आपात काल के बाद मीसा बंदियों को स्वतंत्रता सेनानियों का हक़ दिलाने के लिए
जुनूनी संघर्ष कर उन्हें आत्म सम्मान दिलाने वाले जंगजू किसान नेता
फरीदुल्ला खान कोटा की उन अज़ीम हस्तियों में से है जो देश के सभी गैर
कोंग्रेसी नेताओ चहेते बने है ,,,,,,,कोटा में जन्मे ,,कोटा में पले ,,कोटा
में पढ़े ,,,बढे हुए फरीद्दुल्ला खान का स्वभाव स्कूली जीवन से ही
क्रांतिकारी रहा है ,,ज़ुल्म ,,अत्याचार ,,अन्याय के खिलाफ खुद की जानकी
परवाह किये बगैर विरोध करना इनका स्वभाव रहा है ,,,अनेको बार इन्हे पुलिस
के हमले का शिकार होना पढ़ा ,,,किसानो ,,,गरीबों ,,मज़दूरों ,,दलितों को
इन्साफ दिलाने की कोशिशों में जुटे इस जांबाज़ सिपाही फरीदुल्ला को राजस्थान
के लोग क्रांतिकारी कॉमरेड के रूप में जानने लगे ,,लाठिीवार की कई घटनाओ
में पुलिस ने इन्हे टारगेट बनाकर पीटा ,,, बूंदी के ऐतीहासिक किसान आंदोलन
में पुलिस लाठीवर से बेरहमी से इनकी एक एक हड्डिया तोड़ती रही ,,लेकिन
फरीदुल्ला के मुंह से कराहट की जगह ,,,इंक़लाब ज़िंदाबाद का नारा निकलता रहा
,,,ऐसा शक्श जो ना डरा ,,ना सहमा ,,ना टूटा ,,ना बिखरा ,,अनेकों बार पुलिस
की दमनकारी नीतियों का शिकार हुआ लेकिन इस शख्सियत ने आखिर में आम लोगों
में पत्थर के क्रांतिकारी इंसान की एक पहचान बना ली ,,,,,कॉलेज की सियासत
हो ,,मज़दूरों की सियासत हो ,,,,पत्थर मज़दूर ,,,बीड़ी मज़दूरों की सियासत हो
,,अमीरों के खिलाफ गरीबो का संघर्ष हो हर बार फरीदुल्ला का ,,,,,,इंक़लाब
ज़िंदाबाद ,,,,का नारा जेल की सींखचों तक पहुंचाता और जनता की दुआओं से जेल
के ताले खुल जाते ,,,आपात काल का सबसे पहले विरोध करने वाले फरीदुल्ला के
खिलाफ प्रशासन एक जुट हुआ और इन्हे मीसा बंदी बनाया गया ,,,,इनके साथ कई
बढ़ी हस्तियां जो केंद्र में मंत्री भी रहे मौजूद थी ,,जेल में यह
मुस्कुराते ,,हँसते ,,हँसाते ,,,,जेल में भी फरीदुल्ला सम्मानजनक संघर्ष
और न्याय के लिए भूख हड़ताल पर बैठे ,,,जेल अधिकारीयों पुलिस ज़ुल्म के शिकार
हुए ,,आखिर में फिर आपात काल का काला क़ानून खत्म हुआ और फरीदुल्ला सहित
सभी मीसा बंदी रिहा हुए ,,लगभग सभी मीसा बंदियों को जनता पार्टी के वक़्त
सियासी भागीदारी ,,सियासी सम्मान मिला ,,कोई मंत्री कोई पदाधिकारी बना
,,लेकिन फरीदुला ने सभी सुखः सुविधाओ की पेशकशें ठुकरा कर ,,फिर एक नए
संघर्ष का रास्ता चुना ,,,,देश भर के जो आपात काल के बंदी थे उन्हें आपात
काल के दंड के बदले आज़ादी के सिपाही का दर्जा दिलवाने का संघर्ष इन्होने
चुना ,,,जो मीसा बंदी सत्ता की चाशनी में डूबकर सरकार में मंत्री सहित
प्रमुख ओहदों पर बैठकर मज़े उड़ा रहे थे उन लोगों ने फरीदुल्ला के इस विचार
इस फार्मूले की खिल्ली उड़ाई ,,लेकिन एकला चालो रे की नीति पर फरीदुला ने
फिर संघर्ष की अंगड़ाई ली ,,,आपात काल के दौरान भिखमंगो की ज़िंदगी जी रहे
शीर्ष नेताओ को नामज़द किया ,,,उनके मंत्री और नेता बनने के पहले की ज़िंदगी
और फिर खर्चीली करोडो करोड़ रूपये की आमदनी को लेकर सवाल उठाये ,,विधानसभाओ
में ,,लोकशबा ,,राजयसभा में ऐसे लोगों की आमदनी और खर्च को लेकर पत्र लिखे
,,,सुचना के अधिकार अधिनियम के तहत इनकी रोड पति से करोड़पति होने की
जानकारी चाही तब सभी लोग हैरान परेशान हुए और फरीदुल्ला के साथ ज़मीनी
आपातकाल के सिपाहियों को पेंशन ,,स्वतंत्रता सेनानियों की तरह आपात काल
सेनानियों के सम्मान की लड़ाई में शामिल हुए ,,देश भर में हज़ारो यात्राये कर
फरीदुल्ला ने हज़ारों बेठके आयोजित की ,,लोगों को सूचीबद्ध किया ,,,जोड़ा
,,,और फिर एक दिन फरीदुल्ला के जीत के जश्न का था ,,गैर कोंग्रेसी सरकार के
मुख्यमंत्रियों ने अपने अपन राज्यों में आपात कालीन बंदियों के लिए पेंशन
योजना की घोषणा की ,,सभी ने फरीदुल्ला की पीठ थपथपाई ,,,फरीदुल्ला ने देश
भर के मीसाबंदियों को एक किया ,,अटल बिहारी वाजपेयी ,,लालकृष्ण आडवाणी
,,,जॉर्ज फर्नाडीज ,,मायाबती ,,नरेंद्र मोदी ,,मुलायम सिंह ,,लालू यादव
,,,,सुषमा स्वराज ,,अरुण जेठली सहित जो भी गैर कोंग्रेसी नेता रहे है
उन्हें सभी को संघर्ष का हिस्सा बनाया और आज राजस्थान सहित पुरे देश के
गैर कोंग्रेसी शासित राज्यों में मीसा बंदियों की पेंशन योजना लागू है
,,,वोह बात अलग है के फरीदुल्ला के मूल राज्य राजस्थान के गृह ज़िले कोटा के
कई मीसा बंदी आज भी पेंशन का फॉर्म लेकर अपनी अभिरक्षा के सुबूत लेकर
पेंशन हांसिल करने के लिए दर दर भटक रहे है ,,,,तो दोस्तों फरीदुल्ला एक
सियासत नहीं एक संघर्ष है जो मज़बूत इरादों के साथ अपनी जायज़ मांग पूरी
करवाने की ताक़त रखते है ,,,आज भी कोटा में रह रहे फरीदुल्ला परदे के पीछे
रहकर अपनी सियासत चलाते है ,,देश भर के शीर्ष भाजपा नेताओ ,,सत्ता पक्ष से
जुड़े लोगों से मुद्दो की ताजनीति पर बतियाते है ,,अपना दखल रखते थे ,,वोह
सहज ,,सरल ,,हंसमुख ,,निर्भीक ,,अड़ियल है ,,उनके सिद्धांतो से कोई सहमत हो
या ना हो लेकिन देश भर में उन्हें सियासी तोर पर दी जाने वाली सुख सुविधाये
उन्होंने त्याग कर मीसा बंदियों के लिए संघर्ष कर उन्हें जो इन्साफ ,,जो
हक़ ,,जो सम्मान दिलाया है उसके लिए वोह इतिहास पुरुष बन गए है
,,,,,फरीदुल्ला को बधाई ,,मुबारकबाद ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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