दोस्तों शादी ब्याह में,, दहेज़ और फ़िज़ूल खर्ची की ,,रोकथाम के लिए यूँ तो
सभी समाजो के साथ मुस्लिम समाज में भी सामूहिक विवाह की परम्परा शुरू हुई
है ,,लेकिन सभी जानते है इस नाम पर सियासत और खुले रूप से दहेज़ की लिस्ट
प्रचारित होती है ,,खाना ,,टेंट वगेरा के खर्च के बाद निजी तोर पर दावतों
में अलग खर्च होते है और फिर इन रिश्तो में से कई रिश्ते दरकने लगते है
,,क्योंकि सामूहिक विवाह सम्मेलनों में भी दहेज़ का लालच बरक़रार है
,,,,,,,लेकिन पाश्चात्य संस्कृति के इस दौर में आधुनिक दौर के
अलम्बरदार ,,सुशिक्षित नौजवान अंसार अहमद इन्दोरी ने हदीस के मुताबिक़
बारां ज़िले की एक मस्जिद में बिना किसी दहेज़ ,,दबाव ,,शोरशराबे के इस्लामिक
तरीके से निकाह क़ुबूल कर एक मिसाल क़ायम कर दी है ,,,,एक पत्रकार ,,एक लेखक
,,एक तन्क़ीद निगार ,,एक समाज सेवक ,,एक मानवाधिकार कार्यकर्ता अगर इस दौर
में ऐसा करे तो अजूबा सा लगता है ,,लेकिन दोस्तों कोटा की शख्सियत अंसार
अहमद इन्दोरी ने पुरखुलुस निकाह कर हाड़ोती के ही नहीं ,,राजस्थान के ही
नहीं पुरे हिन्दुस्तान के नो जवानो को यह अचम्भित कर दें वाला समाज सुधार
का संदेश दिया है ,,,,,,,,,, दोस्तों यह सज धज कर सूटेड बूटेड खड़ा नोजवान
इस्लामिक निकाह का ऐक आदर्श ,,एक सुबूत ,,एक गवाह बन चुका है ,,शरीयत के
मुताबिक़ बिना किसी लोभ लालच ,,दान दहज़ ,,बेण्ड बाजे के शोरशराबे से दूर
,लाखो रुपए की चमक दमक के खर्च से परे एक शरीयती निकाह के गवाह बने है
,,,,,,,,जी हाँ दोस्तोँ अंसार एहमद ऊर्फ अंसारुल ह्क स्वर्गीय अब्दुल वहीद
बाबा ईन्दौर वालोँ के सपुत्र है ओर अठ्ठारह अप्रेल पिछले साल इन्होने
बारां मे वसीम अहमद साहब की पुत्री वाफिया मराज के साथ मस्ज़िद मे बिना
किसी धूमधड़ाके के निकाह कूबूल है कहकर खर्चिीली ओर महंगी शादी करनें वालोँ
के सामने ऐक मिसाल क़ायम की है ,,,,गरीब ,,,दलीत ओर शोषित उत्पीड़ित लोगों को
इंसाफ दिलाने के लिये संघर्ष रत मानवअधिकार कार्यकर्त्ता ,लेखक ,,पत्रकार
भाई अंसार इन्दोरी के पास् लोगो का दिल जीतने का हुनर है
,,,,,,,,,,,,,,,वोह जो कहते है वोह करके भी दिखाते भी है ,,,अंसार इन दिनो
दिल्ली मे रहकर पुरे भारत मे दलित ,,शोषित ,,उत्पीड़ित लोगों को इन्साफ
दिलाने के लिये कार्यरत है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इन्होने कई मुद्दों पर
अखबारी ओर टीवीः इंटरविव पर अपने पद पर रह्कर ज़िम्मेदारियों से विमुख रहने
वाले नेताओं को आइना भी दिखाया है जबकि अख़बार ,,मेगज़ीन ओर निजी रुप से
जुल्म के खिलाफ़ ज़ालिमों के खिलाफ निर्भीकता से आवाज़ उठाई है ,,अंसार
इंदोरी ने जुल्म के किस्सों को फिल्मांकन के रूप मे तैयार कर बहतरीन तरीके
से ज़ालिमों के खिलाफ ओर मज़लूमों के पक्ष मे आवाज़ बुलन्द की है ,,मुज़फ्फर
नगर हो चाहे दूसरे जुल्म हो सभी पर इन्होने तेज़ धारधार विचारो साथ आवाज़
बुलन्द की है ,,,,इन दिनों अंसार कोटा संभाग में शिक्षा की अलख जगा रहे
है ,,,,भाइ अंसार को नये विवाहित जीवन के एक वर्ष पुरे होने जा रहे है
उन्हें मुबारकबाद ,बधाई ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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