चुनाव निगरानी में फेल्योर घोषित कोंग्रेस को भूल स्वीकार कर, राष्ट्रीय, राज्य, ज़िला, ब्लॉक, बूथ स्तर पर इलेक्शन प्रबन्धन विभाग गठित करने की ज़रूरत,
केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के समन्वय से , मतदाता सूचियों में गड़बड़ी की पोल खुलने के बाद , भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के लिए अब यह ज़रूरी हो गया है , के वोह सक्रिय , निर्गुट ,, बिना किसी के दबाव में काम करने वाले ज़िम्मेदारों की टीम बनाकर ,कोंग्रेस के अन्य विभाग ,, प्रकोष्ठों की तरह , अग्रिम संगठन का दर्जा देते हुए ,,कोंग्रेस चुनाव प्रबंधन विभाग का गठन करे , जिसकी शाखें बूथ लेवल तक सक्रिय रूप से रहें ,,, इसके लिए अगर एक आध विभाग बंद भी करना पढ़े तो वर्तमान में निष्क्रिय , पद लेकर खामोश बैठने वाले अल्पसंख्यक विभाग को खत्म कर यह विभाग खोला जा सकता है , , देश ने देखा है , विश्व स्तर पर भी , निर्वाचन आयोग की मतदाता सूचियों की गड़बड़ी की स्वीकृत धूम मची है , निश्चित तोर पर राहुल गांधी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका के रूप में यह बढ़ा मुद्दा उठाया है वोह देश भर में बल शाली , संघर्ष शील नेता के रूप में अपनी पहचान बना सके हैं और देश को नया नेतृत्व , परफेक्ट नेतृत्व मिलेगा ऐसी वोह देश के लोगों की उम्मीद भी बन चुके है , लेकिन बनेंगे कैसे , जब मतदाता सूचियों में गड़बड़ होगी , जब मतदाता घर से वोट कांग्रेस को देने निकलेगा , वोट भी डालेगा और वोट ही कांग्रेस के खाते में नहीं जाएगा , तो फिर कैसे राहुल गाँधी देश का नेतृत्व संभाल पाएंगे , ऐसे में कांग्रेस के लिए यह ज़रूरी हो गया है , के वोह खुद आत्मसात करे , स्वीकार करे , के चाहे राहुल गाँधी जी का राष्ट्रिय अध्यक्ष कार्यकाल हो , चाहे सोनिया जी का राष्ट्रिय अध्यक्ष कार्यकाल हो , चाहे मलिकार्जुन खड़गे जी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकाल हो , सभी लोगों का नेतृत्व ,, इलेक्शन मैनेजमेंट , इलेक्शन ज़िम्मेदारी के लिए पूर्ण रूप से विफल साबित हुआ है ,वजह साफ़ है , के कांग्रेस संगठन , मंत्रियों , पूर्व मंत्रियों , विधायक , सांसदों ,, मुख्यमंत्रियों , पूर्व मुख्यमंत्रियों , नेताओं के पुत्रों ,पत्नियों , भाइयों , सालों ,के यहां गिरवी रखा जा चूका है , कांग्रेस कार्यालयों की रौनक खत्म हो गई है , चाहे राष्ट्रिय कार्यालय हो , प्रदेश कार्यालय हो , जिला कार्यालय हों , कांग्रेस की गतिविधियां , सिर्फ जन्म , मरण ,स्वतंत्रता दिवस ,गणतंत्र दिवस या फिर , कथित रूप से प्रभारियों वगेरा के आगमन , वगेरा से ज़्यादा कुछ नहीं रही हैं, , राहुल जी खुद भी कांग्रेस संगठन को कमज़ोर और उपेक्षित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार हैं , राहुल जी ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली , मेने उन्हें निवेदन किया था के वोह जिस शहर से गुज़रे वहां के कांग्रेस संगठन कार्यालय में ज़रूर पहुंचे , जहां ठहरे वहां के नेताओं , मंत्रियों , चमचों , की सूचि से अलग , जिला अध्यक्ष , ब्लॉक अध्यक्ष , प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य , पार्षद , जिला परिषद सदस्य , सरपंच , पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य ,पूर्व सांसद , पूर्व विधायक , अग्रिम संघटनों के ज़िम्मेदारों की सूचि खुद अपने नियंत्रण में तय्यार करवाएं उन्हें लंच , नाश्ते , डिनर , दोपहर के नाश्ते पर बुलाकर उनसे फ्रेंडली वार्ता करें , कांग्रेस संगठन रिचार्ज होगा , और नेता , मंत्री , मुख्यमंत्री पिक ऐंड चूज़ के नाम पर मनचाहे लोगों को जो सूचि में डालकर संगठन को जेबी संगठन बनाकर बर्बाद कर रहे हैं , उसमें भी सुधार आएगा , लेकिंन राहुल गाँधी जी, किसी भी ज़िले के जिला कांग्रेस कार्यालय में नहीं गए , उन्होंने ऐसी कोई सूचि नहीं बनाई , बस मुख्यमंत्री , या बढे कथित बढे नेता जो कांग्रेस को , संगठन को , कांग्रेस जिला अध्यक्ष को रिमोट से चलाने वाले जो लोग उनके इर्द गिर्द रहे , उन्हें ही सर्वोपरि स्वीकार किया और नतीजा ,, भाई साहबों की जेब में रखी यह कांग्रेस , मंत्रियों , विधायकों के यहां गिरवी यह कांग्रेस हर चुनाव हारती चली गई , जीती हुई बाज़ी हारती चली गई , खुली बगावत , खुली नाफ़रमानी , कांग्रेस प्रत्याक्षियों के खिलाफ खुले रूप से दुष्प्रचार कर, दल बदल करने वाले , या कांग्रेस में ही रहकर कांग्रेस के खिलाफ काम करने वाले , संगठन में सिरमौर बने रहे , गए फिर आ गए , और जो लोग कांग्रेस के लिए जान देते हैं , कांग्रेस कार्यालयों में घंटों गुज़ारते हैं ,भाई साहबों की गुलामी से अलग हटकर सिर्फ कांग्रेस संगठन के लिए सक्रियता से बिना किसी गुट के निर्गुट होकर काम करते रहे हैं , उन्हें सिर्फ हम्माल , नौकर समझा जाता रहा , सरकार आ गई तो रस मलाई से उन्हें कोसों दूर रखा , क्योंकि राहुल जी ने इस तरफ सुधार का सोचा ही नहीं , मेने कहा था , के हर ज़िले में , जिला कांग्रेस कार्यालय में नियमित रूप से एक चार्ट बनाकर , जिला अध्यक्ष , ब्लॉक अध्यक्ष , पदाधिकारी , महापौर , उप महापौर , पूर्व उप महापौर , जिला परिषद सदस्य , जिला प्रमुख , सांसद , विधायक पूर्व विधायक , पूर्व सांसद जो कांग्रेस के नाम पर ही पेंशन ले रहे हैं , मज़े कर रहे हैं , उनका रोस्टर बनाकर अपने अपने ज़िले में , अलग अलग दिनों में कम से कम दो दो घंटे कांग्रेस कार्यालय में बैठने का नियम बनाओ , ताकि लोग कांग्रेस कार्यालय की अहमियत समझे संगठन से जुड़े और , नए विचारों का आदान प्रदान हो , लेकिन यह सब तो वी आई पी है , इनकी जेब में तो संगठन है , यह जेब से नाम निकालते है , और पदाधिकारी बना देते है , फिर चाहे ऐसे पदाधिकारी को कांग्रेस की रीती , नीती , कांग्रेस का संविधान से कोई वास्ता नहीं, हद तो यह है के ऐसे कई सिफारिशी पिट्ठुओं को कांग्रेस कार्यालय का पता तक मालूम नहीं होता ,,, खेर अब भी सुधार की गुंजाइश है ,बदलाव की गुंजाइश है , आत्मचिंतन की ज़रूरत है , स्वीकार करने की ज़रूरत है के संगठन में कार्यकर्तों की अहमियत नहीं है , सिर्फ विधायक , पूर्व विधायक , पूर्व सांसद , सांसद , या गिनती के ही ,मंत्रियों , पूर्व मंत्रियों , पूर्व मुख्यमंत्रियों के चेले चपाटों की अहमियत बची है , ,राहुल गांधी के अध्यक्ष कार्यकाल में , राष्ट्रिय महासचिव पद पर खुद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मेरे सुझावों को स्वीकार करते हुए देश भर में कांग्रेस संगठन कार्यालयों को सर्वोपरि बनाने और वहां नियमित बैठकों के निर्देश देने की स्वीकारोकित की थी , लेकिन राजस्थान में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद तो संगठन ज़ीरो हो गया , महत्वहीन हो गया , विधायक , हारे हुए विधायक प्रत्याक्षियों , मंत्रियों के हाथों में संगठन गुलाम बन कर रह गया , संगठन का पदाधिकारी अपनी ही सरकार में ,एक ट्रांसफर कराने के लायक भी नहीं रहा , उसे किसी भी काम के लिए विधायक ,, हारे हुए विधायक प्रत्याक्षी का गुलाम बनाकर रख दिया ,,,, में सेल्यूट करता हूँ , गांधीवादी , गिरधारी सिंह जी बाफना को , उन्होंने राजस्थान में बूथ मैनेजमेंट का प्रयोग शुरू किया , हर बूथ , हर विधानसभा , हर लोकसभा क्षेत्र में , अध्यक्ष बनाये , लेकिन जिला कांग्रेस कार्यालयों ने , संगठन से जुड़े लोगों ने इन्हे कोई सहयोग ही नहीं किया , नतीजन , राजस्थान में कांग्रेस जीती हुई बाज़ी हार गई ,, खेर अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है , कांग्रेस का राष्ट्रिय नेतृत्व स्वीकार करे के उनसे संगठन प्रबंधन में चूक हुई है , ज़रा सोचिये , निर्वाचन में मतदाता सूचि में नाम जोड़ने , निरीक्षण करने , सर्वेक्षण करने , निर्वाचन के दिन वोटिंग के समय निगरानी करने का विशेष नियम है , हर विधानसभा क्षेत्र में हर अलग अलग ब्लॉक में , निर्वाचन आयोग की तरफ से एक बी एल ओ सरकारी स्तर पर नियुक्त होता है , उसके साथ निगरानी कहो ,, मदद कहो , ,, कांग्रेस और भाजपा या किसी भी अन्य संगठन से जुड़े लोगों को बी एल ऐ बनाया जाता है , वोह मतदाता सूचि में नाम जोड़ने , नाम काटने , गलत लोगों के नाम जोड़ने पर उनकी शिकायत करने के लिए ज़िम्मेदार होते है , लेकिन अफ़सोस इस बात का है , के कांग्रेस के बी एल ऐ निष्क्रिय रहते हैं , क्योंकि वोह विधायकों के जेबी होते हैं , टिकिट बदला , गायब , ऐसे में संगठन के बी एल ऐ नहीं होने से वोह संगठन के प्रति जवाब देही नहीं रहकर सिर्फ अपने नेता जी की गुलामी में सक्रिय रहते हैं , फिर मतदाता सूचि में कोई भी गड़बड़ी हो , उन्हें क्या लेना देना वोह तो मस्त हैं, चुनाव के वक़्त पर्चियां बांटने का काम यांत्रिक है , किराए पर है , तो पता ही नहीं,व के खाली प्लाट पर भी , मतदाता रह रहे हैं , एक कमरे के मकान में सो लोग रह रहे हैं , यह सब गलतियां हमारे बी एल ऐ सिस्टम की फेल्योरगिरि , संगठन के अध्यक्ष , ब्लॉक अध्यक्ष , बूथ कमेटियों के नाकारा निकम्मेपन की वजह ही रहा है , फिर चुनाव के दिन , हमारी पार्टी के प्रतिनिधि भी बूथ पर बैठते हैं , वोह शिकायत नहीं करते , चुनाव के बाद में संतुष्टि पत्र पर हस्ताक्षर करके आ जाते है , तो बात साफ़ है , के हमारा यह सिस्टम , सड़ांध मारने लगा है , इसे बदलने की ज़रूरत है , कांग्रेस संगठन को सक्रिय करने , कांग्रेस कार्यालय से ही संगठन संचालित करने , पूर्व विधायक , सांसद , पार्षद , महापौर अन्य पदाधिकारी चाहे अभी हो या पूर्व हों , उनका रोस्टर बनाकर , उन्हें कांग्रेस कार्यालय में नियमित रूप से कम से कम दो घंटे प्रति दिन बैठने का नियम बनाना ज़रूरी है , संगठन के पदाधिकारियों , अध्यक्ष के निर्देश पर , विधायक , सांसद ,, मंत्री , मुख्यमंत्री काम करने , ना की इनके निर्देश पर संगठन को डिस्को करने पर मजबूर किया जाए , ,और वर्तमान परिस्थितियों से निपटने , भविष्य में निर्वाचन गड़बड़ी पर अंकुश रहे , इसके लिए , संगठन को ,. राष्ट्रीय , राज्य , जिला , ब्लॉक , बूथ स्तर पर , सक्रिय , समझदार लोगों की टीम बनाकर ,एक निर्वाचन प्रबंधन , इलेक्शन विभाग , बनाने की घोषणा करना ही होगी , जिसे सहयोग करने के लिए , जिला अध्यक्ष , उस क्षेत्र के विधायक , सांसद ,, अन्य जो भी पदाधिकारी हों वोह सभी बाध्य हों , अगर उनके असहयोग , या उपेक्षा की शिकायत कांग्रेस निर्वाचन विभाग के पदाधिकारी अध्यक्ष ,, प्रदेश अध्यक्ष , राष्ट्रिय अध्यक्ष से करे तो वोह फिर कितना ही बढ़ा पदाधिकारी हो उसके खिलाफ तुरंत एक्शन लेने की सख्ती हो, ताके , कांग्रेस ,, कथित नेताओं की जेब से बाहर निकले , कोंग्रेस मठाधीशों से आज़ाद हो ,, बूथ स्तर पर फिर से सक्रिय हो , मतदाता सूचियों में कांग्रेस संगठन की बी एल ऐ टीम ,बूथ प्रबंधन टीम वोटर लिस्ट की गड़बड़ियों , चुनाव में फ़र्ज़ी वोटर्स की गड़बड़ियों को वक़्त से पहले ही , पकड़ ले , शिकायत करे , सुधार करवाए क़ानूनी संघर्ष करे , लेकिन एयरकंडीशन में बैठकर कांग्रेस का फैसला करने वाले , कार्यकर्ताओं से कोसों दूर रहने वाले , कांग्रेस कार्यालयों से बाहर पांच सितारा होटलों , रिसोर्ट में कांग्रेस कार्यक्रम करने वाले , संगठन के कार्यालयों में नियमित बैठकर अपना कर्तव्य निर्वहन नहीं करने वाले यह लोग क्या ऐसा कर पाएंगे , या यूँ ही अपनी मूर्खता , अपनी लापरवाहियों की वजह से जीती हुई बाज़ी हर बार हारते रहेंगे और देश को बर्बाद होता देखते रहेंगे , देखते हैं एक ब्रेक के बाद ,,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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