जयपुर.सोमवार को जवाहर कला केंद्र के मंच पर बुजुर्ग राजस्थानी
साहित्यकार रानी लक्ष्मी कुमारी चूंडावत और विजय दान देथा को जब व्हील
चेयर पर जतन के साथ राजस्थान रत्न अवार्ड के लिए लाया गया तो शब्दों के ये
दोनों खिलाड़ी मंच की चमक और हॉल में गूंज रही तालियों की गड़गड़ाहट को
बड़ी शिद्दत के साथ महसूस कर रहे थे, उनके रोम-रोम में बसा साहित्य का अकूत
भंडार मानो यह सम्मान पाकर एक बार फिर से जीवंत हो उठा। ये बात दीगर है कि
अस्वस्थता की वजह से इस सम्मान को मिलने की चमक उनके चेहरों पर उन्हीं के
साथ सम्मानित हुए पं. विश्वमोहन भट्ट की तरह उजागर नहीं हो पाई।
राजस्थान के इन रत्नों को उम्र के इस नाजुक पड़ाव पर रत्न सम्मान
मिलते देखकर मन बरबस ही कह उठा.. लाना पड़ा मंच पर करके जिन्हें जतन, आयु
के इस मोड़ पर समझा उनको रतन। मिलता समय पर मान तो प्रफुल्लित होता इनका भी
मन, ना जाने इस मर्म को कब समझेंगे हुक्मरान।।
राजस्थान सरकार द्वारा पिछले दिनों राजस्थान की कला, साहित्य और
संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वालों को भारत रत्न की तर्ज
पर राजस्थान रत्न अवार्ड से नवाजने की घोषणा की गई थी।
उसी को अमली जामा पहनाने के लिए जवाहर कला केंद्र में राजस्थान रत्न
सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर राजस्थानी साहित्यकार रानी
लक्ष्मी कुमार चूंडावत, कथाकार विजय दान देथा और मोहनवीणा वादक पं.
विश्वमोहन भट्ट के अलावा कन्हैयालाल सेठिया, कोमल कोठारी, जगजीत सिंह और
अल्लाह जिलाई बाई को मरणोपरांत यह सम्मान प्रदान किया गया।
जनगणमन के साथ शुरू हुए समारोह में राजस्थान के इन सातों रत्नों को
राज्यपाल मार्गेट अल्वा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कला और संस्कृति मंत्री
बीना काक ने एक लाख रुपए नकद, शॉल, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर
सम्मानित किया।
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