मगर जब उसको (इस तरह) आज़माता है कि उस पर रोज़ी को तंग कर देता है बोल उठता है कि मेरे परवरदिगार ने मुझे ज़लील किया (16)
हरगिज़ नहीं बल्कि तुम लोग न यतीम की ख़ातिरदारी करते हो (17)
और न मोहताज को खाना खिलाने की तरग़ीब देते हो (18)
और मीरारा के माल (हलाल व हराम) को समेट कर चख जाते हो (19)
और माल को बहुत ही अज़ीज़ रखते हो (20)
सुन रखो कि जब ज़मीन कूट कूट कर रेज़ा रेज़ा कर दी जाएगी (21)
और तुम्हारे परवरदिगार का हुक्म और फ़रिश्ते कतार के कतार आ जाएँगे (22)
और उस दिन जहन्नुम सामने कर दी जाएगी उस दिन इन्सान चैंकेगा मगर अब चैंकना कहाँ (फ़ायदा देगा) (23)
(उस वक़्त) कहेगा कि काष मैने अपनी (इस) जि़न्दगी के वास्ते कुछ पहले भेजा होता (24)
तो उस दिन ख़ुदा ऐसा अज़ाब करेगा कि किसी ने वैसा अज़ाब न किया होगा (25)
और न कोई उसके जकड़ने की तरह जकड़ेगा (26)
(और कुछ लोगों से कहेगा) ऐ इत्मेनान पाने वाली जान (27)
अपने परवरदिगार की तरफ़ चल तू उससे ख़ुश वह तुझ से राज़ी (28)
तो मेरे (ख़ास) बन्दों में शामिल हो जा (29)
और मेरे बेहिश्त में दाखि़ल हो जा (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 दिसंबर 2024
हरगिज़ नहीं बल्कि तुम लोग न यतीम की ख़ातिरदारी करते हो
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