अभिव्यक्ति
मुंशी प्रेमचंद कथा सम्मान के रूप में हमारे बीच आज भी है जिंदा है मुंशीप्रेमचंद........
कथाकार विजय जोशी जैसे सृजनकार की वजह से है आज भी जिंदा है कालजई कहानीकार मुंशी प्रेमचंद जी। इनको दो दिन पूर्व भोपाल में मिला "मुंशी प्रेमचंद कथा सम्मान" ज्वलंत उदाहरण है। पुरस्कार को केवल पुरस्कार के रूप में ही नहीं देखें वरन जिन्हें यह सम्मान मिलता है वे अपनी साहित्यिक धरोहर के संरक्षण के वाहक भी बनते हैं।
** गुलाब का फूल कभी नहीं कहता मुझ में खुशबू है। उसी तरह खामोशी से लिखने वाले की खुशबू भी मुंशीप्रेमचंद जैसे सम्मान से चारों और स्वत: ही फैलती है। यह सम्मान इसीलिए रखे जाते हैं कि मुंशीप्रेमचंद जैसे लोग सदैव अमर रहें। पीढ़ी दर पीढी वे याद आते रहे। सम्मान कैसे हुआ, क्या मिला, समारोह कैसा रहा, मुंशीप्रेमचंद सम्मान के सामने कुछ महत्व नहीं रखते।
** ऐसी महान विभूति के नाम से सम्मानित होने पर व्यक्ति विशेष तो सम्मानित होता है पूरा देश गर्व महसूस करता है। यह सब इतना आसान नहीं होता है। बड़े तप,त्याग, अथक परिश्रम, बुद्धि बल, कल्पनाशील लेखक जो अपने सृजन कौशल से समाज की समस्याओं को उठा कर, समाधान देता है और इनका सामना करने का संदेश भी देता है। विजय जोशी ऐसे ही गुणशाली व्यक्तित्व के धनी है, जिन्हें एक बार पहले भी मुंशी प्रेमचंद सम्मान प्राप्त करने का गौरव प्राप्त हुआ है।
** बड़ी बात यह भी है कि इन्हें कैसा भी सम्मान मिला हो कभी उत्तेजित नहीं होते हैं, सहज ,सरल और सामान्य रहते हैं। किसी को कानों कान खबर भी नहीं होती कब ये किसी पुरस्कार के लिए अपना आवेदन भेजते हैं। अपनी कार्यशैली, सोशल मीडिया पर सदैव संतुलित बात कहने, चुप-चाप लेखन में लीन रहने , सभी का सही मार्गदर्शन करने वाले वाले विजय जोशी नि:संदेह उभरती हुई नई युवा साहित्यकार पीढ़ी के आदर्श हैं।
** मुंशीप्रेमचंद सम्मान और पुरस्कार मिलने पर इसे साहित्यधर्मी को अनंत शुभकामनाएं और भावी उज्ज्वल जीवन की प्रभु से कामना......
डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा
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