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21 नवंबर 2025

घने कोहरे,और ठंड में कोटा से गई टीम ने बारां में लिया नेत्रदान

 घने कोहरे,और ठंड में कोटा से गई टीम ने बारां में लिया नेत्रदान

कोटा रोड, बारां।

कृष्णा नगर बारां  निवासी श्रीमती कांति बाई अजमेरा ने अंतिम सांस ली, तब उनके परिवारजनों ने शोक के क्षण को मानवता की रोशनी में बदल दिया। मातृ-वियोग की पीड़ा में डूबे होने के बावजूद परिवार ने उनका नेत्रदान करवाकर समाज के सामने एक प्रेरक उदाहरण स्थापित किया।

स्व. कांति बाई के भाई सेवानिवृत अभियंता वी सी जैन व पुत्र प्रवीण, नवीन अजमेरा ने मध्य रात्रि में ही भारत विकास परिषद के माध्यम से शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क किया। सूचना मिलते ही कोटा से घने कोहरे के बीच ज्योतिरथ चलाकर शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ. कुलवंत गौड़ पहुँचे और पूरी नेत्रदान प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न की। उल्लेखनीय है कि यह परिवार पहले भी नेत्रदान की इस महान परंपरा में अग्रणी रहा है।

ज्ञात हो अभी दो माह पूर्व ही कांति बाई के बड़े भाई अंता निवासी डॉ एम सी जैन का भी निधन के उपरांत परिजनों ने नेत्रदान संपन्न कराया था ।
नेत्रदान की प्रक्रिया के दौरान

परिषद के पराग टोंग्या, मनीष गोधा, रूपेश जैन सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे।शाइन इंडिया फाउंडेशन के जिला संयोजक हितेश खंडेलवाल ने कहा—

“शहर में नेत्रदान के प्रति जागरूकता निरंतर बढ़ रही है। किसी के जीवन में नेत्रज्योति बनकर लौटना—यह मानवता का अनुपम उपहार है। प्रत्येक व्यक्ति को इस सेवायज्ञ में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।”

भारत विकास परिषद के अध्यक्ष नरेश खंडेलवाल ने बताया कि परिषद जल्द ही जिले के सभी नेत्रदानी परिवारों को सम्मानित करने के लिए एक विशेष समारोह आयोजित करने की तैयारी में है।

उन्होंने कहा—

“जो परिवार नेत्रदान जैसे पुण्य कार्य में आगे आते हैं, वे समाज के लिए प्रेरणा बनते हैं। हम चाहते हैं कि जिन लोगों को इन नेत्रों से दृष्टि मिली है, उन्हें भी समाज के सामने लाकर एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया जाए।”

कांति बाई अजमेर के परिवार की यह संवेदनशील पहल केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह संदेश है कि—

“मनुष्य की पहचान उसके जाने से नहीं, बल्कि उसके द्वारा छोड़ी गई रोशनी से होती है।”

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