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20 दिसंबर 2025

चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता सीधे सत्र न्यायालय में अपील कर सकता है:-मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

 

चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता सीधे सत्र न्यायालय में अपील कर सकता है:-मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
केस शीर्षक-
CRIMINAL APPEAL No. 12024 of 2025
NARAYAN CHOUHAN
Versus
SANTOSH CHOHAN
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण कानूनी स्पष्टता देते हुए कहा है कि चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता ‘पीड़ित’ के रूप में सीधे सत्र न्यायालय में अपील दायर कर सकता है।
इसके लिए हाईकोर्ट से अनुमति (Leave) लेना आवश्यक नहीं है।
मामला क्या था-
मामले में ट्रायल कोर्ट ने चेक बाउंस के एक प्रकरण में आरोपी को बरी कर दिया था इसके बाद शिकायतकर्ता ने इस बरी के आदेश के खिलाफ सीधे सत्र न्यायालय में अपील दायर की।
हालांकि, अपील की पोषणीयता पर आपत्ति उठाई गई कि
शिकायतकर्ता को पहले हाईकोर्ट से अनुमति लेनी चाहिए थी
बिना अनुमति के सत्र न्यायालय में अपील दाखिल नहीं की जा सकती
हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी-
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस आपत्ति को खारिज करते हुए कहा
चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता स्वयं पीड़ित होता है और दंड प्रक्रिया संहिता के तहत उसे अपील का स्वतंत्र अधिकार प्राप्त है।
अदालत ने क्या स्पष्ट किया-
हाईकोर्ट ने निम्न बिंदुओं को स्पष्ट किया-
चेक बाउंस का मामला मूल रूप से शिकायतकर्ता को प्रत्यक्ष आर्थिक क्षति से जुड़ा होता है
ऐसे मामलों में शिकायतकर्ता ‘पीड़ित’ की श्रेणी में आता है
पीड़ित को बरी के आदेश के विरुद्ध सीधे सत्र न्यायालय में अपील करने का अधिकार है
इसके लिए हाईकोर्ट से अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है
आपराधिक प्रक्रिया में संतुलन
अदालत ने कहा कि-
अपील के अधिकार को तकनीकी बाधाओं से सीमित नहीं किया जाना चाहिए
पीड़ित को प्रभावी और शीघ्र न्याय का अवसर मिलना चाहिए
निचली अदालतों के लिए मार्गदर्शन
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि-
निचली अदालतें अपील की पोषणीयता पर निर्णय करते समयशिकायतकर्ता के पीड़ित होने की स्थिति को ध्यान में रखें
चेक बाउंस मामलों पर प्रभाव
इस फैसले से-
शिकायतकर्ताओं को अपील प्रक्रिया में स्पष्टता मिलेगी
अनावश्यक तकनीकी आपत्तियों से बचा जा सकेगा
न्याय प्रक्रिया अधिक प्रभावी और सरल होगी
निष्कर्ष-
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह निर्णय यह स्थापित करता है कि चेक बाउंस मामलों में शिकायतकर्ता केवल गवाह नहीं, बल्कि पीड़ित होता है ऐसे में वह बरी के आदेश के खिलाफ सीधे सत्र न्यायालय में अपील कर सकता है, और इसके लिए हाईकोर्ट की अनुमति लेना आवश्यक नहीं है।

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