अनुभवी एडवाइजर नियुक्त के मुद्दे तथा जिले खत्म करने पर-
देखिए मैं मुख्यमंत्री भजनलाल जी को जीवन में बहुत बड़ा चांस मिला है कि प्रथम बार एमएलए बने और वो मुख्यमंत्री बन गए, ऐसा बहुत कम होता है। अगर उनकी पार्टी ने उनको मौका दिया है तो उनको चाहिए कि एडवाइजर अच्छे रखें जो अनुभवी हो। राजस्थान के नेताओं में जो बीजेपी के भी हों अनुभव की कमी नहीं है। अनुभव का कोई विकल्प नहीं होता है। उनको वो काम में लेवें। जिले उन्होंने समाप्त कर दिए, हमनें कहा और अधिक जिले बनाने की गुंजाइश है राजस्थान के अंदर। मेरे पास पूरे आंकड़े हैं कि गुजरात के अंदर मध्य प्रदेश के अंदर जो हमसे कम आबादी के एरियाज हैं वो जिले बने वहां पर। हमारे से कम आबादी के भी बने हैं। तो यहां और जिले बनाने की गुंजाइश थी जिससे की प्रशासनिक दृष्टिकोण से जनता को दूर नहीं जाना पड़े। दिन भर जाते हैं सौ किलोमीटर डेढ़ सौ दो सौ किलोमीटर,ढाई सौ किलोमीटर , ढाई सौ किलोमीटर जाएगा आदमी और उस दिन मान लीजिए कोई कारण से अधिकारी नहीं मिला उनको, कलेक्टर नहीं मिला, एसपी नहीं मिला ,एडीएम नहीं मिला,वापस जाता है अपने घर पे, कहां रहे रात को, तो अगर प्रशासनिक दृष्टिकोण से तहसील खुलती है तो लोग खुश होते हैं तहसील खुल गई है दूर नहीं जाना पड़ेगा।जिले बनाना किसे कहते हैं, उन जिलों को समाप्त कर दिया गया, कोई कारण नहीं। अधिक जिले बनने चाहिए थे। उसी प्रकार से नगर निगम दो बनाई गईं, जिले भी हममें बनाए देहात और शहर अलग बनाए थे। इतने बड़े जिले हो गए आजकल वो तमाम जिले के लोग आते हैं बार बार जाना पड़ता है वापस उनको। वो भी खत्म कर दिए हैं जोधपुर हो जयपुर हो और अब आपका ये नगर निगम। इतना बड़ा एरिया हो गया है आबादी बढ़ गई है , इतनी समस्याएं पैदा हो गई हैं ,नई नई स्कीम आने लग गई हैं केंद्र की हो या राज्यों की हों अगर उनको इंप्लीमेंट करना है आपको तो आपको दो निगम बने हैं उनको मजबूत करना चाहिए था। अधिकारियों को आप टाइम पर लगाते वहां, अच्छे अधिकारी लगाते, उनकी मॉनिटरिंग करते कि वास्तव में क्योंकि ये चुनी हुई नगर पालिका नगर निगम होते हैं, यहां की पब्लिक की समस्या सबसे बड़ी होती हैं । आज जनता अगर दुःखी होती है तकलीफ सफाई नहीं हुई है, सीवरेज सिस्टम चोक हो गया है ,सड़कें टूटी फूटी पड़ी हैं गली मोहल्ले के अंदर, पट्टे नहीं मिल रहे हैं ,जो रोजमर्रा की समस्याएं पब्लिक की हैं वो डील होती हैं नगर निगम से होती हैं नगर परिषद से होती हैं नगर पालिकाओं से होती हैं इसलिए हमारी गवर्नमेंट उनको अलग से फंड दिया था सड़कों के लिए भी। नगर निगम नगर पालिका नगर परिषद में हमनें बीस तीस चालीस करोड़ रुपए तक दिए मेरे ख्याल से जहां तक मुझे याद है कि सड़कें अच्छी बननी चाहिएं वहां पर। तो कहने का मतलब यह कि इस प्रकार और ज्यादा नवाचार करते जो हमने किया, एक्स्ट्रा पैसे दिए सड़कों के लिए, करीब 12 लाख पट्टे दिए हैं हमनें पब्लिक को, चालीस पचास साल से बैठे लोग हैं उनको पट्टे नहीं थे उनके पास में,कितनी खुशी हुई होगी कोई बीस तीस चालीस पचास हजार लोग बैठे हुए हैं, बगैर पट्टों के बैठे हुए हैं, पट्टा मिल गया उनको आज,12 लाख लगभग पट्टे मिले होंगे , अभी भी पट्टे की मांग हो रही है जो लोग बच गए हैं उसपे ध्यान देना चाहिए। उनके बजाए नगर निगम दो का एक कर दो, जिले बनाए थे वो खत्म कर दो, तो फिर ये सरकार क्या काम कर रही है, गुड गवर्नेंस कैसे देगी ? सुशासन कैसे देगी ? सुशासन का मतलब इनको समझना पड़ेगा कि सुशासन किसे कहते हैं और वो इसलिए मैने कहा अनुभवी लोगों की जरूरत है इस सरकार के अंदर। मैं मुख्यमंत्री की आलोचना नहीं करना चाहता क्योंकि उनको एक मौका मिला है पहली बार एमएलए कोई बने और मुख्यमंत्री बन जाए बहुत रेयर होता है ,जो इनको मौका मिल गया है। अब राजस्थान में हम लोग रहते हैं, राजस्थानवासियों का भला तब होगा तब अनुभव के साथ में गवर्नेंस होगी , सुशासन होगा , तब जाके राजस्थानवासियों का भला होगा , राजस्थान विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा , विकास का मार्ग प्रशस्त होगा ये मेरा कहना है।
उदयपुर जाओ जोधपुर जाओ, मंदिर में जाओ, मस्जिद में जाओ हम स्वागत करते हैं, वो तो उनके ऊपर है।
मेडिकल स्वास्थ्य सेवाओं पर-
आप जोधपुर की बात मेडिकल की बात कर रहे हो, आप जाके पता कीजिए एमडीएम में क्या हो रहा है ,करोड़ों रुपए का कर्जा हो गया है वहां पर करोड़ों रुपए का। डॉक्टर लोग दुखी हैं वो कहते हैं कि सारे वेंडर्स ने पेमेंट के अभाव में समान नहीं दे रहे मेडिकल का वो ,हमें शर्म आती है कि हम लोग एम्स में रहे हुए हैं , हमारा अनुभव है, उसके बाद हम जानते हैं कि मरीज का इलाज यहां हो सकता,तब भी क्योंकि हमारे पास में तो सामग्री नहीं है, दवाई नहीं है, इक्विपमेंट नहीं है तो हमें भेजना पड़ता है उनको गुजरात के अंदर, हमें खुद को शर्म आती है। ये तो स्थिति बना दी है इन्होंने पहली स्कीमों की, पहले की स्कीमों की यह स्थिति है राजस्थान के अंदर ,खाली जोधपुर की बात नहीं है ,जोधपुर जैसे शहर जो कि दूसरा शहर है राजस्थान का, एमडीएम में, एमडीएच में, उम्मेद में ,हमनें क्या नहीं किया यहां पर ,आज उसको ये मेंटेन नहीं कर पा रहे हैं, दवाईयां नहीं हैं इनके पास में , डॉक्टर दुःखी हैं तो हालात बड़े गंभीर हैं ,और शिक्षा और स्वास्थ्य दो क्षेत्र ऐसे हैं जहां सरकार को सबसे ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। शिक्षा और स्वास्थ्य अच्छा है किसी प्रदेश के अंदर ,आप लोगों का, नौजवानों का,छात्रों का तो उसका फ्यूचर अपने आप ही बन जाता है, शिक्षा से भी, स्वास्थ्य अच्छा रहने से भी। तो ये स्थिति बनी हुई है ,क्या इनके बारे में बात करें ।
एक साल हो गया, एक साल में कम से कम परफॉर्मेंस दिखाते। मिस्टर जूली को बोलने नहीं दिया गया हाउस का अंदर, नेता प्रतिपक्ष को ,बहाना मिल गया साहब ये तो नारेबाजी कर रहे हैं , नारेबाजी क्यों कर रहे हैं ये तो उनको मालूम था। एक लाइन में बोलना था किरोड़ीलाल मीणा हमारे मंत्री का कोई भी फोन टैप नहीं हुआ है यही बोलना था ,नारेबाजी खत्म हो जाती ,खत्म करवानी नहीं थी उनको, कि ये कोई बोल नहीं पाए जनसमस्याओं को लेके और खुद ने दो घंटे भाषण दे दिया वहां पर। तो ये स्थिति है। आज भी क्या हो रहा है धरना दिए हुए बैठे हैं हमारे लोग , भई पहले भी धरने होते थे,बीजेपी के लोग धरने पर बैठते थे।
मेडिकल स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। पूरे आम लोगों को पता ही नहीं है कि 25 लाख का बीमा जो है चिरंजीवी योजना का वो आज कायम है कि नहीं है किसी को नहीं मालूम है। बताने के लिए कोई तैयार नहीं है। प्राइवेट जो अस्पताल थे वहां पर इलाज बंद हो गया है चिरंजीवी योजना वालों का, वो कहते हैं हमें पेमेंट नहीं मिल रहा है, दवाईयां हैं नहीं , खरीदने की ऑथोरिटी दी नहीं गई है, गाइडलाइन जो होती है स्टेट गवर्नमेंट के मंत्रालय की स्वास्थ्य मंत्रालय की, उन्होंने गाइडलाइन जारी ही नहीं करी है तो लोग कंफ्यूज हैं हम क्या इलाज करें क्या नहीं करें ,कौन सी दवाई खरीद सकते हैं नहीं खरीद सकते हैं किसी को नहीं मालूम है। ये हालात में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बिगड़ गई राजस्थान के अंदर, लोग बहुत दुःखी हैं, लोग बहुत दुःखी हैं चक्कर लगा रहे हैं अस्पतालों के अंदर, दवाएं नहीं मिल रही हैं टेस्ट नहीं हो रहे हैं और मैने सुना है कि जोधपुर में तो एमडीएम में सत्तर करोड़ रुपए के कर्जे हो गए हैं। मुख्यमंत्री कल आ रहे हैं जोधपुर के अंदर, उन्हें चाहिए कि कम से कम मालूम तो करें कि सत्तर करोड़ के कर्जे होने के बाद में सारे वेंडर जो हैं जो सप्लाई करते हैं दवाईयों को या इक्विपमेंट को, सबने बंद कर दिया है वहां पर देना,बंद कर दिया है। क्या स्थिति बन रही है एक तरह से संभागीय मुख्यालय है ये, पूरे संभाग के लोग यहां आते हैं इलाज के लिए। वहां की स्थिति अगर ये है तो आप समझ सकते हो बाकी जिलों की क्या होगी। स्थिति बड़ी विकट होती जा रही है। इसलिए मैने कहा अनुभव की जरूरत है। राजस्थान में अनुभव, अनुभव एडवाइजर । मिस्टर माननीय मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को आवश्यकता है अच्छे एडवाइजर की। बीजेपी के अंदर बड़े पुराने लोग बैठे हैं ,चुनाव जीत नहीं पाए होंगे मान लो, कभी एमपी रहे होंगे, एमएलए रहे होंगे, मंत्री रहे होंगे, चुनाव जीतना नहीं जीतना अलग बात है , उनके अनुभव का लाभ क्यों नहीं ले रहे हैं वो ? एमएलए के जीत के आए होंगे , अनुभव का कोई विकल्प नहीं होता मैं बार बार कह रहा हूं। वरना वो, मैं समझता हूं कि गुड गवर्नेंस की बात तो छोड़ो त्राहि त्राहि मची हुई है राजस्थान के अंदर, त्राहि त्राहि मची हुई है। शिक्षा में, स्वास्थ्य में, अंग्रेजी मीडियम पर कमेटी बना दी, अरे क्रांतिकारी काम है वो, हमारे गांव के बच्चे लड़के लड़की किसानों की,दलितों की,पिछड़ों की ,इंग्लिश पढ़ रही है बोल रही है वो कहां जाएगी कोई सोच नहीं सकता। सरकार ने सुविधा दी उनको, उसको बंद करने के लिए कमेटी बन रही है । जिले बंद कर ही दिए बता ही दिया आपको, तो ये स्थिति बड़ी विकट है राजस्थान के अंदर। इसलिए मुख्यमंत्री को चाहिए कि वो अविलंब अपने एडवाइजर घोषित करें। मैने बनाए थे मेरे एडवाइजर, मैं तीन बार का मुख्यमंत्री था तब भी मैंने एडवाइजर बना दिए तो ये तो पहली बार जीत के आए हैं भई, एमएलए बने हैं और इनको मौका मिला मुख्यमंत्री बनने का तो इनको चाहिए कि अच्छे एडवाइजर रखें।
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