मुंबई. हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता शशि कपूर को दादा साहब
फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। फिल्म 'दीवार', 'कभी-कभी',
'सिलसिला', 'नमक हलाल', 'उत्सव', 'सत्यम शिवम सुंदरम' में अभिनय कर चुके
शशि कपूर लंबे समय से बीमार चल रहे हैं।
फिल्म 'दीवार' के एक दृश्य में शशि कपूर के डायलॉग, 'मेरे पास मां है'
को आज भी लोग याद करते हैं। हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता शशि कपूर को
दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। फिल्म 'दीवार',
'कभी-कभी', 'सिलसिला', 'नमक हलाल', 'उत्सव', 'सत्यम शिवम सुंदरम' में अभिनय
कर चुके शशि कपूर लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। फिल्म 'दीवार' के एक
दृश्य में शशि कपूर के डायलॉग, 'मेरे पास मां है' को आज भी लोग याद करते
हैं। शशि कपूर करीब तीन साल से भी ज्यादा वक्त से किडनी की बीमारी झेल
रहे हैं। उन्हें सप्ताह में दो बार डायलिसिस कराना पड़ता है। उनके बड़े
भाई शम्मी कपूर ने डायलिसिस की सहायता से बारह वर्ष निकाले और मृत्यु का
कारण किडनी रोग नहीं, कोई और रोग था। शम्मी कपूर सप्ताह में तीन बार
डायलिसिस कराते थे। उनकी और छोटे भाई शशि कपूर की बीमारियां लगभग समान हैं।
बताया जाता है कि शशि कपूर करीबी लोगों से भी मिलते-जुलते नहीं हैं।
उन्हें यश चोपड़ा ने ‘वीर जारा’ में उस भूमिका का प्रस्ताव दिया था जो अमिताभ बच्चन ने निभाई है। दरअसल, यश चोपड़ा अमिताभ बच्चन
को शशि कपूर से बेहतर अभिनेता मानते हैं, परंतु उन्होंने यह भूमिका पुराने
मित्र को अपने ओढ़े हुए नैराश्य से उबारने के लिए देनी चाही थी। अमिताभ
बच्चन भी अनेक बीमारियों को झेलते हुए निरंतर काम कर रहे हैं।
शशि कपूर ने बतौर निर्माता सार्थक फिल्में बनाईं, जैसे-जुनून, कलयुग,
विजेता, 36 चौरंगी लेन और उत्सव। ‘अजूबा’ की असफलता के कारण हुए घाटे को
उन्होंने एक बहुमंजिला बनाकर चुकता कर दिए। ‘उत्सव’ के प्रदर्शन के समय
उनकी पत्नी का निधन हुआ था। बतौर सितारा उन्होंने लंबी पारी खेली और पृथ्वी
थियेटर के निर्माण ने उनके जीवन को सार्थकता दी है।
शशि कपूर के जीवन की पहेली भी बूझी जा सकती है कि ‘36 चौरंगी लेन’
ऑस्कर के लिए भेजी गई और उसे श्रेष्ठ फिल्म माना गया परंतु ऑस्कर नहीं दिया
जा सकता था क्योंकि उसे फॉरेन भाषा कैटेगरी में भेजा गया था और अंग्रेजी
भाषा में बनी होने के कारण अमेरिका में उसे ‘फॉरेन कैटेगरी’ की फिल्म नहीं
माना गया।
शशि कपूर ने शेक्सपीएराना थियेटर में ज्योफ्रे कैंडल के मार्गदर्शन
में अंग्रेजी नाटकों में अभिनय किया। उनकी पहली फिल्म इस्माइल मर्चेन्ट और
आइवरी जेम्स की ‘हाउसहोल्डर’ भी अंग्रेजी भाषा में है। उनका स्वाभाविक
रुझान हमेशा अंग्रेजी नाटक रहे।
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