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23 फ़रवरी 2021

विश्व के सभी बढे शहरों ,, में सरकार के , सिसटम के , प्रशासन के खिलाफ ,सकारात्मक सुझाव , लोकतांत्रिक विरोध , भड़ास निकालने के लिए व्यवस्थित धरना स्थल , सभा स्थल , बने है

विश्व के सभी बढे शहरों ,, में सरकार के , सिसटम के , प्रशासन के खिलाफ ,सकारात्मक सुझाव , लोकतांत्रिक विरोध , भड़ास निकालने के लिए व्यवस्थित धरना स्थल , सभा स्थल , बने है ,जिसका निर्माण , व्यवस्थाएं खुद सरकारें देखती हैं ,,,वहां प्रदर्शनों , सुझावों से सरकारें अपने सिस्टम में सुधार करती हैं ,, कोटा में भी ऐसे धरनास्थल , ऐसे सभा स्थल , ऐसे सकारात्मक ,सुझाव , सकारात्मक , लोकतान्त्रिक विरोध ,,, अभिव्यक्ति की आज़ादी के सम्मान में , एक ऐसा सभा स्थल बनना ही चाहिए ,,जो ;लोकतान्त्रिक तरीके से अभिव्यक्ति की आज़ादी के स्थल के रूप में ,, देश भर में ही नहीं , विश्व भर में एक आदर्श बन जाए ,, एक मिसाल बन जाए ,,, और भारत के लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी की आवाज़ बन जाए ,,,,,,, कोटा देश भर में आज़ादी के आंदोलन ,, अभिव्यक्ति की आज़ादी , सकारात्मक संघर्ष ,, लोकतान्त्रिक विरोध में अव्वल , प्रथम कहा जाना वाला शहर है ,, यहां देश की सबसे बढ़ी पंचायत के , अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष हैं , तो , विकास की गंगा बहाने को लेकर कोटा का अपना इतिहास है , यहाँ . उद्योग हों ,, शिक्षा हो ,हर शटर में अव्वल रहने की होड़ ही नहीं , कबलियत भी हैं ,, यह सब , कोटा में मज़बूत प्रतिपक्ष ,, लोकतान्त्रिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता , सुझाव और उन सुझावों पर सकारात्मक अमल का ही नतीजा है ,,,,,,,,ऐसे में कोटा में ,, पुराने कोटा में ,, सिस्टम के खिलाफ ,सरकार के खिलाफ , ,प्रशासन के खिलाफ , सुझावों ,, सकारात्मक विरोध के लिए ,, एक धरना स्थल कहो ,, भड़ास स्थल कहो , सुझाव स्थल कहो , होना ही चाहिए ,,,, कोटा भारत को अंग्रेज़ों से आज़ाद कराने के बगावत का संघर्ष रहा है ,, कोटा का ब्रिजराज भवन , अंग्रेज़ों के एजेंट , मेजर बर्टन , के ज़ुल्म के बाद ,, उनके , उनके ज़ालिम पुत्रों के क़त्ल का गवाह रहा है ,, कोटा , ऐसे ज़ालिम मेजर बर्टन के कटे हुए सर को ,, कोटा को अंग्रेज़ों की गुलामी से आज़ाद कराकर , कोटा की सड़कों पर। . आंदोलनकारियों द्वारा ,, घुमाने का गवाह रहा है , कोटा की रामपुरा पीपली हो ,, रामपुरा कोतवाली पर क़ब्ज़े की दास्तान हो ,, आज़ादी के बाद के ,, कोटा रामपुरा पीपली पर , सरकारों के खिलाफ आज़ादी की अभिव्यक्ति की सभाएं हों ,, स्टेशन भीमगंजमंडी थाने के सामने , दो रास्तों पर ,, भूख हड़ताल की कहानी हो , घंटाघर में इक़बाल चौक पर , कोटा के गाँधी की भूख हड़ताल के बाद उसकी मुर्त्यु हो ,, पुराने मोटर स्टेण्ड श्रीपुरा सुभाष चौक ,, पुराने सब्जीमंडी पीपली चौक ,, टिपटा , कैथूनीपोल , सहित कई स्थान ऐसे हैं , जहाँ आज भी , सरकारों के खिलाफ , अभिव्यक्ति की आज़ादी की सभाओं का इतिहास छुपा पढ़ा है ,, कोटा में रामपुरा की ऐतिहासिक पीपली , यहां , आज़ादी के आंदोलन की दस्तान हो , या फिर आज़ादी के बाद ,, कोटा के बुद्धिजीवियों ,, कोटा के सरकारी सिस्टम से असहमति रखने वाले , समूह से जुड़े लोग हों , सभी की क्रन्तिकारी सभाये , लोकतान्त्रिक तरीके से , यहां होती रही है ,, इतना ही नहीं ,, पुरानी सब्ज़ी मंडी पीपली के यहाँ , श्रीपुरा पुराना मोटर स्टेण्ड ,, सहित कुछ क्षेत्रों पर ,, कोटा प्रशासन , अधिकारीयों , सरकारी सिस्टम के खिलाफ ,, भ्रस्टाचार , अव्यवस्था की पोल खोलने के लिए , लाल चींटा के नाम से मशहूर ,पत्रकार ,स्वंत्रता सेनानी मास्टर श्याम नारायण सक्सेना का जनता का दरबार , एक इतिहास रहा है , ,, टिपटा की सभाये , कैथूनीपोल के संघर्ष ,, रामपुरा में अभिव्यक्ति की आज़ादी की लोकतान्त्रिक स्वतंत्रता , स्टेशन भीमगंजमंडी थाने के सामने स्थित दो रास्तों पर , भूख हड़ताल की कहानियां ,, कोटा के इतिहास में , मौजूद हैं , फिर दौर बदला ,, सभाये , सियासी सभाये ,, छावनी , मल्टीपर्पस स्कूल ,, स्कूल के बाहर गुमानपुरा सड़क ,, सी ऐ डी ,, मेला ग्राउंड ,,, स्टेडियम ,, सर्किट हाउस के सामने स्थित सड़क पर होने लगीं , अब कलेक्ट्रेट के बाहर एक रेलिंग लगा ,, स्थान जहाँ विरोध प्रदर्शन भी होते है , जहाँ भूख हड़ताल ,, धरने भी होते है , चल रहे है ,, कोटा में अभियक्ति की आज़ादी की स्वंत्रता रही है ,, यहां इस स्वतंत्रता को बरक़रार रखने ,, सिस्टम में कोई खराबी हो , तो उस सिस्टम की खराबी के खिलाफ भड़ास निकालने , सुझाव देने ,, छोटी सभाएं करने के लिए , एक आन्दोलन स्थंल की निश्चित तोर पर ,, लोकतान्त्रिक ज़रूरत हैं , क्योंकि विरोध होगा , तो सुधार होगा ,, गलतियां बताने वाले होंगे , तो एक तरफा किसी भी शासन में ,, सुधार की लोकतान्त्रिक गुंजाइश रहती है ,, ऐसे में कोटा में , रामपुरा के आसपास , एक चबूतरा , एक छोटा स्थल , ऐसा होना ही चाहिए , जहाँ , आसपास के लोग , शहर के लोग , बुद्धिजीवी लोग , लोकतनत्रिक तरीके से ,, सरकार , प्रशासन ,, या फिर अपने सकारात्मक सुझावों के साथ , कोई भी सभा व्यवस्थित तरीके से , बिना ट्रेफिक को प्रभावित किये कर सके , ऐसी जगह तलाश कर ,, रामपुरा , या पुराने कोटा क्षेत्र में , आसपास , होना ही चाहिए , पुराने आंदोलन कार्यों के सुझाव भी हैं , सरोवर टाकीज़ के पीछे , चौड़ी की जा रही सड़क के आसपास , एक छोटा चबूतरा , ऐसी भड़ास , ऐसे लोकतान्त्रिक विरोध कार्यक्रम , सुझाव , सकारात्मक विरोध के लिए ,, आरक्षित कर दिया जाए ,, जहाँ लोग , जहाँ संगठन , अपने अपने स्तर पर , अलग अलग समय में , अपनी भड़ास निकाल सकें , सकारात्मक सुझाव दे सकें ,, लोकतंत्र को ज़िंदाबाद कह सकें ,, इंक़लाब ज़िंदाबाद कह सकें , सरकार हो , सिस्टम हो ,, पुलिस हो , प्रशासन हो ,,क़ानून की मर्यादाओं में ,, थोड़े वक़्त में , व्यवस्थित तरीके से , बिना ट्रेफिक को बाधित किये , अपनी बात कह सकें ,, कोटा के अलावा ,देश के बढे बढे शहरों , विश्व के बढ़े बढे देशों के कई शहरों में , ऐसे चबूतरे , ऐसे स्थल , सरकारी स्तर पर बनाये भी गए है ,, कोटा में नया कुछ करने का इतिहास है , नया कुछ करने का सर्वपर्थम रिवाज है , ऐसे में इस तरह के लोकतान्त्रिक आंदोलन स्थल की शुरुआत भी कोटा से ही अगर हो , तो कोटा में ,सकारात्मक विरोध , अभिव्यक्ति की आज़ादी के पहले शहरों में ,अव्वल नामों में गिना जाने लगेगा , जो कोटा के लिए फ़क़्र की , गर्व की बात होगी ,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

 

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