फोन पर कानूनी सलाह न दें – सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को स्पष्ट निर्देश दिए”
वकील और मुवक्किल का रिश्ता विश्वास पर टिका होता है। मुवक्किल अपने सवाल, समस्याएँ और उलझनें वकील के सामने खुलकर रखता है। लेकिन यह संवाद कितना सुरक्षित है? सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में वकीलों को चेतावनी दी है कि फोन पर दी गई कानूनी सलाह भविष्य में सबूत के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है और इस कारण वकील स्वयं ट्रायल का सामना करने की स्थिति में आ सकता है।

बातचीत रिकॉर्ड होकर अदालत में सबूत के तौर पर पेश की जा सकती है। आज के डिजिटल युग में लगभग हर मोबाइल में कॉल-रिकॉर्डिंग की सुविधा होती है। मुवक्किल या कोई तीसरा व्यक्ति भी वकील से हुई बातचीत रिकॉर्ड कर सकता है। बाद में यही बातचीत Evidence Act, 1872 की धारा 65B के तहत इलेक्ट्रॉनिक सबूत के रूप में अदालत में प्रस्तुत की जा सकती है। ऐसे में वकील द्वारा अनजाने में दी गई कोई भी सलाह उसके खिलाफ इस्तेमाल हो सकती है। इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए फोन पर विस्तृत चर्चा से बचना आवश्यक है।

फोन पर मुवक्किल से सभी तथ्य, दस्तावेज़
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