदा रहा है , आरोप ,लगाने , साधारण सभा में विरोध प्रकट करने की खुली आज़ादी रही ,,,कभी किसी भी सदस्य को इसलिए नाराज़ होकर , षड्यंत्र कर नहीं निकाला गया , के यह अमूक  ग्रुप का विरोधी है , लेकिन अब , इस तरह की शिकायतें आम हो गयी ,, प्रेस क्लब में कभी भी ,,  साधारण सभा में आम सहमति के नाम पर , स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया का गला नहीं घोंटा गया ,,  हमेशा चुनाव हुए है , हार जीत कुछ भी हो , लेकिन चुनाव में वोट डालने , सदस्य्ता बनाने ,, और वोटों की गिनती में , निर्वाचन प्रक्रिया में  हमेशा ईमानदाराना संवैधानिक लोकतंत्र रहा है ,, पहली बार निर्विरोध निर्वाचन , वोह भी संविधान के प्रावधान के तहत दो बार पद पर रहने पर भी तीसरी बार फिर से ,, यह बात कुछ सदस्यों को हज़म नहीं हो रहे है , विरोध  मुट्ठी भर ही सही , लेकिन विरोध तो है ,, बहुमत है तो जीत कर आ जाओ ,, यही तो सदस्य कह रहे है ,, खेर यह सब अलग अलग गुटों की गुटबाज़ी के तहत ,, जो भी हो रहा है ,प्रेस क्लब के सौहार्दपूर्ण , लोकतान्त्रिक इतिहास को धक्का लगाने वाला है ,, यूँ प्रेस क्लब  के संविधान के नाम पर छिछालेदारी न हो ,इसके लिए ,, किसी को तो मध्यस्थतता करना होगी ,, कोई तो इस विवाद का निस्तारण करवाएगा ,, हठधर्मिता किसी भी समस्या का समाधान नहीं ,, सौहार्दपूर्ण वार्ता ,, लिखित विधि नियमों की  पालना ही किसी को भी बढ़ा बनाती है ,, प्रेस क्लब के वर्तमान हालातों में ,, सभी पक्षों को आपस में बैठ ,कर  संवाद करना चाहिए ,, विधि नियमों पर चर्चा करना चाहिए ,जो गलत हुआ है ,उसे ग़लत स्वीकार करके ,, उसमे सुधार करना चाहिए , ताकि प्रेस क्लब की गरिमा फिर से ज़िंदाबाद रह सके , वरना संस्थाओं पर पारिवारिक सदस्य्ता का माहौल बनाकर , क़ब्ज़े तो रोज़ होते हुए देखते है  ,, लेकिन जो लोग दूसरों की लोकतान्त्रिक लड़ाई के सिपाही होते है , उन्ही की संस्था में अलोकतांत्रिक व्यवस्था के आरोप लग कर छिछालेदारी हो ,, अच्छी बात नहीं है ,,आओ ,,  आपस में मिलो ,  बैठो , संवाद करो , और विवाद का स्थाई  निस्तारण करके , मिलजुल कर , एक जुट होकर , फिर से प्रेस क्लब की गतिविधिया पत्रकारों के हित में शुरू करो ,, प्रेस क्लब  विस्तार ,, प्रबंधन के हित में व्यवस्थित करो , नहीं तो तुम्हारी मर्ज़ी जो चाहो करो , इस  बार एक अनूठी पहल और हुई , दिवंगत पत्रकार साथी , शम्भु लाड़पुरी , मुनीश जोशी वगेरा के निधन पर ,, उद्बोधन में चाहे नाम ले लिया हो ,, लेकिन , हर बार की तरह बैठक के अंत में , दो मिंट का मिनट का  मोन  रखकर ,, शोकांजलि  की परम्परा का निर्वहन भी नहीं किया गया ,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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