कोटा ज़िले के लाडपुरा प्रधान नईमुद्दीन गुड्डू को , पंचायत राज विभाग के वही अधिकारी , कर्मचारी जो कभी कांग्रेस के शासन में क़दम बोसी करते थे , जिन्हें रसमलाई वाली पोस्टिंग पर कोंग्रेसी लगाते थे , कांग्रेस कार्यर्कता इन अधिकारीयों के क्रिया कलापों की शिकायतें करते थे , तो मुख्यमंत्री पद पर बैठे अशोक गहलोत कहते थे , पहले मीटिंग बुलाओ , फिर मीटिंग में ऐसे अधिकारी के खिलाफ प्रस्ताव लाओ , फिर विधायक से लिखवाओ , स्थानीय मंत्री से कहो , फिर में सोचूंगा , यानी चील का ,,, लाओ , जो असम्भव सा है , और फिर अशोक गहलोत के मन मर्ज़ी अधिकारी कार्यर्कताओं पर खुलकर ज़ुल्म करते थे , यह वही अधिकारी है , जो अब भाजपा की जेब में है , नईमुद्दीन गुड्डू के खिलाफ षड्यंत्र रच कर , सरकारी प्यादे बनकर गैर क़ानूनी कार्यवाही में शामिल है , नईमुद्दीन गुड्डू के प्रधान निलंबन का पूर्व आदेश हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया , कचरे की टोकरी में डाल दिया कंटेम्प्ट के बाद भी , कई महीनों बाद सर पर सज़ा का खोफ आने पर रद्द आदेश के बाद भी बहाल नहीं किया , वोह जो आदेश पहले ही रद्द हो चूका था , उसे स्थगित करना लिखकर निलंबन स्थगन किया , वोह खुद कंटेम्प्ट था , लेकिन इस मामले में कोंग्रेसी हायकोर्ट अलग से याचिका लगाकर शिकायत करने नहीं पहुंचे , डोटासरा जी प्रदेश अध्यक्ष होकर इस मामले में बोलते नहीं ,, कल बूंदी थे , कोटा आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते थे , अशोक गहलोत तो उनके चहेते रहे अधिकारीयों का ही तो यह आदेश है , वोह विधायक तो है , लेकिन विधानसभा में कभी कभार ही जाते हैं , तो वोह तो बोलने से रहे , सचिन पायलेट जी भी विधायक है , लेकिन विधानसभा में कभी कभार ही जाते है , वोह भी ऐसे मुद्दों पर बोले ही नहीं , कोटा के विधायक पूर्व मंत्री शांति कुमार धारीवाल खुद कुछ भी नहीं बोल पाए , ,खेर यह गठबंधन आँतरिक गठबंधन के मामले यह पब्लिक है सब जानती है , लेकिन सवाल यह उठता है , के खुद नईमुद्दीन गुड्डू , हाल ही में जो निलंबन आदेश रद्द हो चुका था , उसे ही स्थगित करने के आदेश के साथ बहाली आदेश हुए थे , उसके खिलाफ दोषी अधिकारीयों को जेल भिजवाने के लिए कंटेम्प्ट में पृथक से क्यों नहीं गए , खेर फिर चट पट फिर निलंबन , तो यह पब्लिक है सब जानती है , नईमुद्दीन गुड्डू इस आदेश के खिलाफ भी हायकोर्ट जाएंगे ,, हो सकता है , संविधान की भावना के अनुरूप , वैधानिक अवैधता के विपरीत आदेश में उन्हें फिर राहत मिल जाए , ;लेकिन इस आदेश की खिचड़ी में शामिल , षड्यंत्रकारी अधिकारी , , कमर्चारी , जिस जांच दल का हवाला इस आदेश में दिया गया है , उन अधिकारीयों , कर्मचारियों , ज़िम्मेदारों के खिलाफ नईमुद्दीन गुड्डू खुद , सरकारी अधिकारों का दुरूपयोग करने , विधि की अवज्ञा कर , पद का दुरूपयोग कर , गैर क़ानूनी तरीके से उन्हें नुकसान पहुंचाकर , उनका मान मर्दन करने के मामले में , कोटा के संबंधित थाने में अधिकारीयों , कर्मचारियों के खिलाफ नामज़द मुक़दमा दर्ज क्यों नहीं कराते , ,अगर थानाधिकारी मुक़दमा दर्ज नहीं करता तो ऑन लाइन शिकायत कर , पुलिस अधीक्षक के पास क्यों नहीं जाते , फिर भी मुक़दमा दर्ज नहीं हो, तो अदालत के ज़रिये मुक़दमा दर्ज क्यों नहीं करवाते , क्योंकि कोई भी सरकारी कर्मचारी , सरकारी अधिकारी , किसी भी मंत्री ,किसी भी सरकार का इंस्ट्रूमेंट बनकर काम नहीं कर सकता , विधि ,, नियमों की पालना करना उसका कर्तव्य है , तो अगर विधि नियमों के विपरीत द्वेषता पूर्ण कोई भी काम अधिकारीयों कर्मचारियों का होता है तो फिर ऐसे अधिकारी कर्मचारी अपराधी होते है , उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है , ऐसे अधिकारी कर्मचारियों को , सद्भाविक कृत्य के नाम पर प्रोटेक्शन नहीं मिल सकता, लेकिन लड़ो तो सही , आगे बढ़ो तो सही ,, ,, अशोक गहलोत , गोविन्द जी डोटासरा , सचिन पायलट , टिका राम जूली , प्रह्लाद गुंजल ,, शान्ति धारीवाल अगर चुप भी हैं , खामोश भी हैं , तो क्या हुआ , अपनी लड़ाई अभी तक तुमने खुद ही लड़ी है ,एक लड़ाई फिर हिम्मत करके आगे लड़ो तो सही , कांग्रेस कार्यर्कताओं को संघर्ष और बेईमान , पल्टीबाज़ , सरकार के इशारे पर मनमानी कर भ्रष्ट आचरण से , विधि की अवज्ञा कर आपको नुकसान पहुंचाने वाले अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ सबूतों के साथ ,, विधिक संघर्ष कर कार्यकर्ताओं को फिर से संघर्ष का एक पैगाम दो तो सही , ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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