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28 जुलाई 2025

निलंबन काफी नहीं, चलाएं ऑपरेशन शिक्षा मंदिर ...

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निलंबन काफी नहीं, चलाएं ऑपरेशन शिक्षा मंदिर ..............
कोटा संभाग में स्कूलों की जर्जर स्थिति में उनसे होने वाली बच्चों की मौतों और घायलों पर जिम्मेदारों को निलंबित कर देना ही काफी नहीं है। सरकार को अब ऑपरेशन विद्या मंदिर चलाने की तैयारी कर लेनी चाहिए। भविष्य में मासूमों की मौत नहीं हो और अभिभावकों का सरकारी स्कूलों से विश्वास बना रहे।
जल बचत के लिए जल संरक्षण अभियान, वृक्षारोपण के लिए हरियालों राजस्थान, पर्यटन के लिए पधारों म्हारे देस , बच्चों को टीकाकरण अभियान जैसे कई कल्याणकारी अभियान जोर शोर से चलते हैं। बजट की बड़ी राशि भी इनके लिए रखी जाती है। ऐसे में शिक्षा मंदिरों में होने वाले हादसों से शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नामांकन बढ़ाओ अभियान कैसे सफल होगा विचारणीय प्रश्न है।
दीवारों पर शिक्षा मंदिर लिखने से वे शिक्षा मंदिर नहीं बनेंगे जब तक उनमें शिक्षा प्राप्त कर वाले बच्चों की सुरक्षा की गारंटी नहीं होगी। सरकार को गंभीरता से सोचना होगा और अन्य अभियानों की तरह हर वर्ष ऑपरेशन शिक्षा मंदिर को अपना अनिवार्य एजेंडा बनाना होगा।
कोटा संभाग में ही नहीं पूरे राज्य में यह ऑपरेशन चला कर बड़े पैमाने पर जिला कलेक्टरों के अधीन एक व्यापक सर्वेक्षण कराया जा कर सर्वोच्च प्राथमिकता से स्कूल भवनों की मरम्मत और जरूरत के मुताबिक नए स्कूल भवन निर्माण का विशेष अभियान चलाया जाने की दरकार है।
हादसा पहली बार हुआ हो ऐसा नहीं है प्राय: हर मानसून काल में ऐसे हादसे पहले भी होते आए हैं। हादसों के होने पर निलंबन आदि की फौरी कार्यवाही की जा कर तकनीक हो जाती है पर उन परिवारों का क्या जिनके घर के चिराग असमय बुझ जाते हैं।
आज के एक प्रमुख समाचार पत्र में कोटा में ही बड़ी संख्या में जर्जर स्कूल भवन होने की बात सामने आना शिक्षा के विकास के नारे का आईना दिखाने को पर्याप्त है। ऐसे में शिक्षकों का भी मुख्य दायित्व हो जाता है वे अपने स्कूल भवनों की स्थिति को गंभीरता से लेकर लिखित में अपने उच्चाधिकारियों को सूचित करें। उच्चाधिकारी भी अपने मंत्रालय को स्थिति की जानकारी देते हुए वांछित बजट की मांग करें। स्कूल भवन की स्थिति अत्यंत दयनीय और गंभीर हो और कोई हादसा होने की स्थिति हो तो ऐसे स्कूल में या उसके ऐसे कमरों में पढ़ाई कार्य नहीं किया जाए। पढ़ाई जरूरी है पर किसी अनहोनी की कीमत पर नहीं।
जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में हर माह होने वाली मीटिंग में शाला भवनों के बारे में जानकारी दी जानी अनिवार्य किया जाए। जिला शिक्षा अधिकारी जब विद्यालय निरीक्षण पर जाते हैं तो इसको भी देखें।
मानसून काल आता है, हादसे हो जाते हैं, चारों तरफ संवेदनाओं का माहौल रहता है, सरकार की तरफ से कुछ को निलंबित करने, मृतक बच्चों के परिजनों को मुबावजा देने की कार्रवाई , बड़ी बड़ी बैठकों में चर्चा, अफसरों को लताड़, निर्देशों की झड़ी, मौका निरीक्षण,
माहौल को हल्का कर देती है। मानसून काल बीत जाता है, बात आई गईं हो जाती है और फिर से सब ठीक, विद्या मंदिर जस के तस।
( लेखक के निजी विचार हैं )
डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक , कोटा

 

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