नई दिल्ली: पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को 27 मार्च को
सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न दिया जाएगा। यह अवॉर्ड उनके घर पर दिया
जाएगा। प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी प्रोटोकॉल तोड़कर पूर्व पीएम के घर
जाएंगे और उन्हें यह अवॉर्ड देकर सम्मानित करेंगे। इस मौके पर प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी
भी मौजूद रहेंगे। आपको बता दें कि बीते साल 25 दिसंबर को एनडीए सरकार ने
वाजपेयी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने
का एलान किया था। अटल बिहारी वापजेपी को यह पुरस्कार 27 मार्च को, जबकि
महामना मदन मोहन मालवीय को 31 मार्च को दिया जाएगा।
अवॉर्ड पाने वाली दोनों हस्तियों में हैं कई समानताएं
महामना मदन मोहन मालवीय
सर्वोच्च नागरिक सम्मान हासिल करने वाले महामना मदन मोहन मालवीय का
जन्म 25 दिसंबर, 1861 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने दान की जमीन और
पैसे लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसी संस्था की स्थापना की थी।
स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् महामना दो बार कांग्रेस अध्यक्ष रहे।
उन्होंने ही पहली बार अदालती कामकाज में हिंदी के इस्तेमाल को लेकर
अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। मंदिर में प्रवेश दिलाने से लेकर वंचित तबकों
के उत्थान के लिए भी महामना ने अथक प्रयास किए थे।
अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहली बार हिंदी में भाषण देकर हिंदी का परचम
फहरा चुके हैं। करिश्माई नेता, ओजस्वी वक्ता और प्रखर कवि के रूप में
विख्यात अटल ने बतौर विदेश मंत्री 1977 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र में
हिंदी में उद्बोधन दिया था। 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी
पहले जनसंघ और फिर भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष रहे। तीन बार प्रधानमंत्री
रहे वाजपेयी का समय तेज आर्थिक विकास दर और विश्व स्तर पर भारत की साख
बढ़ाने के लिहाज से अहम माना जाता है। संघ के स्वयंसेवक होने के बावजूद भी
धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी चेहरा रहे वाजपेयी की लोकप्रियता बतौर राजनेता
तमाम दलगत सीमाओं से ऊपर रही है।
अब तक 43 लोगों को मिल चुका है भारत रत्न
अभी तक कुल 43 लोगों को भारत रत्न दिया जा चुका है। इनमें वैज्ञानिक सीवी रमन, क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर, सिंगर लता मंगेशकर और सी राजगोपालाचारी जैसे राजनेता और विद्वान शामिल हैं।
पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेई को 27 मार्च को 'भारत रत्न'
दिया जाएगा। खुद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उनके घर उन्हें यह सम्मान देने
जाएंगे। अटल जी का इन दिनों रूटीन क्या है, ये जानने की कोशिश की भास्कर
डिजिटल ने। अटल जी के भांजे और भाजपा सांसद अनूप मिश्रा ने बताया कि कैसा
है अटल जी का रूटीन...
टीवी पर राजनीतिक खबरों पर नजर...
अनूप मिश्रा बताते हैं, हालांकि इन दिनों अटल जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, लेकिन फिर भी वे टीवी ज़रूर देखते हैं। परिवार के सदस्य उन्हें अख़बार पढ़कर सुनाते हैं।
अनूप मिश्रा बताते हैं, हालांकि इन दिनों अटल जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, लेकिन फिर भी वे टीवी ज़रूर देखते हैं। परिवार के सदस्य उन्हें अख़बार पढ़कर सुनाते हैं।
गाजर का हलवा और देशी घी के लड्डू रहे हैं पसंद
अनूप मिश्रा बताते हैं, एक समय था जब अटल जी ग्वालियर के मेले में लगने वाले हरिद्वार वाले का गाज़र का हलवा और बहादुर के देशी घी के लड्डू बहुत चाव से खाते थे, लेकिन अब स्वास्थ्य के कारण से वे लिक्विड डाइट पर हैं। हालांकि सेहत कमज़ोर होने के बावजूद उनके रूटीन में बहुत बड़ा कोई फर्क नहीं आया है।
अनूप मिश्रा बताते हैं, एक समय था जब अटल जी ग्वालियर के मेले में लगने वाले हरिद्वार वाले का गाज़र का हलवा और बहादुर के देशी घी के लड्डू बहुत चाव से खाते थे, लेकिन अब स्वास्थ्य के कारण से वे लिक्विड डाइट पर हैं। हालांकि सेहत कमज़ोर होने के बावजूद उनके रूटीन में बहुत बड़ा कोई फर्क नहीं आया है।
रोज कोई न कोई अखबार पढ़कर सुनाता है..
अनूप मिश्रा के मुताबिक, दिल्ली में ठंड के वक्त अटल जी को पहले बंगले से बाहर नहीं लाया जाता था, लेकिन ठंड खत्म होने के बाद व्हील चेयर पर बाहर लॉन में आकर बैठते हैं। उन्हें सुबह अख़बार पढ़कर सुनाया जाता है। परिवार के करीबी लोगों में किसी एक की यह हर रोज की जिम्मेदारी होती है। दिन में कुछ देर तक वे टीवी देखते हैं। जब सत्र चल रहा होता है, तब वे सदन की कार्यवाही जरूर देखते हैं।
अनूप मिश्रा के मुताबिक, दिल्ली में ठंड के वक्त अटल जी को पहले बंगले से बाहर नहीं लाया जाता था, लेकिन ठंड खत्म होने के बाद व्हील चेयर पर बाहर लॉन में आकर बैठते हैं। उन्हें सुबह अख़बार पढ़कर सुनाया जाता है। परिवार के करीबी लोगों में किसी एक की यह हर रोज की जिम्मेदारी होती है। दिन में कुछ देर तक वे टीवी देखते हैं। जब सत्र चल रहा होता है, तब वे सदन की कार्यवाही जरूर देखते हैं।
और बच्चों की तरह मचले...
सांसद अनूप मिश्रा बताते हैं कि, जब दो राज्यों झारखंड और जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजे आ रहे थे,तब भी अटल जी टीवी पर नतीजे देख रहे थे। मिश्रा बताते हैं कि बोलते नहीं है, लेकिन उनके चेहरे पर आ रहे हाव-भाव ख़बरों को लेकर उनका रिएक्शन बता देता है। एक बार जब सारे परिवार के लोग कमरे में बैठे थे और टीवी पर सदन की कार्यवाही का प्रसारण हो रहा था, तभी किसी ने टीवी बंद कर दी, तो अटल जी बच्चों की तरह गुस्से से मचल गए। बाद में जब दोबारा टीवी चालू किया गया, तो उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। दिन में रेस्ट करते हैं। कभी उन्हें फिल्मे देखना बहुत पसंद था। आज भी जब कोई पुरानी फिल्म टीवी पर आ रही होती हैं, तो वो मौन होकर देखते हैं।
सांसद अनूप मिश्रा बताते हैं कि, जब दो राज्यों झारखंड और जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजे आ रहे थे,तब भी अटल जी टीवी पर नतीजे देख रहे थे। मिश्रा बताते हैं कि बोलते नहीं है, लेकिन उनके चेहरे पर आ रहे हाव-भाव ख़बरों को लेकर उनका रिएक्शन बता देता है। एक बार जब सारे परिवार के लोग कमरे में बैठे थे और टीवी पर सदन की कार्यवाही का प्रसारण हो रहा था, तभी किसी ने टीवी बंद कर दी, तो अटल जी बच्चों की तरह गुस्से से मचल गए। बाद में जब दोबारा टीवी चालू किया गया, तो उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। दिन में रेस्ट करते हैं। कभी उन्हें फिल्मे देखना बहुत पसंद था। आज भी जब कोई पुरानी फिल्म टीवी पर आ रही होती हैं, तो वो मौन होकर देखते हैं।
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