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23 नवंबर 2012

फांसी के वक्त भी मौत को चकमा देने की फिराक में था कसाब


नई दिल्‍ली।  कसाब को लश्कर-ए-तैयबा के कैंप में मुश्किल परिस्थितियों में भी जीवित रहने की ट्रेनिंग दी गई थी। इनमें से 10से 15 मिनट तक सांस रोके रखने की ट्रैनिंग भी थी। सूत्रों के मुताबिक कसाब ने फांसी के दौरान फेफड़ों में ऑक्सीजन भरकर काफी देर तक सांस रोके रखी थी। शायद वो एक बार फिर मौत को चकमा देने की फिराक में था।
 
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक कसाब को मुंबई हमले के लिए चुने जाने से पहले कठोर ट्रैनिंग दी गई थी। एक सूत्र के मुताबिक, पानी के अंदर या धुआं भरने की स्थिति में कसाब 10 से 15 मिनट तक सांस रोक सकता था। इससे साबित होता है कि वो फांसी पर लटकाए जाने से कुछ मिनट पहले भी पूरी तरह सतर्क था। सिपाही बालु मोहिते ने लीवर खींचकर कसाब को फांसी पर लटकाया। यरवडा जेल से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को फांसी पर लटकाए जाने के दौरान सामान्य तौर पर दो मिनट के भीतर दम निकल जाता है। लेकिन कसाब का दम निकलने में 6 से 7 मिनट लगे क्योंकि उसने अपने फेफड़ों में भारी मात्रा में ऑक्सीजन इकट्ठा कर ली थी और वो कम से कम 6 मिनट तक सांस रोकने में सक्षम था। 
 
कसाब को बुधवार सुबह सात बजकर तीस मिनट पर फांसी पर लटकाया गया था और उसे सात बजकर चालीस मिनट पर फंदे से उतारा गया। कसाब के शव की जांच करने वाले डॉक्टरों ने उसके शरीर में कोई हरकत नहीं देखी और उसे सात बजकर 45 मिनट पर मृत घोषित कर दिया गया।

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