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16 नवंबर 2025

अंता बारां हॉट सीट सच्चे कोंग्रेसियों की सच्ची आलोचनात्मक ओरिजनल कोंग्रेसियों की जीत, अंतिम समय की अशोक गहलोत, नासिर नकवी की मन्त्रणा के बाद बदली रणनीति ने गेम ही चेंज कर कोंग्रेस को ज़िंदाबाद कर दिया,

 

अंता बारां हॉट सीट सच्चे कोंग्रेसियों की सच्ची आलोचनात्मक ओरिजनल कोंग्रेसियों की जीत, अंतिम समय की अशोक गहलोत, नासिर नकवी की मन्त्रणा के बाद बदली रणनीति ने गेम ही चेंज कर कोंग्रेस को ज़िंदाबाद कर दिया,
बिहार में कांग्रेस की करारी हार ,के कारण कुछ भी रहे हों , लेकिन राजस्थान की अंता मांगरोल विधानसभा सीट पर ,, कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत के पीछे की अंडर कवर स्टोरी कांग्रेस के भविष्य के चुनाव के लिए जीत के फार्मूले का एक सबक़ साबित हो सकती है , अंता मांगरोल विधानसभा में कंवरलाल मीणा की सदस्य्ता खत्म होने के बाद उप चुनाव थे , राजस्थान में भाजपा की सरकार , उस पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया और देश के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के हाड़ौती क्षेत्र की यह सीट , हॉट सीट थी , यहां कांग्रेस के पूर्व मंत्री प्रमोद जी भाया पिछले मुख्य विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याक्षी कंवरलाल मीणा से हारे थे ,,उप चुनाव में यही प्रमोद जेन भाया , त्रिकोणीय संघर्ष ,, कठिन मुक़ाबले के बावजूद भी , पंद्रह हज़ार वोटों से विजयी घोषित हुए हैं , हार जीत अपनी जगह है ,लेकिन कांग्रेस की यह जीत , इस जीत के लिए कांग्रेस की यह ट्रिक, निश्चित तोर पर भविष्य के चुनाव के लिए एक सबक़ है , एक सीख है , एक व्यवस्था है , जो आगामी चुनावों में भी कांग्रेस की जीत के लिए फायदेमंद हो सकता है , इसीलिए हारी हुई सीट पर , कठिन संघर्ष के बावजूद भी कांग्रेस की इस जीत की अंडर कवर स्टोरी सभी निराश , हताश , चमचे ,,चुनावों के लुटेरे मेंढ़कों के लिए ज़रूरी है ,,हालांकि इस जीत के लिए सभी के प्रयास है , सभी के सहयोग से यह असम्भव कार्य सम्भव हो सका है ,, सभी जानते है ,, नरेश मीणा ने कांग्रेस से प्रमोद भाया के टिकिट की घोषणा के बाद से , दमदारी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना हक़ जता दिया था , राजस्थान के सभी तीसरे मोर्चे के लोगों ने यहां आकर डेरा डाल लिया था , नोटों की थैली खुलवाने के लिए कांग्रेस प्रत्याक्षी की तरफ लुटेरी जोंके इर्द गिर्द मंडराने लगी थीं , लेकिन कांग्रेस की स्थिति , कांग्रेस के परम्परागत वोटर्स एक तरफ तो मीणा वोटर्स के बिखरने , दूसरी तरफ मुस्लिम समाज के वोटर्स की नाराज़गी के माहौल में कांग्रेस के समक्ष कई मुश्किलात थीं , कई गम्भीर चुनोतियाँ थीं , लेकिन ,, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द जी डोटासरा ने अपने सर्वे के बाद डेमेज कंट्रोल के लिए पूरी जान झोंख दी , खुद अपना सारा काम काज छोड़कर बारां केम्प कर अंता उप चुनाव के प्रबंधक बन गए , रोज़ , रोज़ अखिल भारतीय कांग्रेस के पदाधिकारियों , स्टार प्रचारकों , प्रदेश और क्षेत्रीय पदाधिकारियों की स्टार प्रचारकों की सूचि जारी कर उन्हें प्रत्येक भाग संख्या क्षेत्रों में सक्रिय करते रहे , उनसे फीडबैक लेते रहे , कांग्रेस के विरोध का दायरा सिमटता गया , निर्दलीय प्रत्याक्षी नरेश मीणा को समर्थन मिल रहा था , उस समर्थन को डेमेज कंट्रोल कर कोंग्रेस के पक्ष में कन्वर्ट किया जाता रहा , एक तरफ तो प्रमोद भाया खुद , उनकी पत्नी , उनके पुत्र , परिजन , उनके किये गए सेवा कार्यों की दुहाई दे रहे थे , जबकि मॉनेटरी मेंनेजमेंट में भी भाया ने दिल खोलकर प्रबंधन किया ,, हर भाग संख्या के लिए गाड़ी , पेट्रोल , डीज़ल , महमानों के ठहरने वगेरा की पर्याप्त ऐ वन व्यवस्था उन्होंने की , नियमित संवाद बनाये रखा ,, गोविन्द सिंह डोटासरा ने उनके सहयोगी कुलदीप पुनिया प्रदेश अध्यक्ष विधि विभाग को भी बारां केम्प करने के लिए कहा, वहां कई वकील साथी और दूसरे लोग उनसे मुतास्सिर हुए , जबकि अलग अलग छत्तीस क़ौमों से जुड़े प्रतिनिधियों के नेताओं की भीड़ अंता में जमा कर दी गई , मांगरोल ,,, में एस डी पी आई की नरेश मीणा के समर्थन में जुटी भीड़ पर गोविन्द सिंह जी डोटासरा की पूरी नज़र थी , फिर नरेश मीणा की रैली पर नज़र रखी गई , इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत की अंता मामले में पिछड़ने के सर्वेक्षण के बाद एन्ट्री हुई , अशोक गहलोत ने जयपुर से ही बारां और कोटा से जुड़े ज़िम्मेदारों से सम्पर्क किया हाल जाने और फिर पूर्व वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेंन नासिर अली नक़वी , उनके सुपुत्र डॉक्टर ज़ोहेब नक़वी ने अशोक जी गहलोत को , अल्पसंख्यक बस्तियों की वोटिंग नाराज़गी , उन्हें सकारात्मक तरीके से फिर से कांग्रेस की तरफ लौटाने का फार्मूला ,और भी कई अलग अलग टिप्स समझाये , अशोक जी गहलोत ने खुद परीक्षण कराया फिर इन टिप्स को गंभीरता से लिया प्रत्याक्षी प्रमोद जी भाया , केम्प कर रहे गोविन्द जी डोटासरा को सावचेत किया , जब बारा कोटा ज़िले में था ,तब कोटा से जिला प्रमुख रहे , सांसद रहे पूर्व मंत्री शांति कुमार धारीवाल साहब को रिचार्ज किया ,, छोटी छोटी नाराज़गी थी , मेने भी अलग अलग समय में खुलकर ओरिजनल कोंग्रेसी की तरह जो में सावचेत एलार्म करने के लिए अपने आर्टिकल के ज़रिये समझा सकता था समझाने की कोशिश की क्योंकि एक तरफ तो नक़ली कोंग्रेसी जो , रोटी बोटी वाले थे , जिनकी नज़र सिर्फ भाया जी की थैली पर थी , वोह उन्हें सच से दूर किये हुए थे , बारां की लाठी चार्ज और मुक़दमे की घटना ,इसके पूर्व कांग्रेस शासन की रमज़ान की हिरासत मोत सहित कई मामले ऐसे थे जिसमे नाराज़गी बढ़ती रही थी , हालात यह थे के कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले चैड़िया ,,बालदड़ा , मांगरोल , सीसवाली में भी खुली सेंध लग चुकी थी , बालदड़ा जो खालिस कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था , जहाँ निहाल अहमद सरपंच साहब का एक छत्र कोंग्रेसी राज था , जिनके सुपुत्र मरहूम रुखसार प्रमोद जी जैन भाया के निकटतम छोटे भाई की तरह थे ,, पूरा गाँव एक तरफा कोंग्रेसी था , फिर इसी गांव के रिज़वान एस डी पी आई के पदाधिकारी बने , प्रदेश अध्यक्ष बने और गाँव में एस डी पी आई के प्रवेश के बाद कांग्रेस के खिलाफ वोट पढ़ने लगे , इस बार भी इस गांव में नरेश मीणा के समर्थन में सभा हुई , खुलकर नारे लगे , जबकि रिज़वान जो एस डी पी आई में थे वोह अब कांग्रेस में आ चुके थे , लेकिन फिर भी यह नाराज़गी डेमेज कंट्रोल ज़रूरी थी , यह सब मेने एक ओरिजनल कोंग्रेसी के नाते लिखा , समझाया , इसे संभालने के बारे में सुझाव दिए , क्योंकि में चमचे , चापलूस , या फिर जी हुज़ूरी करने वाले दिखावटी आयाराम , गया राम या फिर भाई साहबों के इशारे पर पार्टी प्रत्याक्षियों के खिलाफ काम करने वाला नौकर नहीं हूँ , में ओरिजनल यानी वोह कोंग्रेसी जो छत्तीस कॉम की पार्टी है , ऐसी पार्टी जो हर मज़लूम के लिए संघर्ष करती है , जाति , समाज से उपर उठकर , पक्षपात ,,ज़्यादतियों के खिलाफ संघर्ष करती है , वोह कांग्रेस जो किसी भी समाज वाले के साथ अन्याय होने , पुलिस ज़ुल्म होने , नाजायज़ गिरफ्तारियां होने पर, बिना किसी झिझक के खुलकर उनके साथ खड़े रहे , ऐसे कोंग्रेसियों में से हम नहीं है , जो लोगों को पिटता हुआ देखें , उनके साथ खुला अन्याय होता हुआ देखे , सीधे समर्थक मददगार तो नहीं बनें और कहें , के में अंदर से तुम्हारी मदद करूँगा , क्योंकि मुझे चुनाव लड़ना है , दूसरे समाज के लोग मुझ से नाराज़ हो जाएंगे , इसीलिए कांग्रेस जो विधान में लिखी कांग्रेस है , वोह वाला कोंग्रेसी होने के नाते मेने खुलकर कांग्रेस की रीती , नीतियां याद दिलाईं , खेर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपना चैनल शुरू किया , शान्ति कुमार धारीवाल साहब उनके सुपुत्र अमित धारीवाल, उप महापोर सोनू कुरेशी , मैदान में कूदे , जिनके बेटे , परिजन , खुलकर कांग्रेस प्रत्याक्षी प्रमोद भाया के खिलाफ , नरेश मीणा के पक्ष में थे , उन्ही के घर के बुज़ुर्गों को माला पहना कर अपने साथ खड़ा कर लिया ,, कांग्रेस को ज़िंदाबाद करवा दिया , दो दिन पहले इस गांव में कायापलट हुई , जो लोग कांग्रेस के खिलाफ थे उनके सुर कांग्रेस के पक्ष में हो गए, दोहरे वोटर जो कांग्रेस के खिलाफ थे वोह कांग्रेस के पक्ष में हो गए ,, शान्ति धारीवाल का सही उपयोग हुआ , समय पर उपयोग हुआ लेकिन यह सम्भव अशोक गहलोत से चर्चा के बाद डेमेज कंट्रोल व्यवस्था के तहत हुआ , फिर खुद अशोक गहलोत ने प्रत्याक्षी को , कुछ गुर सिखाये , निर्देश दिए , और मांगरोल ,, बारां के लाठीचार्ज , सीसवाली उपेक्षा सहित माफ़ी तलाफ़ी , गलतफहमियों में समझाइश शुरू हुई , एक तरफ अमीन पठान दम से लगे थे , तो दूसरी तरफ ज़ाकिर मंसूरी और उनकी टीम ज़िम्मेदारी निभा रही थी ,, प्रह्लाद गुंजल ,,उनके सिपहसालार ब्रजेश शर्मा नीटू ज़िम्मेदारी निभा रहे थे, तो नईमुद्दीन गुड्डू , मोइज़ गुड्डू ,, अशोक चांदना ,,,राखी गौतम , मंज़ूर तंवर ,तबरेज़ पठान , रशीद क़ादरी , मौलाना रौनक अली , अपने अपने गांव में कांग्रेस के बिखरे वोटों को रोकने और कांग्रेस के पक्ष में मतदान का माहौल बना चुके थे ,, नतीजा जो वोट कांग्रेस के खिलाफ होकर नरेश मीणा के पक्ष में डाले जाने की मुहीम थी वोह बिखर गई और निर्दलीय प्रत्याक्षी के जबड़े से कांग्रेस के परम्परागत वोट निकल कर फिर से कांग्रेस की तरफ आ गए ,, अशोक गहलोत ने बारां आने के पहले ही , बहुत कुछ डेमेज कंट्रोल कर लिया था , माली समाज , धाकड़ समाज , मीणा समाज , , गुर्जर समाज ,,मुस्लिम समाज सहित हर तरफ उनके प्रतिनिधित्व के वोह टच में थे , और खासकर जो कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक था उसको बिखरने , बंटने से बचाने के लिए उन्होंने मुहीम चला दी थी ,,नतीजा यह हुआ के सभी के सहयोग से अंता मांगरोल चुनाव में असम्भव सम्भव हो गया और कांग्रेस प्रत्याक्षी प्रमोद भाया रिकॉर्ड मतो से विजयी घोषित हुई ,, इसके लिए अशोक गहलोत और नासिर अली नक़वी की गुप्त मंत्रणा और उसके बाद बनी रणनीति , सहयोगी साथियों की ज़िम्मेदारी में बदलाव ,, हर भाग संख्या क्षेत्र में माइक्रो मैनेजमेंट , नाराज़ लोगों की रातो रात, हर हाल में मान मुनव्वल संयुक्त प्रयास ही कांग्रेस की जीत बनी और गोविन्द सिंह डोटासरा प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते इस जीत के लिए बधाई के हक़दार हैं , ,, ,,,,,,,अगर यही मैनेजमेंट कांग्रेस का हर विधानसभा क्षेत्र में अभी से शुरू हुआ तो यक़ीनन , कांग्रेस आगामी हर चुनाव में ज़िंदाबाद रहेगी , अभी पंचायत , जिला परिषद और नगर निकाय चुनाव सर पर हैं , इसके लिए अभी से अगर इसी प्रबंधन के तहत तैय्यारियाँ हुईं तो, वोह चुनाव भी कांग्रेस सो फी सदी जीतेगी , लेकिन कांग्रेस को ओरिजनल कोंग्रेसी , छतीस क़ौमों को साथ लेकर चलने वाले कोंग्रेसी नेतृत्व ,, एक समाज के साथ ज़ुल्म ज़्यादती होने पर , दूसरे वर्ग के वोट नाराज़ ना हो जाएँ सिर्फ इसी कारण से मूकदर्शक बने रहेने वाले चड्डी छाप कोंग्रेसियों और ओरिजनल कोंग्रेसियों में फ़र्क़ करना होगा , कांग्रेस का स्वभाव है , संविधान का निर्देश है , ज़ुल्म किसी के भी साथ हो , खुलकर उसकी मदद करो , जाति , समाज , वर्ग , या किसी की नाराज़गी के खौफ से , अगर वोह मज़लूम समाज का मददगार नहीं बनता है, ओर जो ऐसा करते हैं तो वोह कोंग्रेसी हरगिज़ नहीं , कांग्रेस को बिहार ,, उत्तरप्रदेश , आसाम , पश्चिमी बंगाल वगेरा वगेरा राज्यों की तरह यहां भी कांग्रेस को खत्म करने वाले साज़िशकर्ताओं में से है , उसे तो क़तई कांग्रेस में रखना ही नहीं चाहिए , क्योंकि यह नासूर ही , कांग्रेस की मुख्य विचारधारा को , दीमक बनकर कांग्रेस को खत्म कर रहे हैं , कभी कांग्रेस में रहते है , रसमलाई कहते है , भाजपा में चले जाते है , फिर चहल क़दमी करके कांग्रेस में आ जाते है , कांग्रेस को आज , गलत को गलत कहने ,वाले संविधान की मर्यादाओं में छत्तीस क़ौमों की रहनुमाई वाले , नेतृत्व की ज़रूरत है , चड्डी छाप कोंग्रेसियों की तो हरगिज़ , हरगिज़ ज़रूरत नहीं होना चाहिए , सच लिखने , सच कहने , सच बोलने , सच का आयना दिखाकर कांग्रेस को मज़बूत करने वाले ही सच्चे कांग्रेस के समर्थक है , और कांग्रेस को ज़िंदाबाद करने वाले है , मार्गदर्शक है , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
akhtar khan akela

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