जयपुर.महानगर की एसीजेएम कोर्ट (12) ने रास्ता रोकने, राजकार्य
में बाधा डालने व ड्यूटी के दौरान लोक सेवकों से मारपीट के 15 साल पुराने
मामले में चिकित्सा राज्य मंत्री राजकुमार शर्मा, विधायक हनुमान बेनीवाल व
अन्य विजय देहडू को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इन पर 20,250
रुपए जुर्माना भी लगाया। हालांकि कोर्ट ने तीनों को 5,000 हजार रुपए की
जमानत पर रिहा कर दिया।
न्यायिक मजिस्ट्रेट वंदना राठौड़ ने कहा कि विधानसभा व संसद में जिस
तरह जन प्रतिनिधि आपस में गाली गलौज व मारपीट करते हैं, संभवत: वह इसी
सारहीन राजनीति का परिणाम है। इस मामले में कानून- व्यवस्था बनाए रखने के
लिए पुलिस का जाब्ता रास्ते को खुलवाने में लगा था। लेकिन आरोपियों ने वहां
पर जमाव किया और कानून के खिलाफ जाकर बैनर व ड़डों से पिटाई कर मानव जीवन
पर संकट पैदा किया।
कोर्ट ने तीन पुलिसकर्मियों मन्नालाल, खैराती लाल व नारायण के कोर्ट
में सच बोलने संबंध में कहा कि आरोपियों की मौजूदा हैसियत को देखते हुए
इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई व अनावश्यक ट्रांसफर कर इन्हें प्रताड़ित नहीं
किया जाए और डीजीपी व्यक्तिगत रूप से इनके मामले को देखें।
ऐसे नेता नहीं चाहिए जो भ्रष्ट तरीके से आया हो : कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा छात्र राजनीति का रचनात्मक कार्यो से सरोकार
नहीं है। छात्र नेता बल प्रदर्शन व धन प्रयोग से राजनीतिक महत्वाकांक्षा की
पूर्ति में लगे हैं, जिससे कि रातों रात राजनेताओं की नजर में आ जाएं व
राजनीति में भविष्य सुनिश्चित करलें। लेकिन देश को ऐसे नेता नहीं चाहिए।
मारपीट बर्दाश्त नहीं
कोर्ट ने कहा कि पुलिस का जाप्ता एसएमएस अस्पताल की ओर वाले रास्ते को
खोलने में लगा था, ऐसे में उनके साथ मारपीट करना बर्दाश्त नहीं किया
जाएगा। युवाओं को कानून हाथ में लेने व जमा होने की अनुमति नहीं दी जा सकती
जिसे पुलिस ने मौके से हटने का निर्देश दिया हो। ऐसे में पुलिस को उन्हें
पीटने का अधिकार दिया जा सकता है।
यह है मामला
तत्कालीन एसआई लक्ष्मीनारायण ने 8 सितंबर 1997 को लालकोठी पुलिस थाने
में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि जयपुर बंद (जनता कफ्र्यू) के दौरान न्यूगेट
से अजमेरी गेट तक जाम लगा हुआ था। महाराजा कॉलेज के सामने 70-80 लोग हनुमान
बेनीवाल, राजकुमार शर्मा व विजय देहडू के नेतृत्व में सड़क पर तीन जीप
खड़ी कर रास्ता रोक रखा था।
पुलिसकर्मियों ने उन्हें हटाने का प्रयास किया तो वे बैनरों के डंडे
लेकर पीछे भागे। इससे पुलिसकर्मियों के चोटें आई। पुलिस ने अभियुक्तों के
खिलाफ 20 अक्टूबर 1997 को चालान पेश किया।
सुन्दर लेखनी !!!
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