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08 मार्च 2021

हो गयी साँझ...... हो गयी रस्म अदायगी....

 

हो गयी साँझ...... हो गयी रस्म अदायगी......
कल से वही......
तेरी माँ की**
तेरी बहिन की**
लो बताओं...कैसे कैसे पाखंड खड़े किए है हमनें.....
"महिला दिवस".....!
थोड़ी भी गैरत बाक़ी है तो इन्ही स्त्रियों पर हुकूमत करना बंद करो....उन पर...उनकी समझ पर.....उनकी काबिलियत पर संदेह मत करो......उन्हें थोड़ा स्वछंद होने दो !
क्या ये मुमकिन है ??
हरगिज़ नही!
तुम्हारी पत्नी या बहिन या भाभी 2 घंटे भी बिना बताए कही किसी सखी सहेली के यहाँ चली जाए तो आप नाराज़ होते हो......सिर्फ़ नाराज़ ही नही.....आप अपने तरीके से जाँच करते हो कि वो जो कह रही क्या वो सच है या झूठ
तुमने कभी स्त्री पर भरोसा किया ही नही है......और ये भी तय है कि तुम लाख प्रपंच रच लो......तुम कभी भरोसा कर ही नही सकते !
तुम्हारी आदत बन चुकी है स्त्री को दासी बनाये रखने की......
तो सुनो......
ऐसे पुरुषों पर......नही पुरुष नही कहूंगा......क्योकि पुरुषार्थ ही नदारद है
ऐसे मर्दो पर......नही मर्द भी नही कहूंगा क्योकि स्त्री पर हुकूमत करना हरगिज़ मर्दानगी नही है
हाँ...... ऐसे आदमी जात पर
आक....थू
@राज

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