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24 फ़रवरी 2021

हम दुनिया की जि़न्दगी में तुम्हारे दोस्त थे और आख़ेरत में भी तुम्हारे (रफ़ीक़) हैं

 हम दुनिया की जि़न्दगी में तुम्हारे दोस्त थे और आख़ेरत में भी तुम्हारे (रफ़ीक़) हैं और जिस चीज़ का भी तुम्हार जी चाहे बेहिष्त में तुम्हारे वास्ते मौजूद है और जो चीज़ तलब करोगे वहाँ तुम्हारे लिए (हाजि़र) होगी (31)
(ये) बख्शने वाले मेहरबान (ख़़ुदा) की तरफ़ से (तुम्हारी मेहमानी है) (32)
और इस से बेहतर किसकी बात हो सकती है जो (लोगों को) ख़़ुदा की तरफ़ बुलाए और अच्छे अच्छे काम करे और कहे कि मैं भी यक़ीनन (ख़ुदा के) फ़रमाबरदार बन्दों में हूँ (33)
और भलाई बुराई (कभी) बराबर नहीं हो सकती तो (सख़्त कलामी का) ऐसे तरीके से जवाब दो जो निहायत अच्छा हो (ऐसा करोगे) तो (तुम देखोगे जिस में और तुममें दुशमनी थी गोया वह तुम्हारा दिल सोज़ दोस्त है (34)
ये बात बस उन्हीं लोगों को हासिल हुई है जो सब्र करने वाले हैं और उन्हीं लोगों को हासिल होती है जो बड़े नसीबवर हैं (35)
और अगर तुम्हें शैतान की तरफ़ से वसवसा पैदा हो तो ख़ुदा की पनाह माँग लिया करो बेशक वह (सबकी) सुनता जानता है (36)
और उसकी (कुदरत की) निशानियों में से रात और दिन और सूरज और चाँद हैं तो तुम लोग न सूरज को सजदा करो और न चाँद को, और अगर तुम ख़़ुदा ही की इबादत करनी मंज़ूर रहे तो बस उसी को सजदा करो जिसने इन चीज़ों को पैदा किया है (37)
पस अगर ये लोग सरकशी करें तो (ख़़ुदा को भी उनकी परवाह नहीं) वो लोग (फ़रिश्ते) तुम्हारे परवरदिगार की बारगाह में हैं वह रात दिन उसकी तसबीह करते रहते हैं और वह लोग उकताते भी नहीं (38)
उसकी क़ुदरत की निशानियों में से एक ये भी है कि तुम ज़मीन को ख़ुश्क और बेगयाह देखते हो फिर जब हम उस पर पानी बरसा देते हैं तो लहलहाने लगती है और फूल जाती है जिस ख़ुदा ने (मुर्दा) ज़मीन को जि़न्दा किया वह यक़ीनन मुर्दों को भी जिलाएगा बेशक वह हर चीज़ पर क़ादिर है (39)
जो लोग हमारी आयतों में हेर फेर पैदा करते हैं वह हरगिज़ हमसे पोशीदा नहीं हैं भला जो शख़्स दोज़ख़ में डाला जाएगा वह बेहतर है या वह शख़्स जो क़यामत के दिन बेख़ौफ व ख़तर आएगा (ख़ैर) जो चाहो सो करो (मगर) जो कुछ तुम करते हो वह (ख़़ुदा) उसको देख रहा है (40

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