में उर्दू हूँ
मेरा ही परचम लेकर
मुझ पर सियासत करोगे
मुझे ही मंझधार में छोड़कर
धोखा धड़ी वाले बातें करोगे ,,
फ़र्क़ क्या है
तुम्हारे अंग्रेज़ों के बीच ,
तुम हाकम से भी कम हाकमों से
मेरे फरोग की
मेरे इन्साफ की
क्या बात करोगे ,,,
में तो दुश्मनो से यूँ ही पामाल हूँ ,
मुझे यक़ीन हरगिज़ नहीं था
तुम भी मुझे
यूँ ही अपना कहकर
पामाल करोगे ,, अख्तर
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