दोस्तों मुझे आपकी सलाह और हुक्म की जरूरत है ..मेरे अपने कुछ दोस्त ..मेरे अपने कुछ मित्र पिछले कुछ दिनों से मुझे सलाह देते है के आप तीखा और सीधा लिखते हो इसे आप बंद करो ..दुश्मनी में कोई फायदा नहीं दुसरे भी तो खामोश है आप क्यूँ और किसलिए लोगों को अपना दुश्मन बनाते हो ...कुछ मित्र कहते है के आप भी हमारी तरह से सियासी खेमे में आ जाए नेता जी जो कहे वोह करे वफादार उनके हो जाए देखो फिर तुम कहा किस बुलंदी पर पहुंचते हो आप अपनी लेखनी ब्रेन का सही इस्तेमाल करना नहीं जानते समाज वमाज सिद्धातों में कुछ नहीं रखा है तरक्की करो पहले ही बहुत पिछड़ गए हो हम तुम्हे सियासी बुलंदियों पर पहुंचना चाहते है बहुत नुकसान सच बोलकर सच लिखकर उठा चुके हो अब खुद को बदल लो ..दोस्तों मेरे मित्रों की यह राय आई है मेरी समझ में नहीं आता मेरा क्या नुकसान हुआ दो रोटी खुदा ने दे रखी है ..रात को सुकून से सोता हूँ ..किसी का कर्जा नहीं ...खुद का अपना रोज़गार है ..आप जेसे मित्रों का प्यार है और मुझे क्या चाहिए एक सुकून है आज़ादी का सच लिखने का सच बोलने का अपनी बात अपनों की बात बेबाकी से कहने और लिखने का सुकून है के हम आज़ाद है किसी के गुलाम नहीं किसी सियासी पार्टी या फिर किसी नेता का पट्टा गले में डालकर उसकी डोर उस नेता के हाथ में नहीं दे रखी के हर काम उस नेता से पूंछ कर करना पढ़े ...अब बताओ मेरी मित्रों में अपने इन शुभचिंतक सलाहकारों की बात मान कर खुद को बदलू या नहीं ....एक सवाल आपके नाम जिसके जवाब से में अपना निर्णय ले सकूंगा ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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