नई दिल्ली। बम बनाने में माहिर आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को
दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। करीब 20 साल से फरार टुंडा की उम्र
70 साल है। वह 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों समेत 40 हमलों में आरोपी
है। इनमें से 21 केस तो सिर्फ दिल्ली के हैं। टुंडा को उत्तराखंड से लगी
नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया है।
टुंडा भारत की ओर से पाकिस्तान को भेजी 20 मोस्टवांटेड की सूची में शामिल था। इस लिस्ट में से यह पहली गिरफ्तारी है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे शुक्रवार को पकड़ा और शनिवार को कोर्ट में पेश कर दिया। अदालत ने उसे तीन दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया है। अब्दुल करीम टुंडा को लश्कर आतंकी हाफिज सईद के साथ दाऊद इब्राहिम का भी करीबी माना जाता है। टुंडा 1993 के धमाकों के बाद बांग्लादेश भाग गया था। वहां से पाकिस्तान चला गया। ज्यादातर समय वह कराची और लाहौर में ही रहा। वहीं से साजिशों को अंजाम दिया। वर्ष 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी टुंडा ने धमाके की साजिश रची थी।
दिल्ली स्पेशल पुलिस कमिश्नर (स्पेशल सेल) एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि टुंडा के पास से अब्दुल कुद्दूस के नाम का पाकिस्तानी पासपोर्ट भी मिला है। पासपोर्ट इसी साल 23 जनवरी को जारी हुआ है।
पहले मरने की अफवाह फैलाई गई
2000 से 2005 के बीच माना जाता था कि टुंडा मर चुका है। उसके बारे में आतंकी संगठनों ने अफवाहें फैलाई कि बांग्लादेश में वह मारा गया। फिर खबर आई कि वह केन्या में गिरफ्तार हो गया है। 2005 में गिरफ्तारी के बाद लश्कर के आतंकी अब्दुल रजाक मसूद ने खुलासा किया था कि टुंडा जिंदा है। उसके दो बच्चे हैं।
गाजियाबाद का रहने वाला है
टुंडा दिल्ली से महज 70 किमी दूर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के पिलखुवा का रहने वाला है। आतंकी बनने से पहले वह बढ़ई, कपड़े और रद्दी का काम कर चुका है। उसका छोटा भाई अब्दुल मलिक अब भी गाजियाबाद में ही रहता है।
आसपास की चीजों से बम बनाने में माहिर
टुंडा बम बनाने में माहिर है। यूरिया, नाइट्रिक एसिड, पोटेशियम क्लोराइड, नाइट्रोबेंजीन और चीनी के इस्तेमाल से भी वह बम बना सकता है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी उसकी करीबी रही है। उसके बाद वह अमोनियम नाइट्रेट और पोटेशियम क्लोरेट को मिलाकर बम तैयार करने लगा। एक दिन बम तैयार करते समय विस्फोट से उसका एक हाथ बेकार हो गया। इसके बाद लोग उसे टुंडा कहने लगे।
टुंडा भारत की ओर से पाकिस्तान को भेजी 20 मोस्टवांटेड की सूची में शामिल था। इस लिस्ट में से यह पहली गिरफ्तारी है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे शुक्रवार को पकड़ा और शनिवार को कोर्ट में पेश कर दिया। अदालत ने उसे तीन दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया है। अब्दुल करीम टुंडा को लश्कर आतंकी हाफिज सईद के साथ दाऊद इब्राहिम का भी करीबी माना जाता है। टुंडा 1993 के धमाकों के बाद बांग्लादेश भाग गया था। वहां से पाकिस्तान चला गया। ज्यादातर समय वह कराची और लाहौर में ही रहा। वहीं से साजिशों को अंजाम दिया। वर्ष 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी टुंडा ने धमाके की साजिश रची थी।
दिल्ली स्पेशल पुलिस कमिश्नर (स्पेशल सेल) एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि टुंडा के पास से अब्दुल कुद्दूस के नाम का पाकिस्तानी पासपोर्ट भी मिला है। पासपोर्ट इसी साल 23 जनवरी को जारी हुआ है।
पहले मरने की अफवाह फैलाई गई
2000 से 2005 के बीच माना जाता था कि टुंडा मर चुका है। उसके बारे में आतंकी संगठनों ने अफवाहें फैलाई कि बांग्लादेश में वह मारा गया। फिर खबर आई कि वह केन्या में गिरफ्तार हो गया है। 2005 में गिरफ्तारी के बाद लश्कर के आतंकी अब्दुल रजाक मसूद ने खुलासा किया था कि टुंडा जिंदा है। उसके दो बच्चे हैं।
गाजियाबाद का रहने वाला है
टुंडा दिल्ली से महज 70 किमी दूर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के पिलखुवा का रहने वाला है। आतंकी बनने से पहले वह बढ़ई, कपड़े और रद्दी का काम कर चुका है। उसका छोटा भाई अब्दुल मलिक अब भी गाजियाबाद में ही रहता है।
आसपास की चीजों से बम बनाने में माहिर
टुंडा बम बनाने में माहिर है। यूरिया, नाइट्रिक एसिड, पोटेशियम क्लोराइड, नाइट्रोबेंजीन और चीनी के इस्तेमाल से भी वह बम बना सकता है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी उसकी करीबी रही है। उसके बाद वह अमोनियम नाइट्रेट और पोटेशियम क्लोरेट को मिलाकर बम तैयार करने लगा। एक दिन बम तैयार करते समय विस्फोट से उसका एक हाथ बेकार हो गया। इसके बाद लोग उसे टुंडा कहने लगे।
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