कोटा लाडपुरा पंचायत समिति , प्रधान के निलंबन स्थगन आदेश भी माननीय राजस्थान उच्चन्यायालय के आदेश का अपमान है, नईमुद्दीन गुड्डू ने अपने समर्थकों के साथ बरसती मूसलाधार बारिश में न्यायालय परिसर स्थित अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर जय संविधान के उदघोष के बीच , लाडपुरा समन्वयक अनिल आनन्द, ज़िला कोंग्रेस अध्यक्ष रविन्द्र त्यागी, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष आयना महक, पूर्व प्रधान राजेन्द्र मेघवाल, मोइजुद्दीन गुड्डू सहिट सैकड़ों समर्थकों के बीच, भारत के संविधान की प्रति भेंट में स्वीकार करने के बाद कहा, वोह कोंग्रेस नेतृत्व के साथ हर ज़ोर , ज़ुल्म , अत्यचार के विरुद्ध संवैधानिक प्रवधान के तहत संघर्ष जारी रखेंगे, नईमुद्दीन गुड्डू नें समर्थकों, मित्रों, न्यायविदों को धन्यवाद दिया, नईमुद्दीन गुड्डू को 27 फरवरी को राज्य सरकार ने कपोल कल्पित आरोप लगाकर संविधान, विधि नियम के विपरीत निलंबित कर दिया था, जिसके विरुद्ध राजस्थान उच्च न्यायालय ने विस्तृत सुनवाई के बाद अवैध करार देकर क्वेश यानी खारिज कर दिया था, लेकिन हठधर्मी संविधान की मर्यादाओं के विपरीत राजस्थान सरकार, इस सरकार के इंस्ट्रूमेंट के रूप में कार्यरत नोकरशाहों नें नईमुद्दीन के विरुद्ध आदेश खारिज होने पर भी उन्हें फिर दुबारा कार्यभार ग्रहण नहीं करने दिया, उनके साथ गए पूर्व मंत्री भरत सिंह को इच्छा के विरुद्ध रोके रखा, नईमुद्दीन गुड्डू अदालत आदेश की अवमानना पर ज़िम्मेदार अधिकारियों को दंडित करने के लियें अवमानना याचिका दायर की, पूरे पांच माह की ना नुकुर के बाद हाईकोर्ट के दबाव में पंचायत सचिव इंद्रजीत सिंह ने नईमुद्दीन गुड्डू की बहाली की जगह उनके निलम्बन आदेश को स्थगित करने का , उच्च न्यायालय की अवमानना करते हुए आदेश जारी किया , जबकि राजस्थान हाईकोर्ट उस आदेश को पूर्ण रूप से अवैध करार कर पूरी तरह से खारिज कर चुकी है, जो अस्तित्व हीन हो चुका आदेश है, राज्य सरकार ने उस आदेश को न्यायालय की मंशाअनुरूप खारिज स्वीकार नहीं किया , स्वेच्छा से उक्त खारिज आदेश को स्थगन कहकर 20 अगस्त का आदेश गोलमोल जारी किया , जो सरकार, सरकारी नोकरशाहों की हठधर्मिता दर्शाता है, ओर स्पष्ट रूप से माननीय न्यायालय की अवमानना का अपराध है, अख़्तर
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