हिन्दू धर्म में पीपल को देव वृक्ष माना जाता है। मान्यता है कि पीपल की जड़, मध्य भाग व अगले भाग में क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। श्रीमद्भगवद्गीता में भी भगवान ने इसे स्वयं का स्वरूप बताकर 'अश्वत्थ' कहकर भी पुकारा है। यही नहीं, इसकी शाखाओं व अन्य भागों में वसु, रुद्र, वेद, यज्ञ, समुद्र, कामधेनु के साथ ही कई देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। इसलिए सांसारिक जीवन से जुड़ी हर कामनासिद्धि और दु:ख-दरिद्रता का अंत पीपल पूजा द्वारा संभव हो जाता है।
इसी तरह पीपल पूजा ग्रह दोष शांति करने वाली भी मानी गई है। खासतौर पर शनि दोष शांति के लिए पीपल पूजा बड़ी ही असरदार मानी गई है। कल शनिवार (24 नवंबर) को शनि उपासना के साथ देवउठनी एकादशी पर विष्णु भक्ति का भी अचूक संयोग होगा।
यही वजह है कि कल के शुभ दिन देवमूर्ति की पूजा या मंदिर न जाने की दशा में विशेष मंत्र का ध्यान पीपल पूजा कर लेना भी मलीनता, दरिद्रता व सारी मुसीबतों को दूर कर सुख, ऐश्वर्य व धन की कामना को पूरी करने वाली सिद्ध होगी।
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