देश में इन दिनों प्रधानमन्त्री पद पर नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी को लेकर
बेवजह बवाल मचा हुआ है ..इस बवाल से ऐसा लगता है के देश के सियासी लोग पागल
हो गये है उनका संवेधानिक सेन्स खत्म हो गया है ..नरेंद्र मोदी भी दुसरे
लोगों की तरह एक आम हिन्दुस्तानी है और उन्हें उनकी योग्यता के अनुरूप संसद
का चुनाव लड़ने और प्रधामंत्री पद के लियें उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट
करने से कोई भी कानून नहीं रोक सकता यह उनका संवेधानिक हक है ..यह भाजपा
का आंतरिक मामला है के वोह किस चेहरे को प्रधामंत्री के रूप में पेश करे
अगर मोदी भी इस पद के लियें आते है तो कमसे कम उनमे तो है के वोह चोर
दरवाज़े से राज्यसभा के जरिये प्रवेश कर प्रधानमन्त्री नहीं बनेंगे वोह का
चुनाव जनता के बीच जाकर लड़ेंगे जनता का दर्द समझेंगे और फिर प्रधानमत्री
पद की दावेदारी जताएंगे चुनाव के वक्त गठबंधन दल आयाराम गया राम की तरह से
क्या करेंगे यह तो वक्त बतायेगा ..खरीद फरोख्त क्या होगी यह भी वक्त
बतायेगा लेकिन मोदी की प्रधामंत्री पद की दावेदारी या उम्मीदवारी पर इस तरह
का बावेला सियासी तोर पर मिडिया के हिसाब से भी जो प्रचार किया जा रहा है
एक पागलपन विक्षिप्त मानसकिता का नतीजा है ............अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
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