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22 नवंबर 2024

और जिस वक़्त आसमान का छिलका उतारा जाएंगा

  और जिस वक़्त आसमान का छिलका उतारा जाएंगा (11)
और जब दोज़ख़ (की आग) भड़कायी जाएंगी (12)
और जब बेहिश्त क़रीब कर दी जाएंगी (13)
तब हर शख़्स मालूम करेगा कि वह क्या (आमाल) लेकर आया (14)
तो मुझे उन सितारों की क़सम जो चलते चलते पीछे हट जाते (15)
और गायब होते हैं (16)
और रात की क़सम जब ख़त्म होने को आ, (17)
और सुबह की क़सम जब रौशन हो जाऐ (18)
कि बेशक यें (क़ुरान) ऐक मुअज़िज़ फरि’ता (जिबरील की ज़बान का पैगाम है (19)
जो बड़े क़वी अर्श के मालिक की बारगह में बुलन्द रुतबा है (20)

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