क्या उनके लिए ये काफ़ी नहीं कि हमने तुम पर क़ुरआन नाजि़ल किया जो उनके
सामने पढ़ा जाता है इसमें शक नहीं कि इमानदार लोगों के लिए इसमें (ख़ुदा की
बड़ी) मेहरबानी और (अच्छी ख़ासी) नसीहत है (51)
तुम कह दो कि मेरे और तुम्हारे दरम्यिान गवाही के वास्ते ख़ुदा ही काफी
है जो सारे आसमान व ज़मीन की चीज़ों को जानता है-और जिन लोगों ने बातिल को
माना और ख़ुदा से इन्कार किया वही लोग बड़े घाटे में रहेंगे (52)
और (ऐ रसूल) तुमसे लोग अज़ाब के नाजि़ल होने की जल्दी करते हैं और अगर
(अज़ाब का) वक़्त मुअय्यन न होता तो यक़ीनन उन काफ़िरों तक अज़ाब आ जाता और
(आखि़र एक दिन) उन पर अचानक ज़रुर आ पड़ेगा और उनको ख़बर भी न होगी (53)
ये लोग तुमसे अज़ाब की जल्दी करते हैं और ये यक़ीनी बात है कि दोज़ख़ काफ़िरों को (इस तरह) घेर कर रहेगी (कि रुक न सकेंगे) (54)
जिस दिन अज़ाब उनके सर के ऊपर से और उनके पाँव के नीचे से उनको ढांके
होगा और ख़़ुदा (उनसे) फ़रमाएगा कि जो जो कारस्तानियाँ तुम (दुनिया में)
करते थे अब उनका मज़ा चखो (55)
ऐ मेरे ईमानदार बन्दों मेरी ज़मीन तो यक़ीनन कुषादा है तो तुम मेरी ही इबादत करो (56)
हर शख़्स (एक न एक दिन) मौत का मज़ा चखने वाला है फिर तुम सब आखि़र हमारी ही तरफ़ लौटाए जाओगे (57)
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनको हम
बेहेश्त के झरोखों में जगह देगें जिनके नीचे नहरें जारी हैं जिनमें वह
हमेशा रहेंगे (अच्छे चलन वालो की भी क्या ख़ूब ख़री मज़दूरी है) (58)
जिन्होंने (दुनिया में मुसिबतों पर) सब्र किया और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं (59)
और ज़मीन पर चलने वालों में बहुतेरे ऐसे हैं जो अपनी रोज़ी अपने ऊपर लादे
नहीं फिरते ख़़ुदा ही उनको भी रोज़ी देता है और तुम को भी और वह बड़ा
सुनने वाला वाकि़फकार है (60)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
27 दिसंबर 2025
क्या उनके लिए ये काफ़ी नहीं कि हमने तुम पर क़ुरआन नाजि़ल किया जो उनके सामने पढ़ा जाता है इसमें शक नहीं कि इमानदार लोगों के लिए इसमें (ख़ुदा की बड़ी) मेहरबानी और (अच्छी ख़ासी) नसीहत है
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