नेत्रदान से अमर हुईं श्रीमती सुमित्रा देवी टक्कर
2. नेत्रदान संकल्पित सुमित्रा का हुआ नेत्रदान,समाज को दिया प्रेरणादायक संदेश
बारां,स्थानीय
कोटा रोड निवासी स्वर्गीय श्रीमती सुमित्रा देवी टक्कर का निधन होने पर
उनके पुत्रों वेद प्रकाश एवं विजेंद्र कुमार ठक्कर ने माता की अंतिम इच्छा
को पूर्ण करते हुए नेत्रदान कराया। यह न केवल एक पुत्रधर्म का निर्वाह था,
बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी प्रसारित किया कि,नेत्रदान एक महान
सेवा है, जिससे किसी को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाया जा सकता है।
माँ का संकल्प,पूरा करना पुत्रों का कर्तव्य
समाज
में यह आम धारणा है कि,वृद्धावस्था में लोग परंपराओं और अंधविश्वासों में
बंधे रहते हैं, लेकिन सुमित्रा देवी टक्कर ने इस रूढ़िवादिता को तोड़ा।
उन्होंने अपने पुत्रों से जीवनकाल में ही नेत्रदान की इच्छा जाहिर की थी।
उनके इस निर्णय ने यह साबित कर दिया कि,यदि संकल्प मजबूत हो तो,कोई भी
उम्र,जाती या भ्रांति में बंधा नहीं रह सकता।
उनके निधन की उपरांत
पुत्र विजेंद्र और वेद प्रकाश ने तुरंत शाइन इंडिया फाउंडेशन,के शहर संयोजक
हितेश खंडेलवाल से संपर्क किया। बिना किसी संकोच और विलंब के, उन्होंने
अपनी माता की अंतिम इच्छा को पूरा करने का निश्चय किया। इस पुनीत कार्य में
कोटा शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
और शीघ्रता से कोटा से बारां आकर नेत्रदान की प्रक्रिया को पूरा किया।
समाज को मिला जागरूकता का संदेश
नेत्रदान
संकल्पित सुमित्रा देवी टक्कर का यह निर्णय,और उनके पुत्रों का समर्पण
समाज में नेत्रदान जागरूकता का एक नया उदाहरण बन गया। यह संदेश देता है
कि,नेत्रदान से किसी जरूरतमंद को नया जीवन दिया जा सकता है और अंधकार में
डूबे किसी इंसान की दुनिया रोशन हो सकती है।
नेत्रदान: पुण्य की सबसे बड़ी सेवा
डॉ
गौड़ ने कहा कि,नेत्रदान केवल एक व्यक्ति का निर्णय नहीं होता, यह समाज के
लिए एक नई दिशा तय करता है। यह दिखाता है कि, मृत्यु के बाद भी दिवंगत
किसी के लिए रोशनी का स्रोत बन सकता है। इस पुनीत कार्य को करने के लिए
पुत्रों की सहमति और तत्परता एक मिसाल है।
इस अवसर पर भारत विकास
परिषद के पूर्व अध्यक्ष ज्योति मित्र मुकेश गुप्ता, वर्तमान अध्यक्ष हितेश
बत्रा, कमल अरोड़ा, विनय जलन, तरुण टक्कर सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित
रहे। उन्होंने इस नेक कार्य की सराहना की और इसे समाज के लिए एक
प्रेरणादायक कदम बताया।
प्रेषक
डॉ कुलवंत गौड़,
शाइन इंडिया फाउंडेशन, कोटा
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
24 फ़रवरी 2025
नेत्रदान से अमर हुईं श्रीमती सुमित्रा देवी टक्कर
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