कोटा लोकसभा के शीर्ष पद के मालिक का कोटा , केंद्रीय बजट में उपेक्षित , राजस्थान की विकास योजनाए , भविष्य का विकास उपेक्षित क्यूँ है , पच्चीस में से पच्चीस सांसद गैर कोंग्रेसी , चौबीस भाजपा एक ,,,, फिर भी , कोटा और राजस्थान को उपेक्षा की यह सज़ा क्यों है ,, ,,,कोई बताएगा ,, कोई लिखेगा ,, कोई याद दिलाएगा ,, कहो तो सही , बोलो तो सही , लिखो तो सही ,, यक़ीनन कोटा से शीर्ष नेतृत्व , बेहतर से बेहतर व्यक्तित्व हैं , तो उन्हें याद तो दिलाओ , बताओ तो सही , व्यस्त व्यवस्थाओं में अगर वोह भूल गए , तो क्या हुआ ,,,बजट में ना सही , बहस के दौरान , अंतिम बजट पारित होने के पूर्व ही कोटा को शायद कुछ मिल,,जाए . कोशिश तो करो , याद तो दिलाओ , कहो तो सही ,,
यक़ीनन केंद्र सरकार का बजट, राजस्थान ,, खासकर कोटा , और राजस्थान की न्यायिक व्यवस्था को उपेक्षित करने वाला बजट है , ,कोटा में जहाँ देश के शीर्ष पद पर बैठे प्रतिनिधित्व मौजूद है , उसके बाद भी कोटा को केंद्र सरकार से ,, आई आई टी ना मिले , दूसरे संस्थान ,, व्यवस्थाएं ना मिले, ,छूट ना मिले ,, तो फिर कोटा का कोटा होना बेकार हो जाता है , ,जी हाँ दोस्तों , आई आई टी अगर कोटा में आता , तो यक़ीनन , कोटा में स्टूडेंट का जो विकेन्द्रीकरण करने का प्रयास कर कोटा को योजनाबद्ध तरीके से खोखला किया जा रहा है , वोह बच जाता , कोटा फिर अपने पैरों पर खड़ा होता ,,, कोटा को पर्यटन मामले में बहुत कुछ दिया जाना चाहिए था , ज़ीरो मिला , कोटा को , मुकंदरा वन अभ्यारण्य को बहु उपयोगी आम जनता के लिए आकर्षक बनाने के लिए बहुत कुछ दिया जा सकता था , लेकिन अंगूठा मिला , ,कोटा के केथून में बुनकर उद्योग को ठेंगा दिखाया गया , तो पत्थर के इलाक़े में , ग्राउंड वाटर रिचार्ज योजना पर अतिरिक्त कुछ नहीं मिला , चलो कोई बात नहीं ,, लेकिन एयरपोर्ट तो घोषित है , इस एयरपोर्ट निर्माण के लिए तो अतिरिक्त बजट की सार्वजनिक घोषणा इसी बजट में होना चाहिए थी ,, नहीं हुई , तो कोटा के वकील साथियों से लोकसभा अध्यक्ष महोदय ने ,. , सार्वजनिक और लिखित कोटा में हाईकोर्ट बेंच खुलवाने का वायदा भी किया हुआ है , ,,लेकिन कोटा को हाईकोर्ट बेंच ,, सहित नई कोर्ट परिसर का इंफ़्रा स्ट्रक्चर बनाने के लिए कुछ भी तो अंशदान की घोषणा नहीं की गई , खेर कोटा मासूम , है , कोटा के लोग मासूम है , ,यहां तो राजनितिक रूप से ,, सिर्फ कोटा का शोषण हो रहा है , ,कोटा कोचिंग विकेन्द्रीकृत किये जाने की साज़िशें रच कर , कोटा आने वाले स्टूडेंट्स , उनके ज़रिये मिलने वाले रोज़गार के अवसरों को जिस तरह से यह बजट बिहार को समर्पित है , उसी तरह से बिहार मुख्य रूप से और मध्य्प्रदेश , दिल्ली , दक्षिणी भारत सहित कई दूसरे बढ़े शहरों में कोचिंग हब बनाकर कोटा ब्रांड नेम के नाम पर ,. अरबों रूपये की सम्पत्ति अर्जित कर , स्टूडेंट को वहीँ रोक दिया गया है , ,स्टूडेंट को , कोचिंग के माया जाल से निकाल कर स्कूली शिक्षा ,,की प्रतिभा , स्कूली शिक्षा के मेरिट पर ही , उसे कुछ मिले इस पर भी ध्यान नहीं दिया गया है , लेकिन क्या करें , ,राजस्थान में भाजपा के ही सांसद हैं , कांग्रेस से एक भी सांसद नहीं है , हनुमान बेनीवाल है , जो कोटा के लिए बोलेंगे नहीं , बोलें भी क्यों ,, कोटा में तो क़ुदरत ने खुद खज़ाना दे रखा है , ,कोटा पर्यटन और विकास , सोंदर्यकरण को बढ़ावा देने के लिए शांति कुमार धारीवाल एक कुदरती तोहफा साबित हुए हैं , इस क्षेत्र में शांति धारीवाल के प्रयासों से कोटा पर्यटन की बल्ले बल्ले हैं , लेकिन केंद्र सरकार से कोटा कृषि , कोटा के केंद्रीय विभागों के मुख्यालयों के केंद्रों की कोटा में स्वीकृति , कोटा एयरपोर्ट के लिए शीघ्रतम निर्माण का अतिरिक्त बजट , मुकदंरा डवलपमेंट बजट , ,, कोटा रेल्वे प्लेट फॉर्म्स में अतिरित्क सुविधाओं के लिए , निर्माणाधीन कार्यों के अलावा अतिरिक्त बजट , माल डिब्बा कारखाने के इन्तिज़ार में बैठे लोगों के लिए कुछ नहीं , और एयरपोर्ट तो आपने देख ही लिया ,, ,आई आई टी गंभीरता होती तो शायद आ जाती , ,हाईकोर्ट बेंच के लिए कोटा में पक्षकारों के आगमन से , जो कोटा का बाज़ार बढ़ने की उम्मीद है , कोटा वालों को सस्ता सुलभ न्याय मिलने की उम्मीद है , वोह कोसों दूर है , ,कोर्ट्स का इंफ़्रा स्ट्रक्चर ,, नारकोटिक्स , महिलाओं के विरुद्ध अपराध मामलों सहित , अतिरिक्त फ़ास्ट ट्रेक केंद्रीय कोर्ट्स के बारे में , चिकित्सा सहायता के बारे में , सोचा तक नहीं गया है ,, केथून के लिए अलग से राष्ट्रिय हब बनाने की योजना बनाई जा सकती थी , लेकिन कोई प्लान ऐसा बनाया ही नहीं गया ,, खेर , ,केंद्र सरकार की उपेक्षित निति यह कोटा की जनता के लिए नहीं , यह निति साबित करती है , के देश के शीर्ष पद पर बैठे ,,,हमारे कोटा के सांसद के प्रति , बजट में कोई ख़ास सम्मान शामिल नहीं किया गया है , क्योंकि शीर्ष पद एक व्यवस्था है , लेकिन लोकसभा क्षेत्र में विकास हो , इसके लिए , ,अगर उन्होंने कार्य व्यस्तता की वजह से कुछ योजनाएं बनाई भी नहीं हों,, डिमांड करना चूक भी गए हो , तो उनके सम्मान में उनके शहर , उनके संसदीय क्षेत्र में आवश्यक इंफ़्रा स्ट्रक्चर , रोज़गारोनमुखी योजनाओं ,, शैक्षणिक व्यवस्था , पर्यटन, उद्योग विस्तार , न्यायिक विकेन्द्रीकृत सस्ती सुलभ व्यवस्था , सहित सभी मुद्दों पर सभी मंत्रालय में बैठे लोगों को देखना था , ,कुछ अतिरिक्त कोटा को देना था , लेकिन ,, लेकिन ,.,. खेर देखते हैं , अनुदान मांगों पर बहस के बाद , पत्रकारिता की तीखी क़लम कोटा में मामले में जो भोंटी सी हुई है , कोटा के मामले में पत्रकारिता की क़लम की जो स्याही सूख गई है , उसकी खोजबीन की खबरों के बाद , ,ओरिजनल कोटा से प्यार करने वालों के प्रयासों से क्या अभी अंतिम बजट घोषणाओं में , इन व्यवस्थाओं को जोड़ा जा सकता है , ,फिर से कोटा को बाग़ बाग़ , चमन , चमन ,रोज़गारोन्मुखी , योजनाओं और न्यायिक व्यवस्थाएं ,, हायकोर्ट की बेंच के साथ बहतर की जा सकती है , एयरपोर्ट का व्यवस्थित बजट , व्यवस्थित शीघ्रतम निर्माण के प्रयासों की व्यवस्थाएँ हो सकती है , वर्ना एक घर बेचकर , दूसरा घर लेना ,तो कोई भी व्यवस्था कर सकता है ,, इसी तरह से एक एयर पोर्ट को बेचकर दूसरा एयरपोर्ट बनाना , उससे बची रक़म दूसरी जगह लगाकर वहां एयरपोर्ट व्यवस्थाएं विकसित करना ,, तो कोई भी कर सकता है , , ,खेर पत्रकारिता की इस मामले में टार्गेटिव तीखी क़लम की स्याही तो शायद अभी बन नहीं पा रही हैं , लेकिन सकारात्मक राजनितिक विरोध , बयानबाज़ी के लिए भी ,, किसकी है ज़िम्मेदारी , इस मामले में , बयान देने वाले , कांग्रेस के नेताओं में भी अब दम खम नहीं है गोल मोल विरोध अलग बात है ,, ;लेकिन इनकी आंतरिक सेटिंग सभी जानते है , ,बजट पर प्रतिक्रिया अलग बात है , लेकिन बजट में क्यों कोटा उपेक्षित रहा , इसपर ज़िम्मेदारी किसकी है , कांग्रेस का इक्का दुक्का को अगर छोड़ दें , तो एक भी भी नेता ,, ज़िम्मेदारी आयद कर , कोटा के हक़ में ,केंद्र की उपेक्षा के लियें ज़िम्मेदारी आयद करते हुए ज़िम्मेदार व्यक्ति की उपेक्षा को लेकर ,बोलने की स्थिति में नहीं है , जो कोंग्रेसी कभी बोला करते थे , वोह अब केंद्र सरकार की ही पार्टी में है , जो लिखा करते थे , वोह ,,वोह ,, उनकी टूटी क़लम तलाश रहे हैं , खेर अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है , ,दुआ करो , ज़मीर जागे , और खुद बा खुद , , बजट पर अंतिम बहस के पहले , इन व्यवस्थाओं में से कोटा के लिए जितना भी सम्भव हो सके , वोह तो ,, अगर मांग कर नहीं भी मिले , तो छीन कर लेने की ज़िम्मेदारी शायद , , कोटा को कोटा हक़ दिलवाने के लिए निभाई जाए , देखते हैं , एक ब्रेक के बाद ,, ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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