भाजपा के वरिष्ठ नेता हनुमान शर्मा का रंगपुर स्टेशन रोड प्रकरण में कोटा विकास प्राधिकरण को सुझाव
के डी अब्बासी
कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष लोकतंत्र सेनानी हनुमान शर्मा ने कोटा विकास प्राधिकरण को सुझाव देते हुए बताया है कि कोटा
जंक्शन रेलवे स्टेशन के लिये कई मार्गो से आने जाने की व्यवस्था की जानी चाहिये* यातायात का भार कम होगा। किसी भी दुकानदार/आवासीय इत्यादि को बिना तोडे यह किया जा सकता हैं। महत्वपूर्ण बिंदुओ पर आपका ध्यान आकर्षण है, *इसे गंभीरता से विचार कर लागू किया जाना चाहिये।*
*महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार है कि:-*
(1) *कोटा जंक्शन रेलवे स्टेशन जाने वाला यातायात सीधा मनोज टाकीज/हाट रोड से निकाल कर अजय आहूजा पार्क होता हुवा देशराज चौराहे से मुड़कर वहा की दुकानों को हटाता हुवा रेलवे के बंगले को भी हटाता हुवा चोडा करण करता हुवा कोटा जंक्शन पहुचे।* रही बात देशराज चौराहे की जो भी दुकाने जाएगी वो सामने यूआईटी कोटा ने बना दी है उसमें शिफ्ट किया जाये जिससे इन दुकानदारो को वही पर दुकाने मिल सके। इन बनाई गई दुकानों को अवैध रूप से दिया गया उनसे वापस लिया जाना चाहिये। रेलवे के बगलों को तोडता हुवा डीआरएम आफिस परिसर को तोड़ता हुवा चोडा करता हुवा मुख्य रेलवे स्टेशन कोटा जंक्शन पर चला जाये इससे मुख्य बाजार के यातायात में कमी आयेगी। हाट स्थल अन्यत्र जाये। संभागीय आयुक्त के साथ जिला प्रशासन की जिला पुलिस प्रशासन यातायात प्रशासन नगर निगम ओर रेलवे प्रशासन की महत्वपूर्ण बैठक हुई थी मिनट्स भी बने थे। उसके बाद ही यूआईटी ने दुकाने बनाई थी। इससे भी कोटा जंक्शन/मुख्य बाजार का यातायात भार बटेगा व कम होगा।
(2) *रंगपुर रोड ओवरब्रिज पर से दो मार्ग निकाल कर समाधान किया जाना चाहिए। ओवरब्रिज तिराहे पर से जहा से भी निकल सकता हो वहा से एक हाथ यानी एक रास्ता कोटा जंक्शन की ओर उतारा जाना चाहिए दूसरा हाथ यानी रास्ता संजयनगर की ओर उतारा जाना चाहिए। इस तरफ ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।*
(3) *कोटा जंक्शन के पास वाले अंडरब्रिज से निकलने वाले यातायात को अंडरब्रिज के सामने वाले रेलवे रेस्टहाउस के बंगले को हटाकर सामने हाट रोड से मिलाना चाहिये।* इस प्रकार से मिलाया जाये कि तिराहा है वो चौराहा बन जाये जिसको शहर जाना हो वो हाट रोड से निकलता हुवा शहर की ओर चला जाये दूसरा रास्ता जिसको जनकपुरी व बोरखेड़ा बारां रोड की ओर जाना हो वो चला जाये तीसरा रास्ता श्रीराम मंदिर होता हुवा मुख्य बाजार चला जाये चौथा रास्ता अंडरब्रिज होता हुवा रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म न. 4/3 की ओर साथ ही पुरोहित जी की टॉपर इत्यादि पूरा एक उपनगर बसा है जिसको जहा जाना हो चला जाये जिससे यातायात में भारी कमी आयेगी ओर जाने व आने वाले लोग सीधे ही निकल जायेगे, कोटा जंक्शन रेलवे प्लेटफार्म नम्बर 4 व 3 का भारी यातायात है इसे कम नही आंकना चाहिये अत्यधिक यातायात है मुख्य बाजार इत्यादि में भीड़ में भारी कमी होगी।
(3क) *कोटा जंक्शन रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म नम्बर 4 व 3 की तरफ रेलवे ने भारी राशि खर्च कर रेलवे स्टेशन बनाया है वहा न तो समुचित पार्किंग है नही कोई व्यवस्था है* इधर से जबरदस्त यात्री भार/आमजन का भार निकलता है ओर जाम लग जाता है कोई ट्रैफिक पुलिस भी नही है और न ही आर पीएफ का कोई जवान रहता है जो कि होना चाहिए। रेलवे के दोनों साइड के बंगले को तोडकर मार्ग चोडा किया जाना चाहिये इस पर ध्यान दिया तो भीड़ में भारी कमी आयेगी, वैसे भी किसी समय आमजनता की धन राशि खर्च कर यह रेलवे के बंगले बनाये गये थे अब खण्डर हो रहे है ओर कई लोगो ने कब्जा कर रखा है कोई ध्यान नही है कोई धनी धोरी नही है।
(3ख) *केडीए कोटा से निवेदन है कि कोटा जंक्शन रंगपुर रोड इत्यादि की जमी जमाई दुकाने नही उजाडे इससे ढेर सारे परिवार जन अपना पालन पोषण कर रहे है, आवासीय जन जो 70/80 वर्षो से भी अधिक समय से निवास कर रह रहे है। आप कितनी ही धन राशि दे दे वापस कहि अपना व्यवसाय जमा पायेगे? कई विकल्प मार्ग है कई प्रकार की टेक्निक है इन सभी पर विचार किया जाना चाहिये जिससे यातायात को सुगम बनाया जा सकता है।*
(4) *कोटा जंक्शन रेलवे स्टेशन का मुख्य रेलवे स्टेशन की ओर रेलवे ने करोड़ो रूपये खर्च कर दिये वो बट्टे खाते गये* परन्तु सर्कुलेटिंग एरिया ठीक नही कर पाये वो ही भारी भीड वर्षो से देख रहा हु। रेलवे स्टेशन का बाहरी क्षेत्र 40 वर्षो पहले जगन्नाथ जी जलेबी वालो ओर चेतना रेस्टोरेंट के यहा से जाया करते थे तो रेलवे की यूनियन रेलवे एंप्लाइज यूनियन ओर रेलवे मजदूर संघ के आफिस के गेट सडक की तरफ थे डीआरएम आफिस परिसर के अंदर की तरफ नही थे। इससे आने जाने वाले यातायात में एक यह भी रुकावट रहे। बाहरी क्षेत्र फिर ठीक किया अच्छी खासी राशि खर्च की लेकिन इन दोनों यूनियन के सभागार फिर नये रास्ते मे आड़े आये इन सभागारों में शादी व्याह पार्टियां होने लगी वही भारी भीड आमजनता का सारा रुपया व्यर्थ गया स्कूटर स्टेण्ड इत्यादि बिना सोचे समझे बनाया गया। रेलवे ने स्वागत द्वार दोनो रास्तो पर ऐसे बनाये गये की जिससे रास्ते मे ही रुकावट आयी ऐसा कार्य है रेलवे प्रशासन का, आज भी समुचित व्यवस्था नही हो पायी। सोच समझकर जिला प्रशासन और रेल प्रशासन मिल बैठकर आमजन/आम यात्रियों की सुविधा करे। जिससे अत्यधिक यातायात में कमी हो सके।
(4क) *कोटा जंक्शन के सरकूलेंटिग एरिया में वर्तमान के स्कूटर स्टैंड के पास 16000 स्क्वायर फिट में 2 फ्लोर में मॉल ओर बाकी 6 फ्लोर में होटल इत्यादि बन रहा है कुल 8 फ्लोर की बिल्डिंग रहेगी। ऐसा जानकरी में आया है ये बहुत बडा व्यापारिक केंद्र बन रहा है। कहि ऐसा तो नही ये कोटा जंक्शन के व्यापार को निगल जायेगा।*
(4ख) *वर्षो से देखने मे आ रहा है कि बार बार आप लोगो की प्लानिग चेंज हो रही है* और मास्टर प्लान भी बार बार बदल रहा है। अभी समाचार पत्रों द्वारा पता चला कि अब नया मास्टर प्लान बनेगा किसी को जमने दिया जायेगा ? आमजन/छोटे छोटे दुकानदार राहत की सांस ले पायेगे ? हमेशा भय का वातावरण बना रहता है। नगरनिगम भी मास्टर प्लान के अनुसार काम नही कर पाता है व कर भी नही रहा है। कभी मनोज टाकीज से निकालेगे कभी मुख्यबाजार के ऊपर से ओवरब्रिज बनेगा/ सड़क चौडी करेगे कभी रंगपुर रोड पर ओवरब्रिज बनायेगे तो कभी सडक चोडी करेगे। जो भी किया जा रहा है वो समझ से परे है
(5) *कोटा स्टेशन क्षेत्र में एक भी पार्किंग स्थल नही है ऐसे में सारे वाहन मुख्य बाजार में आकर भीड बढाते है।* पार्किंग से बहुत बड़ी समस्या हल होने में सहायक हो सकती है।
लालबहादुर शास्त्री पार्क के नीचे या थाने के थोडा आगे से लेकर माला वालो के पहले अंडर ग्राउंड पार्किंग स्थल बनाया जाना चाहिये और कोई भी जगह देखी जा सकती है। सभी दुकानदारो ओर बाजार में खरीदारी करने वालो के वाहन पार्किंग में खड़े होने से बाजार की भीड में कमी आ सकती है।
(6) *कोटा जंक्शन के मुख्य बाजार इत्यादि की देख रेख होनी चाहिये ट्रैफिक कंट्रोल किया जाना आवश्यक है।* यात्री गाड़ियों के समय पर और भी किस समय यातायात भार रहता है उस समय तो ट्रैफिक पुलिस और पुलिस नियंत्रित करे। मुझे याद आता है कि भीममंडी के सी आई सिंघम हर्षराज जी खरेडा थे उन्होंने गुंडागर्दी के साथ पूरे क्षेत्र को व्यवस्थित किया था। न किसी की दुकान टूटी न ही किसी का मकान फिर भी सब सही रहा।
वही दुकाने/ठेले वाले वही आवासीय जन ओर आमजन सब ठीक ठाक रहा।

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