आपका-अख्तर खान

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18 अगस्त 2013

ऐ मोत तू जरा गोर से सुन ले ..

ऐ मोत
तू जरा गोर से सुन ले ..
तूने जिंदगियां खत्म की होंगी
लेकिन
एक बार
मेरी जिंदगी के बारे में सुन ले ..
मेरे कुछ पल ..कुछ क्षण ..कुछ यादे ..
मेरे अपनों ..मेरे परायों के साथ
ऐसे भी गुज़रे है
जो
यादगार बन गए है ..
इसलियें कहता हूँ ऐ मोत
वक्त से पहले
हा वक्त से पहले
तू मुझे खत्म भी कर दे अगर
तब भी
मेरी जिंदगी के कुछ लम्हे
याद बनकर
धडकन बनकर
साँसे बनकर
कुछ लोगों के दिल में
जिंदा रहेंगे .जिंदा रहेंगे
तब तू ऐ मोत
सोच लेना
मान लेना
मेरी जिंदगी
मेरी साँसे
मेरी धड़कने
वक्त से पहले खत्म करने का
तेरा इरादा ,बेकार ,बेमाने
साबित हुआ है
ऐ मोत
वक्त से पहले
तू मेरी जिंदगी तो ले ले
मेरी सांसे तो लेले
लेकिन फिर भी
हारना तो तुझे ही होगा
हारना तो तुझे ही होगा
में तो फिर भी
कुछ पल कुछ क्षण ही सही
मेरे अपनों
मेरे परायों
की यादों में ...साँसों में ..धडकनों में
ज़िंदा रहूँगा ..जिंदा रहूंगा
ऐ मोत तू सुन ले ..तू सुन ले

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