लो
साहिब ,, लो बरकत उद्यान ,, मस्जिद मरम्मत काम काज , के लिए इन्तिज़ार कर
रहे , अहल ऐ ईमान साथियों ,,, तुम्हारे अक़लियत के ,, मंत्री सालेह मोहम्मद
भी आकर चले गए ,, क्या उनसे , तुम्हारे रुके हुए काम को फिर से शुरू करने
को लेकर किसी हमदर्द ने चर्चा की , चर्चा की तो , नतीजा कहाँ है ,, , बिना
किसी काम के ,, बिज़ी ,, बहुत बिज़ी , टाइम इनके पास हरगिज़ नहीं , कमेटियां
हैं ,, कमेटी के सरपरस्त , पदाधिकारी है ,, उनकी अपनी ज़िम्मेदारी है ,, ,
कंट्रीब्यूशन है , ,लेकिन मंत्री , तुम्हारे अपने विभाग के मंत्री की आँख
में आँख मिलाकर ,, अपनी ही सम्पत्ति , अपने ही इबादत घर की मरमम्त के लिए
जुस्तजू करने की हिम्मत , क्यों नहीं , ज़रा सोचियेगा ज़रूर प्लीज़ ,, अख्तर
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 फ़रवरी 2021
लो साहिब ,, लो बरकत उद्यान ,,
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