सूरए अल इन्शिकाक मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी पच्चीस (25) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
जब आसमान फट जाएगा (1)
और अपने परवरदिगार का हुक्म बजा लाएगा और उसे वाजिब भी यही है (2)
और जब ज़मीन (बराबर करके) तान दी जाएगी (3)
और जो कुछ उसमें है उगल देगी और बिल्कुल ख़ाली हो जाएगी (4)
और अपने परवरदिगार का हुक्म बजा लाएगी (5)
और उस पर लाजि़म भी यही है (तो क़यामत आ जाएगी) ऐ इन्सान तू अपने परवरदिगार की हुज़ूरी की कोशिश करता है (6)
तो तू (एक न एक दिन) उसके सामने हाजि़र होगा फिर (उस दिन) जिसका नामाए आमाल उसके दाहिने हाथ में दिया जाएगा (7)
उससे तो हिसाब आसान तरीके़ से लिया जाएगा (8)
और (फिर) वह अपने (मोमिनीन के) क़बीले की तरफ ख़ुश ख़ुश पलटेगा (9)
लेकिन जिस शख़्स को उसका नामए आमल उसकी पीठ के पीछे से दिया जाएगा (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 नवंबर 2024
जब आसमान फट जाएगा
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)