परिवार में, परंपरा बना नेत्रदान
2. नेत्रदानी-देहदानी परिवार में फिर संपन्न हुआ नेत्रदान
आज
सुबह आदित्य मार्ग,गुलाब बाड़ी,निवासी पंकज लोढ़ा के पिताजी व
नरेंद्र,सुरेन्द्र के भाई महेंद्र कुमार लोढ़ा का आकस्मिक निधन हुआ है।
परिवार
में इससे पूर्व भी चचेरे भाई विभोर लोढ़ा की दादाजी प्रकाश चंद व दादीजी
स्व० ताराबाई का नेत्रदान संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से संपन्न
हुआ था,और करीबी रिश्तेदार स्व० राजेंद्र लोढ़ा के निधन के समय भी परिजनों
ने उनका देहदान संपन्न करवाया था ।
महेंद्र धर्म,कर्म और ईश्वर में
आस्था व सादा जीवन उच्च विचार रखने वाले व्यापारी थे । नेत्रदान के प्रति
भी परिवार में गहरी आस्था थी । इस कारण परिवार के सभी सदस्य और स्व०
महेंद्र की पत्नी शकुंतला ने तुरंत ही नेत्रदान के लिए सहमति दे दी, जिसके
उपरांत निवास स्थान पर नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 मई 2025
परिवार में, परंपरा बना नेत्रदान
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)