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29 सितंबर 2025

कोटा में जिस बेटे को बेईमान चिकित्सक ने कलर ब्लाइड लिखकर एडमिशन से वंचित किया , उसी बेटे अनिल जीनगर ने एम टेक कर लाखों का पैकेज होने पर भी , लाखों का लालच छोड़ा , फिल्म गीतकार गुलज़ार से गुरु दक्षिणा ली और उनकी मुकबंधीर संस्था आरुषि के सेवक बनकर , सिफरनामा जैसी पुस्तक के कामयाब लेखक बने , यूं ट्यूब के साइलेंट ग़ज़ल , भजन गायक बनकर लाखों के चहेते बने हैं , ,अनिल जीनगर अब अनिल जीनगर फराग हो गए है,

 

कोटा में जिस बेटे को बेईमान चिकित्सक ने कलर ब्लाइड लिखकर एडमिशन से वंचित किया , उसी बेटे अनिल जीनगर ने एम टेक कर लाखों का पैकेज होने पर भी , लाखों का लालच छोड़ा , फिल्म गीतकार गुलज़ार से गुरु दक्षिणा ली और उनकी मुकबंधीर संस्था आरुषि के सेवक बनकर , सिफरनामा जैसी पुस्तक के कामयाब लेखक बने , यूं ट्यूब के साइलेंट ग़ज़ल , भजन गायक बनकर लाखों के चहेते बने हैं , ,अनिल जीनगर अब अनिल जीनगर फराग हो गए है,
कोटा 29 सितम्बर कोटा का एक लाल जो कोटा में जन्मा , पला , बढ़ा हुआ , जिस लाल को कोटा के एक भ्रष्ट डॉक्टर ने रिश्वत नहीं मिलने पर कलर ब्लाइंड लिखकर उसकी तरक़्क़ी की रफ्तार रोकने की कोशिश की थी , उसी लाल अनिल जीगर ने ,, एम टेक टेक्सटाइल में किया , मुंबई में नोकरी की , लाखों का पैकेज छोड़कर ,, गुलज़ार साहित्यकार के साथ जुड़े और फिर मूकबधिर बच्चों की सेवादारी के साथ उन्ही के होकर रह गए , उनके अंदर जो दर्द जो अनुभव रहे , उसे उन्होंने सिफरनामा, किताब के ज़रिये लोगों तक पहुंचाया है और वोह यू ट्यूब चैनल के मौसिक़ी में साइलेंट गीतकार के रूप में हीरो बने हुए है , उनकी आवाज़ में दर्द है , रवानगी है , अहसास है , ज़िंदगी है ,,, ,अनिल जीनगर को उनकी किताब सिफरनामा और उनकी गीत , ग़ज़ल , भजन शृंखला गायन के लिए मुबारकबाद , बधाई ,, कोटा के अनिल जीनगर की ग़ज़ल कृति पुस्तक सिफरनामा का लोकार्पण , भोपाल आरुषि संस्था में ,, विख्यात कवि, शायर ,, साहित्यकार , दुष्यंत साहब के सुपुत्र , साहित्यकार आलोक त्यागी और साथियों ने किया , इसमें राष्ट्र कवि , लेखक गुलज़ार साहब का समर्थन , सांझेदारी उनकी दुआएं साथ रहीं , यही वजह है के अनिल जीनगर की पुस्तक सिफरनामा के इतनी कम समयावधि में ही लोकप्रिय होकर प्रतियां खत्म हो जाने के कारण , सिफरनामा का दुसरा एडिशन जल्द आ गया है , अनिल जीनगर ,, जिनके वालिद वरिष्ठ पत्रकार दुर्गाशंकर जी गहलोत को सिफर के इस सफर के लिए , अनिल को जल्दी बहतर हम सफर मिले इन दुआओं के साथ बधाई मुबारकबाद ,,, कहते हैं ना, के इंसान जो सोचता है वोह होता नहीं , और जो हो जाता है उसके बारे में वोह कई बार सोचता ही नहीं ,, अनिल जीनगर के साथ भी कमोबेश ऐसा ही हुआ ,, वोह कोटा के प्रतिभावान छात्रों में से एक थे , उनके वालिद दुर्गाशंकर जी गहलोत, कोटा इंस्ट्रूमेंटेशन फैक्ट्री में एकाउंट के ज़िम्मेदार थे , लेखक, समाजसेवक , चिंतक , विचारक , शोषित उत्पीड़ितों के संघर्ष थे , अनिल का पोलोटेक्निक में एडमिशन के लिए जब मेडिकल प्रमाण पत्र की ज़रूरत पढ़ी , तो ,, सरकारी अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर जी, उनका नाम में नहीं लिख ,रहा लेकिन ध्यान रहे भविष्य में कोई भी डॉक्टर चंद रुपयों के खातिर ऐसा ना करे , तो उन डॉक्टर साहब ने रिश्वत के चंद रूपये नहीं मिल पाने के कारण उसे कलर ब्लाइंड लिख दिया , फिर उसी डॉक्टर ने , कुछ दिनों बाद सेवा शुल्क लेकर नॉर्मल आँखों की रिपोर्ट दी ,अन्य डॉक्टर ने भी नॉर्मल आँखों की रिपोर्ट दी , लेकन एडमिशन की अंतिम तिथि के पहले मेडिकल पेश नहीं होने से , अनिल जीनगर का पोलोटेक्निक में एडमिशन नहीं हो सका , ,क्योंकि अनिल जीनगर को तो देश के प्रसिद्ध साहित्यकारों में शामिल होना था , देश के गीतकारों में अव्वलीन होना था , इसलिए शायद क़ुदरत ने ऐसा होने ही नहीं दिया , यद्धपि उन डॉक्टर के भ्रष्टाचार के कच्चे चिट्ठे , स्वस्थ आँखे होने के बाद भी कलर ब्लाइंड लिख देने से उनके खिलाफ फौजदारी मुक़दमे की कार्यवाही हुई , लेकिन अनिल तो अनिल थे , दुर्गाशंकर के सुपुत्र थे , माँ के लाडले थे बहन, भाई के चहेते थे , उनका एडमिशन बी टेक इंजीनियरिंग में हुआ , फिर उन्होंने टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी में एम टेक बेहतर नंबरों से पास किया और मुंबई में बिरला कॉटसिन इंडिआ लिमिटेड फिर दी रूबी मिल्स लिमिटेड में बहतर पैकेज पर वर्ष 2009 से कार्यरत रहे , ,इनके वालिद दुर्गाशंकर गहलोत पाक्षिक समाचार सफर के नियमित प्रकाशक है , इन्साफ के लिए संघर्ष , दींन हीन , गरीब , ज़रूरत मंदों के लिए संघर्ष ,,, उनके लिए हमदर्दी , सेवा भाव , लेखन का शोक अनिल जीनगर को विरासत में मिला ,, बहतरीन पैकेज , बेहतरीन स्टेटस ,, भविष्य के सपने सजोने वाले अनिल जीनगर का रूहझान इंजीनियरिंग , नौकरी से भटक कर साहित्य की तरफ चला गया , उसी के साथ सेवाभावी का जज़्बा उनमे और मज़बूत हो गया , अनील जीनगर मुंबई में , प्रसिद्ध फिल्म गीतकार , कवि , शायर , लेखक , गुलज़ार के सम्पर्क में आये , उनसे आशीर्वाद लिया , उन्हें गुरु बनाया , उनसे गुर सीखे , गुरु ज्ञान लिया , और फिर अनिल जीनगर गीत गुनगुनाने लगे , गीत , ग़ज़ल , अतुकांत कविताएं , नज़्म , नसर यानी गद्य पद्य लेखन में माहिर होते चले गए , अनिल जीनगर ने एम टेक टेक्सटाइल इंजीनियर , लाखों का पैकेज ठुकरा दिया और , गुलज़ार साहब की संस्था आरुषि जो भोपाल में मूक , बधिर , मानसिक रूप से कमज़ोर बच्चों के भविष्य को सुधारने , उनके रख रखाव का काम करती है , उस रश्मि संस्था में रह रहे बच्चों के दोस्त बन गए , उनके हम सफर , हम जोली बन गए , अनिल जीनगर उनके साथ रहकर , उनके बारे में , उनके दर्द , उनकी ज़रूरतों के बारे में विशेषज्ञ बनकर सोचने लगे , समझने लगे , और वोह रश्मि संस्था के इन बच्चों के भाई , दोस्त , अंकल , बन गए , उन्होंने इनके दर्द को जाना , ज़रूरतों को ,जाना हालातों को पहचाना और बस इनका यह दर्द अपनी शायरी के ज़रिये , अपने साहित्यिक लेखन के ज़रिये , अपने गीत , ग़ज़ल ,भजन के ज़रिये लोगों तक पहुंचाने में जुट गए , अनिल जीनगर गुलज़ार साहब के यूँ तो पहले ही चहेते थे , उनके इस समर्पण और साहित्यिक शैली को देखकर , गुलज़ार दंग रह गए , उन्होंने अनिल की पीठ थपथपाई , शाबाशी दी और अनिल ने जो कुछ भी लिखा था , उसे एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की सलाह दी , बस अनिल जीनगर का सिफरनामा इसी हौसला अफ़ज़ाई , गुलज़ार साहब की प्रेरणा और अनिल जीनगर की महनत का मिला जुला नतीजा है ,,, सिफर यानी ज़ीरो , शून्य ,, जो अकेली है तो कुछ नहीं , और उसके पहले अगर अंक कोई भी जुड़ जाए तो फिर वोह सिफर नहीं , गिनती में सीधे बढ़ जाता है , सिफर से सफर की शुरुआत होती है , कामयाबी की शुरुआत होती है , ज़िंदगी के इस सफर में शून्य और शून्यता का अहसास सिफर होने का अहसास भी ज़रूरी है , क्योंकि ज़ीरो है तो ही ज़ीरो से हीरो की कहावत बनी है ,, अनिल जीनगर के इस सिफरनामें के लेखकीय में ,उन्होंने अपने अनुभव , अपनी ज़रूरतें , अपने मित्रों की सांझेदारी , गुलज़ार साहब की प्रेरणा , और माँ से बिछड़ने के गम को , उस अहसास को , अल्फ़ाज़ों में उकेरा है , अनिल के इस सिफरनामे को , गुलज़ार ने टिप्पणियां लिखकर ,, अनिल के हौसलों की उड़ान दी , एक पहचान दी और दुनिया को बता दिया के अनिल जीनगर की लेखनी में दर्द है , अहसास है , ज़िंदगी है , सिफर से कामयाबी का सफर है , अनुभव है , सभी कुछ इस सिफरनामे में शामिल है , ,अनिल जीनगर के इस सिफरनामे में कुल 109 कविताएं , नज़्म , हैं , जिनमे विश्वभर के दर्द का अहसास है , भटकी हुई नज़्म ,,समय से पहले ,, खण्डर , भाप ,, खौफ ,, मुक़ाम , सुकून , ज़रूरत ,, बेचैनी ,, इबादत , आरुषि , शनि , शनि 2 , ख़ाक , समय ,काश , राख ,, शूद्र ,हक़, विस्तार , पार , ब्राह्मण , सृजन , कन्फेशन ,, सवाल , उगो ,, रीबर्थ , शून्यता की लय , झुर्रियां , नाकाम , देखना , फसल , मुंतज़िर , टोबा टेक सिंह , सुनो अमृता , औरत , सिफरनामा , जंगल , उनका क्या होगा , कहा था , संसद , क्षीणता , वसीयत , मर्तबान , आखिर में , लकड़ियां , चीटियां ,दस्तावेज , सच्ची कहानी ,पैदाइश , जन्म , आवारा नज़्म , हेरत , भुरभुरी मिटटी ,, रस्सियां , गुलज़ार , पतंगबाज़ी , आवारा , अपनी अपनी प्यास उठाकर , ,गुज़ारिश , कुरकुरी धूप , यादें ,, खत सांस लेते हैं , स्कप्चर , कोई ऐसी कहानी ,, महफूज़ ,, जला दो , ठंडक , तुम्हारे जाने के बाद , हिचकियाँ , गुफा , हुनर ,, सूदखोर , क़यामत ,, अंतिम पड़ाव ,, मिलन ,, मिराज़ ,, चांद की पीठ , आत्ममिलन , आखरी चीख , मोन , ऑक्सीजन , मुक्ति , जंग ,, स्नो , डोरियां , आवारा , अहसास ,सच, सिफर ,,उम्मीद , अस्तित्व , वादा , प्रेमकाल , खुदाई , बारिश जैसी लड़की , किताब , एक गुमनाम मोत , आखरी सांस , सच्ची कविता , नज़्म बोलती है , कूड़ादान ,, अंतिम इच्छा , खिड़कियां ,, प्रार्थना , नबीना आरुषि , आरुषि में आओ , नई दुनिया आरुषि अंतिम कविता , इन 109 रचनाओं में , अनील जीनगर ने , आरुषि संस्था और मूक बधिर विकलांग मानसिक विकलांग बच्चों की हिमायत के साथ उनका दर्द , उनके ज़रूरतें उनके लिए मदद के जज़्बे को तो बयान किया ही है , साथ , ही देश भर में चल रहे हालत , साम्प्रदायिकता , दलितों पर अत्याचार , किसानों की आत्महत्याएं ,, सरकार की मनमानियां , और आम आदमी की साहस के बदलाव को वर्णित किया है , अनिल ने यहां तक लिखा है के ईश्वर , खुदा तू इस दुनिया को फिर से तबाह कर दे , बर्बाद कर दे और फिर से एक नई दुनिया बना ,, उनका दर्द , उनके अनुभव उन्होंने इन रचनाओं के ज़रिये ज़ाहिर किये है , ,अनिल जीनगर जितना बेहतरीन लिखते हैं , उससे भी बहतर इनकी आवाज़ में दर्द है , मौसिक़ी है , यह बहतरीन गायक है ,, सुरों के उतार चढ़ाव , रिदम को बेहतर समझते हैं , और लिखे हुए अलफ़ाज़ों में जज़्बात , दर्द , ज़िंदगी पैदा करके लोगों के सामने संगीत के साथ रखते हैं , इनका यू ट्यूब चैनल है जिसके हमदर्दों की सूचि लाखों पार हैं , और यह खुद इनकी विधा को उजागर नहीं करते इसलिए इन्हे साइलेंट गीतकार कहते हैं , इनके हज़ारों गीत , हज़ारों ग़ज़लें , हज़ारों भजन ,, लोगों के दिल और दिमाग पर राज कर रहे हैं , हज़ारों हज़ार लोग इन्हे सुनते भी हैं , पढ़ते भी हैं , कोटा के लिए यह गौरव की बात है , के कोटा के मूल निवासी , कोटा में ही पले बढे , एक भ्रष्ट रिश्वतखोर डॉक्टर के सर्टिफिकेट नहीं बनाने से उपजे यह इंजीनियर फिर इंजीनियर से रचनाकार ,गीत कार गज़ल कार , आज विश्व विख्यात शायर लेखक गुलज़ार के ही नहीं देश के हर वर्ग के चहेते बनकर , ,मूकबधिर , मानसिक विकलांग ,विकलांग बच्चों की सेवा का संदेश दे रहे हैं , उनके मित्र बनकर उन्हें कैसे उनकी खुशियां लौटाएं इसके टिप्स दे रहे हैं , कोटा के बेटे अनिल जीनगर उनके साहित्य , उनके गीत ,. उनकी मौसिक़ी ,, सायलेट आवाज़ को सेल्यूट , सलाम , ,और उनके वालिद दृगाशंकर गहलोत पत्रकार साहब को बधाई जो उन्होंने ऐसा लाल पैदा कर कोटा का गौरव बढ़ाया , अनिल अपनी माँ के लिए लिखते है , मम्मी के लिए जिनके लिए अभी तक कोई कविता लिख नहीं पाया वो मेरे लिखे से कहीं ज़्यादा जी के जा चुकी है , ,गुलज़ार इनके लिए लिखते हैं , झुर्रियां उम्र से नहीं आतीं ,,ये बस आ जाती हैं जब कोई उम्मीद मरती है , ,इसका केंद्र क्यों गुम है ,या में सिफर हो गया हूँ , या में शून्य हो गया हूँ ,,,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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