ऐ लोगों अपने परवरदिगार की इबादत करो जिसने तुमको और उन लोगों को जो तुम से पहले थे पैदा किया है अजब नहीं तुम परहेज़गार बन जाओ (21)
जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन का बिछौना और आसमान को छत बनाया और आसमान से
पानी बरसाया फिर उसी ने तुम्हारे खाने के लिए बाज़ फल पैदा किए बस किसी को
खु़दा का हमसर न बनाओ हालाँकि तुम खू़ब जानते हो (22)
और अगर तुम लोग इस कलाम से जो हमने अपने बन्दे (मोहम्मद) पर नाजि़ल
किया है शक में पड़े हो बस अगर तुम सच्चे हो तो तुम (भी) एक सूरा बना लाओ
और खु़दा के सिवा जो भी तुम्हारे मददगार हों उनको भी बुला लो (23)
बस अगर तुम ये नहीं कर सकते हो और हरगिज़ नहीं कर सकोगे तो उस आग से
डरो जिसके ईधन आदमी और पत्थर होंगे और काफि़रों के लिए तैयार की गई है (24)
और जो लोग इमान लाए और उन्होंने नेक काम किए उनको (ऐ पैग़म्बर)
खुशख़बरी दे दो कि उनके लिए (बेहिश्त के) वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरे
जारी हैं जब उन्हें इन बाग़ात का कोई मेवा खाने को मिलेगा तो कहेंगे ये तो
वही (मेवा है जो पहले भी हमें खाने को मिल चुका है) (क्योंकि) उन्हें मिलती
जुलती सूरत व रंग के (मेवे) मिला करेंगे और बेहिश्त में उनके लिए साफ
सुथरी बीवियाँ होगी और ये लोग उस बाग़ में हमेशा रहेंगे (25)
बेशक खु़दा मच्छर या उससे भी बढ़कर (हक़ीर चीज़) की कोई मिसाल बयान
करने में नहीं झेंपता बस जो लोग ईमान ला चुके हैं वह तो यह यक़ीन जानते हैं
कि ये (मिसाल) बिल्कुल ठीक है और ये परवरदिगार की तरफ़ से है (अब रहे) वह
लोग जो काफि़र है बस वह बोल उठते हैं कि खु़दा का इस मिसाल से क्या मतलब
है, ऐसी मिसाल से ख़ुदा बहुतेरों की हिदायत करता है मगर गुमराही में छोड़ता
भी है तो ऐसे बदकारों को (26)
जो लोग खु़दा के एहदो पैमान को मज़बूत हो जाने के बाद तोड़ डालते हैं
और जिन (ताल्लुक़ात) का खु़दा ने हुक्म दिया है उनको क़ताआ कर देते हैं और
मुल्क में फसाद करते फिरते हैं, यही लोग घाटा उठाने वाले हैं (27)
(हाँए) क्यों कर तुम खु़दा का इन्कार कर सकते हो हालाँकि तुम (माओं के
पेट में) बेजान थे तो उसी ने तुमको ज़िन्दा किया फिर वही तुमको मार डालेगा,
फिर वही तुमको (दोबारा क़यामत में) जि़न्दा करेगा फिर उसी की तरफ लौटाए
जाओगे (28)
वही तो वह (खु़दा) है जिसने तुम्हारे (नफ़े) के ज़मीन की कुल चीज़ों को
पैदा किया फिर आसमान (के बनाने) की तरफ़ मुतावज्जेह हुआ तो सात आसमान
हमवार (व मुसतहकम) बना दिए और वह (खु़दा) हर चीज़ से (खू़ब) वाकि़फ है (29)
और (ऐ रसूल) उस वक़्त को याद करो जब तुम्हारे परवरदिगार ने फ़रिश्तों
से कहा कि मैं (अपना) एक नायब ज़मीन में बनानेवाला हूँ (फरिश्ते ताज्जुब
से) कहने लगे क्या तू ज़मीन में ऐसे शख़्स को पैदा करेगा जो ज़मीन में
फ़साद और खू़ँरेजि़याँ करता फिरे हालाँ तो कि (अगर) ख़लीफा बनाना है (तो
हमारा ज़्यादा हक़ है) क्योंकि हम तेरी तारीफ व तसबीह करते हैं और तेरी
पाकीज़गी साबित करते हैं तब खु़दा ने फरमाया इसमें तो शक ही नहीं कि जो मैं
जानता हूँ तुम नहीं जानते (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 जनवरी 2025
बस अगर तुम ये नहीं कर सकते हो और हरगिज़ नहीं कर सकोगे तो उस आग से डरो जिसके ईधन आदमी और पत्थर होंगे और काफि़रों के लिए तैयार की गई है
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