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21 अक्टूबर 2025

बदलते इंसानों की बात हमसे ना पूंछो,, हमने अपने हमदर्द को हमारा दर्द बनते देखा है,

 

बदलते इंसानों की बात हमसे ना पूंछो,,
हमने अपने हमदर्द को हमारा दर्द बनते देखा है,
यक़ीनन यह मंज़र, यह हालात, मज़बूत से मज़बूत शख्सियत को भी अंदर से तोड़ देती है, लेकिन सुनो, समझो प्लीज़ , टूटना हरगिज़ नहीं है, वोह शख्स बुरा है तो क्या, बुरा है तो बुरा होगा उससे नेकी की उम्मीद क्यों हो, बस दुआ करें अल्लाह उसे सही राह दिखाए, नेकी ओर मोहब्बत, खुलूस , वफ़ा की राह पर चलाये, लेकिन हम तो अच्छे हैं , नेक हैं , एक हैं, टूटे हुओं को जोड़ने, बिखरे हुओं को समेटने, एक दूसरे के परस्पर मुखालिफ हुए लोगों को फिर से जोड़ने की मुहिम के हिस्से के सरपरस्त हैं, खुसूसी हिस्सेदार हैं, खुदा उसके रसूल के ओरिजनल अलम्बरदार हैं, तो फिर सब्र ओर शुक्र, माफी तो हमारी दौलत है, इसे बनाये रखना, इस पर अमल करते रहना हमारी जिम्मेदारी है, सो प्लीज़ कोई बुरा है तो होगा , हम तो नेक हैं, हमें तो नेकी कर दरिया में डालना, ओर नेकी की राह पर मोहब्बत के पैगाम को आगे बढाने की राह पर, अमन , सुकून, खुलूस, सब्र , शुक्र, मुआफी के साथ नेकी की दुआओं के परचम के साथ आगे बढ़ते रहना है, हम क्यों हमें धोखा देने वालों को नुक़सान पहुंचाने की कोशिशों में , अपना बेशक़ीमती वक़्त बर्बाद करें, सुलह करें, माफी दें और आगे बढ़ते रहें , आगे बढ़ते रहे, यही हमारा मज़हब , यही हमारा इस्लाम, यही हमारा पैगाम ऐ क़ुरआन है, अख़्तर

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