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18 मई 2025

राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड और कोटा वक़्फ़ कमेटी में टकराव के हालात

 

राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड और कोटा वक़्फ़ कमेटी में टकराव के हालात
के डी अब्बासी
कोटा, मई। राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड और कोटा वक़्फ़ कमेटी में टकराव के हालात होने की खबर मिल रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की 14 मई को जयपुर में हुई बैठक में कोटा जिला वक़्फ़ कार्यकारिणी को भंग करने और तदर्थ समिति के रूप में वक़्फ़ बोर्ड के कर्मचारी फरीद खान और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इंसाफ आज़ाद को वक़्फ़ बोर्ड कार्यभार ग्रहण करवाने की बात सामने आ रही है। इस मामले सच्चाई जानने के लिए हमने तीन दिन से लगातार चेयरमेन खानू खान के
मोबाइल पर संपर्क करने इस मामले की सच्चाई जानने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने हमारे फोन को हर बार काट दिया जिससे उनका पक्ष हमको नहीं मिल पाया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वक़्फ़ बोर्ड ने इस मामले में 16 मई को दोपहर बाद हुई एक बैठक में आगामी दो जून को फिर से एक बैठक रखने का प्रस्ताव पास किया है। राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की हुई बैठक में कोटा के मोखापाड़ा में वक़्फ़ सम्पत्ति पर निर्माण कार्य, बरकत उद्यान की छत के मामले सहित कई अनेकों ज्वलत मुद्दों पर तो कोई विचार नहीं किया गया लेकिन वक़्फ़ कमेटी कोटा को भंग कर नया सदर को नियुक्त करने और नई कार्यकारिणी बनाने के मामले में ज़्यादा दिलचस्पी दिखाई गई। सूत्रों ने बताया कि वक़्फ़ बोर्ड की बैठक की जानकारी मिलते ही पूर्व में जो लोग इस पद की दौड़ में सियासी रूप से शामिल थे। उन्होंने जयपुर में चक्कर काटना शुरू किया। कई लोग विधायक रफ़ीक़ के पास सिफारिश कराने गए तो कोई प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के पास गए। तो कोई खुद सीधे वक्फ चेयरमेन खानू खान साहब के सम्पर्क में रहकर पद लेने की होड में शामिल रहे।
कोटा वक़्फ़ कमेटी में कर्मचारियों को लेकर उनके वेतन खर्च और महफ़िल खाना जंगलीशाह बाबा परिसर में टेंट के ठेके को लेकर शिकवे शिकायत का माहौल रहा। जबकि बोरखेड़ा लोढ़ी वाले बाबा की कमेटी को प्लाट की पत्रावलियां देने के मामले में भी विवाद बना रहा।वक़्फ़ कमेटी के ही एक पदाधिकारी अफ़रोज़ खान ने वक़्फ़ कमेटी के कर्मचारियों पर अनावश्यक वेतन खर्च ।और।उनके नियमतिकरण मामले में मनमानी का आरोप लगाकर एक रिपोर्ट भी अदालत के माध्यम से थाने में दर्ज कराई है। राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड से भी कर्मचारियों के वेतन का भार कम करने का दबाव रहा लेकिन खुद वक़्फ़ बोर्ड ने ही पिछले दिनों दो कर्मचारियों को कोटा में अस्थाई तोर पर नियुक्त करते हुए निर्देश दिए थे की इनका वेतन कोटा कमेटी देगी। एक तरफ तो कोटा कमेटी पर कर्मचारियों को अनावश्यक वेतन भुगतान का आरोप और दूसरी तरफ उन पर बेवजह कर्मचारियों को थोप कर , वेतन देने का दबाव और अब फिर एक कर्मचारी को कोटा में लगाकर उनका वेतन भी शायद कोटा से ही दिलवाने की कार्ययोजना हो।हाल ही में मोखापड़ा सूरजपोल रामतलाई की वक़्फ़ सम्पत्ति पर फ़र्ज़ी पट्टे रजिस्ट्री के आधार पर निर्माण कार्य जब शुरू हुआ तो वक़्फ़ कमेटी कोटा की कहीं सुनवाई नहीं हुई तो वक़्फ़ ट्रिब्यूनल में वक़्फ़ कमेटी चेयरमेन सरफ़राज़ अंसारी को मुक़दमा करना पढ़ा है । ऐसे कई मामले में हैं जो टकराव की स्थिति बयांन करते हैं। सरफ़राज़ अंसारी को शांति धारीवाल पूर्व मंत्री की सिफारिश पर विधायक रफ़ीक़ खान के प्रस्ताव के बाद वक़्फ़ कमेटी कोटा का सदर बनाया गया था।जबकि साजिद जावेद को पंकज मेहता की सिफारिश पर बनाया गया था जो अभी भाजपा में चले गए हैं। साजिद जावेद भी भाजपा में हैं। इन सब विवादों के चलते मीटिंग की बैठकों की पारदर्शिता पहली बार समाप्त की गई है।जबकि अभी तक जब भी वक़्फ़ बोर्ड की मीटिंग आयोजित होती उसके महत्वपूर्ण निर्णयों से प्रेस नॉट के माध्यम से आम जनता को जानकारी दी जाती थी।कोई भी निर्णय छुपाने का कभी प्रयास नहीं हुआ।अभी जो 14 मई को कोटा वक़्फ़ कमेटी भंग करने और फिर इंसाफ आज़ाद के साथ एक कर्मचारी को लगाने का जो प्रस्ताव रफ़ीक़ खान विधायक के पेश करने के बाद पास हुआ है।उसकी क्रियान्विति आज तक भी नहीं हो पाई है। जब इंसाफ आज़ाद को वक़्फ़ कमेटी कोटा की ज़िम्मेदारी दिए जाने की खबर आई तो सभी ने उन्हें बधाई देने शुरू कर दिया। अभी तक उन्हें कोई नियुक्ति पत्र नहीं मिला जब उन्हें लगातार उनके समर्थक बधाई देते रहे तो उन्हें मजबूरी में एक संदेश सोशल मिडिया पर देना पढ़ा कि मुझे वक़्फ़ कमेटी कोटा में नामजदगी को लेकर वक़्फ़ बोर्ड बैठक में चर्चा हुई थी , लेकिन अभी तक कोई अधिकृत पत्र नहीं मिला है।इसलिए जब तक अधिकृत घोषणा ना हो तब तक बधाइयां ना दें। कोटा वक़्फ़ कमेटी में अब पूर्व सदर निज़ाम बबलू की भी नज़र है।देखते हैं आगामी 2 जून को प्रस्तावित वक़्फ़ बोर्ड की बैठक में क्या फैसले होते हैं , कोटा वक़्फ़ कमेटी का भविष्य क्या रहेगा।यहां इन्साफ आज़ाद , अब्दुल रशीद क़ादरी , बादशाह खान , साजिद जावेद , या फिर निज़ाम बबलू या फिर कोई और या फिर प्रशासक के नाम पर कर्मचारी को कोटा से वेतन दिलवाने के लिए उसी की नियुक्ति की जाती है। इधर वक़्फ़ प्रावधान में किसी भी कमेटी को बिना जांच के हटाना गैर क़ानूनी माना गया है। क्योंकि राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देशानुसार वक़्फ़ कमेटी का चार्ज किसी प्रशासक या कर्मचारी को नहीं दिया जा सकता।वक़्फ़ कमेटी का चार्ज दूसरी वक़्फ़ कमेटी को ही दिया जाएगा। ऐसा
सिद्धांत अब्दुल रशीद पेपरवाला , शौकत अंसारी के मामले में राजस्थान हायकोर्ट निर्णय कर चुकी है।

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