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09 अगस्त 2025

प्रशासन का क्या दोष...शहरवासी ही गड्ढों से बचकर नहीं चलते हैं

 

भास्कर सम्पादक भाई सर्वेश शर्मा जी का आर्टिकल, प्रशासन का क्या दोष...शहरवासी ही गड्ढों से बचकर नहीं चलते हैं
*सर्वेश शर्मा/ बात-बेबाक
जरा, बचकर चलिए जनाब। कोटा में यहां गड्ढे। वहां गड्ढे। यह मत पूछो- कहां नहीं गड्ढे। केडीए, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के सौजन्य से शहर गड्‌ढामय है। पर, ये सभी निर्दोष हैं। सारा दोष तो शहरवासियों का है। जो इस मौसम में बाहर निकलते हैं। जरूरत ही क्या है?
खुद गिरेंगे। खुद चोटिल होंगे। खुद मरेंगे। फिर दोष सरकारी एजेंसियों को देंगे।
खैर! लोग ही लापरवाह हैं, जो गड्ढों से बचकर नहीं चलते हैं।
प्रशासन को चाहिए कि वह इन दिनों अलर्ट जारी करे।
‘सावधान! शहर में गड्ढे हैं। बाहर निकलना जानलेवा हो सकता है। हादसे के िजम्मेदार स्वयं होंगे।’ जैसा रोडवेज की बसों में लिखा होता है। यात्री अपनी जान-माल की सुरक्षा स्वयं करें...। जैसा प्रहरी बांग देता है- जागते रहो ...। जैसा कोराना में िकया था। घर में रहें, सुरक्षित रहें...।
शहरवासी टूटी सड़कों के लिए प्रशासन को बेवजह दोष दे रहे हैं। जबकि, गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के बालकांड में साफ लिखा है- ‘समरथ को नहीं दोष गुसाईं।’ सामर्थ्यवान को दोष देना कतई उचित नहीं है।
प्रशासन को कोसना छोड़िए और गड्ढा पुराण पढ़िए। आप ही बताइए, गड्ढे किस काल, किस युग में नहीं हुए। द्वापर देख लीजिए। गड्ढे ने कर्ण की दानवीरता क्षीण कर दी। कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि का दृश्य है। अभिमन्यु पराक्रम दिखाने के बाद भूमि पर आहत पड़ा था। उसने कर्ण से पानी मांगा। पास ही गड्ढा था। उसमें पानी भी था। लेकिन, कर्ण ने अंतिम समय उसे पानी नहीं दिया। कर्ण का दानवीरता से कमाया जीवनभर का पुण्य नष्ट हो गया।
इस गड्ढे का महात्म्य देखिए। बाद में इ​सी में कर्ण के रथ का पहिया फंसा और वो मारा गया। कर्ण के पास वैजयंती नाम की शक्ति थी। कोई भी उसे सीधे युद्ध में परास्त नहीं कर सकता था। महाभारत के युद्ध में कर्ण ने अर्जुन को दस और श्रीकृष्ण को छह बाणों से बींध डाला। उसी वक्त कर्ण के रथ का पहिया गड्ढे में फंस गया। कर्ण पहिया निकालने उतरा। तभी श्रीकृष्ण ने कहा- अर्जुन, यही समय है। अर्जुन ने आंजलिक नामक बाण निकाला। कर्ण पर संधान कर उसका वध कर दिया।
आप देखिए, गड्ढे की ताकत। जो शूरवीर कर्ण की जान ले सकता है, तो आप और हम तो हैं ही क्या चीज। इसलिए खुद की सुरक्षा। खुद के हाथ।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने केडीए और नगर निगम के अफसरों को चेताया था- मुझे शहर में कहीं गड्ढे नहीं दिखने चाहिए। उन्होंने कलेक्ट्रेट में समीक्षा बैठक में कहा था-लोग हमें टूटी सड़कों के फोटो भेजते हैं। इस बैठक के बाद कलेक्टर पीयूष समारिया ने शहर के दौरे भी किए। लेकिन, महकमों पर कोई खास असर नहीं पड़ा। कॉलोनियां तो दूर की बात है, शहर की मुख्य सड़कों तक का बुरा हाल है। गड्ढे भरने के नाम पर सिर्फ गिट्टी डालकर छोड़ रहे हैं। यह गिट्टी रोड पर इधर-उधर बिखर रही है। वाहन चालकों के लिए यह और ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है।
खैर! उम्मीद पर दुनिया कायम है। आइए, हम शहरवासी मिलकर खड़े गणेश जी से प्रार्थना करें। काश! केडीए और निगम प्रशासन को गड्ढे दिख जाएं और हमारे शहर की सड़कों के हाल सुधर जाएं।
sarwesh.sharma@dbcorp.in

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