कोटा में आगजनी और बढ़ी घटनाओं के बाद ही प्रशासन , मेरीज हॉल , होटलों , अवैध निर्माण , नाला सफाई, अवैध अतिक्रमण , मिलावट पर फोकस कर कार्यवाही की सोचता है ,
प्रशासन का सारा फोकस सिर्फ नेताओं से उन्हें मिले निर्देश पालना कर , नेताओं को खुश करने में रहता है , ,जिस तरह की सख्ती मीट लाइसेंस और मीट बिक्री व्यवस्था पर दिखाई है , ऐसी सख्ती से आधी भी अगर यह अवैध निर्माण , अवैध संचालन मिलावट मामले में दिखा दें , तो शहर सुधर जाएगा ,, हादसों से बच जाएगा
कोटा 21 मई कोटा में प्रशासन , पुलिस व्यवस्थाएं सब क़ानून के हवाले कम और नेताओं के निर्देशों पर उन्हें खुश करने की कोशिशों में ज़्यादा हैं , यही वजह है , के हादसे हुए तो प्रशासन ,पुलिस बैठकें करते हैं , निर्णय लेते है , कुछ क्रियान्वित भी कर देते है , अवैध कारोबार , अवैध अतिक्रमण , होटलों , रिसोर्ट , स्वीमिंग पूल , वाटर पार्क , मेरीज हॉल , नालों पर अवैध अतिक्रमण , हर जगह खोमचों , ठेलों से लेकर , दुकानों तक , मिलावटयुक्त खाद्य पदार्थ ,कोचिंग गुरुओं की अव्यवस्थाएं , स्कूलों में डमी एडमिशन , वाहन चोरों के गिरोह की सक्रियता ,, अवैध कॉलोनियों की बसावट , छोटे से प्लाट पर भी अवैध रूप से स्वीकृति लिए बगैर मल्टी स्टोरी असुरक्षित निर्माण सहित , सब कुछ कोटा में है , इसके लिए मेने सुचना के अधिकार में जानकारी चाहने के लिए कोटा कलेक्टर जिला मजिस्ट्रेट , नगर निगम कोटा उत्तर , कोटा दक्षिण से आवेदन भी किया , सोचा था प्रशासन सचेत होकर जानकारियां जुटाता होगा , लेकिन जवाब आप खुद ही देख लीजिये , ऐसी कोई व्वयस्था नहीं है , जब प्रशासन के पास , होटलों , रिसोर्ट , वाटर पार्क , स्वीमिंग पुल , शादी घर , वेध , अवैध निर्माण क़ानून व्यवस्था , सुरक्षात्मक व्यवस्थाओं ,, असुरक्षित भवनों की जानकारी ही नहीं है , तो आपात स्थिति में वहां मदद कैसे पहुंचेगी , खेर शुभम मेरीज हॉल में हादसे के बाद शादी घरों के सर्वे की बात कही है , लेकिन इतना काफी नहीं है , सभी जगह की व्यवस्थाएं , लाइसेसं ,स्वीकृतियां , सुरक्षा व्यवस्थाएं सख्ती से देखना होंगी , जैसा मीट व्यवसाइयों के साथ सख्ती हो रही है ,इससे आधी भी अगर इन व्यवस्थाओं में प्रशासन ताक़त लगा दे , तो यक़ीनन कोटा में कई हादसे रुक जाएंगे , कई व्यवस्थाओं में सुधार हो जाएगा , लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा , हाँ ऐसा हो सकता है ,लेकिन तब , जब यहां सिफारिश पर नेताओं की कदमबोसी वाले अधिकारीयों की नियुक्ति नहीं हो , ,सिंघम भी हों , तो प्रशासनिक सिद्धांतों के तहत निष्पक्ष , बोल्ड अधिकारीयों की नियुक्ति हो , ,ईमानदार पत्रकार हों , यह खबर मेने मेरे कुछ पत्रकार साथियों को दी थी , के प्रशासन इन मुद्दों पर अलर्ट नहीं है , सतर्क नहीं है, प्रशासन के पास कोई सर्वे नहीं है , लेकिन कुछ नहीं हुआ कोई रचनात्मक खबर प्रकाशित नहीं हुई, बस देख रहे हैं , सोच रहे हैं, पता लगा रहें हैं , तस्दीक़ कर रहे हैं , में ही समय गुज़र गया और हादसा हो गया ,
कोटा में लीगल ,, इल्लीगल कुछ भी नहीं , बस जो सत्ता पक्ष के नेता आदेश कर दें ,, वोह इल्लीगल है , प्रशासनिक अधिकारी उसे ही रोकने पर, सारी ताक़त लगा देते हैं , और जिस मामले में , नेता जी चुप्पी साध लें , वोह सब हाँ वही सब कोटा में लीगल हो जाता है , अवैध अतिक्रमण हों , अवैध निर्माण हों , असुरक्षित भवन हों , अवैध होटलें हों , अवैध मेरीज हॉल हों ,. अवैध रिसोर्ट हों , अवैध वाटर पार्क , अवैध स्वीमिंग पूल हों ,. दस ,, बीस फिट की ज़मीन पर मल्टी स्टोरी अवैध रूप से असुरक्षित बिल्डिंग बनी हों , कहीं भी ठेला लगा लो , कुछ भी बनाकर बेचने लग जाओ , होटलों में ,, खोमचों में दुकानों में , फ़ूड लाइसेंस हों तो हों , नहीं तो जो चाहो , वोह बनाओ , वोह खिलाओ , पान , गुटका मसाला जहाँ चाहों , जैसा ,बनाओ उसमे जैसा चाहो , केमिकल मिलाओ , दूध , ,दही घी ,, मक्खन जिसमे चाहो , जैसे मिलावट करके धड़ल्ले से बेचो , जब तक , नेता जी उसे अवैध नहीं बताएंगे अधिकारीयों की निगाह में वोह अवैध हरगिज़ नहीं हैं , ,,खेर में बात कर रहा हूँ , कोटा के प्रबंधन , प्रशासनिक ,, प्रबंधन , कानून व्यवस्था की , यहां नेताओं को , मीट व्यवसाई अवैध लगे , तो बस , उसे ही प्रशासन ने अवैध समझकर , चालान, बनाना ,, जुर्माना लगाना , दुकाने सील करना शुरू किया , लेकिन नेताओं की निगाह में वेजिटेरियन होटलें , किराना सामग्री , फ्रूट , घी , तेल , मसाले , दूध ,, दही , घी ,, मक्खन , आइसक्रीम , कचोरी , समोसे , ,सड़कों के किनारे चाट पकोड़ी वाले , अवैध बस संचालक ,, स्कूलों में बोगस एडमिशन , कोचिंगों में , घंटों से अधिक प्रतिस्पर्धा माहौल में पढ़ाई का तनाव पूर्ण माहोल , ,, कुछ भी तो अवैध नहीं है , रिसोर्ट , होटलें ,घंटे , घंटे भर के लिए अवैध प्रेम प्रसंग से जड़े लोगों द्वारा ली जाने वाली होटलें ,मनमाने केमिकल वाले स्वीमिंग पूल ,, वाटर पार्क ,, अवैध अतिक्रमण , बिना निर्माण स्वीकृति के बनने वाली असुरक्षित मल्टी स्टोरी इमारतें ,, अवैध कॉलोनियां ,, सड़कों पर जानवरों की परवरिश वगेरा वगेरा ऐसे कई मामले हैं , जो अगर गलत नहीं हैं , तो प्रशासन को इन सभी अवैध काम काजों से कोई लेना देना नहीं है , बस टारगेट वही हैं ,, जो नेता जी चाहते हैं , नेता जी ने अगर कह दिया , मीट की दुकाने बंद होंगी , तो होंगी , उन पर सख्ती होगी तो होगी , ,, फिर जो प्रशासनिक कार्य आवश्यक रूप , से निष्पक्ष रूप से किया जाना है , उसके लिए पुलिस हो , प्रशासन हो , सभी लापरवाह हो जाते हैं , रूटीन वर्ग में लग जाते हैं , अब जब अधिकारी लोग , कर्तव्यनिष्ट की जगह , कर्त्तव्यविहीन होकर , नेताओं के यहां गिरवी हैं , तो फिर इस शहर का तो क़ुदरत ही मालिक है , ,कांग्रेस के कार्यकाल में बने सौंदर्य , निर्माण कार्य का रखरखाव तक, यह लोग नहीं कर पा रहे हैं , सामान चोरी हो रहे हैं , लाइटें बंद हैं , कोटा में नेताओं के इशारे पर चलने वाले , काम करने वाले , अधिकारीयों की नियुक्ति तो खुद , कोटा के आम नागरिकों के लिए खतरनाक थी ही सही , लेकिन अब कोचिंगों के पूर्व छात्र भी यहां अफसर बनकर आने लगे है , तो फिर , उनका झुकाव कोचिंग गुरुओं की तरफ तो होना ही है , ऐसे में कोचिंग गुरुओं के सम्मान में , हम सभी मैदान में , वाली कहावत तो होना ही है , ,कोटा जिला कलेक्टर , कोटा ग्रामीण , कोटा शहर पुलिस अधीक्षक शहर के लिए ज़िम्मेदार हैं , कोटा की सड़कों पर यह लोग कभी दिखे हों या नहीं , लेकिन कोचिंगों में कोचिंग मेस में इन्हे आये दिन देखा जा सकता है , खेर जाने भी दो , लेकिन दूसरे काम , बारिश के पूर्व नालों की सफाई की निगरानी कौन करेगा ,, आंधी ,, तूफ़ान की पूर्व सुचना पर ,विज्ञापन के लोहे के बोर्ड , गैलेंट्री रास्ता सूचक बोर्ड पर नेताओं के बधाई पोस्टर, फ्लेक्स, टूटे फूटे पेड़ जो गिरने वाले हैं, उनके खतरों से जनता को कौन बचायेगा , बिजली के झूलते तार , कमज़ोर बिजली के खम्बों सहित , बिजली के शार्ट सर्किट की सुरक्षात्मक जांच कौन करवाएगा , ,, कोटा में जिला कलेक्टर , जिला मजिस्ट्रेट भी होते हैं , वोह विस्फोटक लाइसेंस देने के लिए अधिकृत रहते हैं , ऐसे में कितने पटाखे , कितने विस्फोटक लाइसेंसी हैं , इनकी भी आकस्मिक जांच होना चाहिए , जिला मजिस्ट्रेट , होने के नाते , कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक , शहर और ग्रामीण की यह ज़िम्मेदारी है , के कोटा में कितनी होटलें , कितने रिसोर्ट , कितने स्वीमिंग पूल ,, होटलों में कितने कमरे हैं , क्या क्या सुरक्षात्मक व्यवस्थाएं हैं , स्वीमिंग पूल है , तो ट्रेनर है , या नहीं , केमिकल कोनसा है ,सुरक्षात्मक उपाए क्या हैं , रिसोर्ट है , तो वेध निर्माण है ,अवैध निर्माण है , खाने की सामग्री में मिलावट तो नहीं , मूल्य से अधिक लूट तो नहीं , होटलों , हॉस्टलों , रिसोर्ट के कमरों में ,कोई अवैध कारोबार तो नहीं हो रहा , एक एक घंटे के नाम पर, होटलों में कोई गड़बड़ी तो नहीं हो रही , सी सी टी वी कैमरे पर्याप्त हैं या नहीं , किस होटल को लाइसेंस की शर्तों के अनुरूप चलाया जा रहा है, टू स्टार , थ्री स्टार , फाइव स्टार फैसिलिटी विधिक रूप से है , या मनमानी कार्यवाही है , शादी के कार्यक्रमों के लिए मेरीज हॉल जो बने हैं , उनमे सुरक्षा के क्या उपाए हैं , उनकी निर्माण स्वीकृति है भी या नहीं , जो भूखंड , नगर विकास न्यास से या सरकार से , रियायती दरों पर समाज के कल्याण के कार्यों के लिए लिए गए हैं , उन प्लॉटों पर अवैध रूप से , व्यवसायिक कारोबार हो रहा है तो क्यों हो रहा है ,, प्राइवेट हॉस्पिटल के नाम पर , गली , गली , मोहल्लों में व्यस्तम इलाक़ों में , दो कमरों तीन कमरों , छोटे छोटे प्लॉटों में ही , मल्टी स्टोरी हॉस्पिटल बिना स्वीकृति के , बिना सुरक्षात्मक उपायों के खुले हुए हैं , मरीज़ों की सुरक्षा की व्यवस्था है भी या नहीं , ,अवैध रूप से साइकल स्टेण्ड चला रखे हैं , गार्ड सरकारी ज़मीन पर लोगों को रोक रोक कर अबे तबे करते हैं , जबकि कई बार यह अवैध साइकल स्टेण्ड वाले , जिनके पास बिना आपराधिक रिकॉर्ड तस्दीक़ के कर्मचारी , रहते हैं , जो , मोटर सायकल उठाने के लिए , उपकरण रखते हैं , फिर आसपास से मोटर साइकलें , वाहन चोरी क्यों होतें है , इस पर भी कोई निगरानी नहीं है , अभी हाल ही में मेने , खुद , कोटा की होटलों , इनके सुरक्षात्मक उपाय ,,स्टार फेसिलिटी , लाइसेंस की शर्तों के अनुरूप , होटल संचालन , सहित कुछ जानकारी ,, कितनी होटलें है , किस होटल में कितने कमरे हैं , सूचीबद्ध हैं भी या नहीं , हॉस्टल होटलों के रूप में कितने काम आ रहे हैं , रिसोर्ट कितने है , स्वीमिंग पुल वाटर पार्क की स्वीकृति , लाइसेंस , सुरक्षात्मक उपाय है भी या ,नहीं कभी आकस्मिक जांच हुई या नहीं , शादीघर कितने है , सुरक्षात्मक व्यवस्थाएं क्या है , निर्माण वेध है ,अवैध है , नगर निगम संबंधित विभागों से स्वीकृति प्राप्त हैं भी या नहीं , इसकी जानकारी , कोटा जिला कलेक्टर महोदय से , जिला मजिस्ट्रेट की हैसियत के नाते , कोटा दक्षिण , कोटा उत्तर नगर निगम से शादी घरों और अन्य भवनों के बारे में समस्त जानकारियां सुचना के अधिकार के तहत मांगी ,, ताज्जुब जब हुआ जब , कोटा जिला कलेक्टर कार्यालय यानी जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में , होटलों , रिसोर्ट , हॉस्टल , उनकी सुरक्षात्मक , रिपोर्ट , वेध , अवैध लाइसेसं की रिपोर्ट , आकस्मिक दुर्घटना पर सुरक्षा की व्यवस्थाएं ,कोई भी तो जानकारी नहीं थी , जबकि एक ज़िम्मेदार प्रशासन के पास यह सभी जानकरियां आवश्यक रूप से किसी भी आपदा से निपटने के लिए आवश्यक रूप से होना ही , चाहिये ,, नगर निगम जिधर नेता जी का आदेश होता है , उधर अतिक्रमण दस्ता लेकर पहुचं जाते हैं , लेकिन अगर नेता जी का कोई आदेश निर्देश नहीं है तो फिर शहर जाए भाड़ में ,, ,अख़्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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