जनाब अब्दुल रशीद खान " आज़ाद" के न रहने का पीड़ा दायक समाचार शिक्षा और साहित्य की खूबियों से समृद्ध के एक बेमिसाल इंसान का हमारे बीच से अचानक गुज़र जाना है
अभी एक सप्ताह भी नहीं गुज़रा, जब हम तमाम लोगों ने जानी मानी शायर
डॉ रौनक रशीद खान के हमदम / जीवन साथी, हर दिल अजीज़ जनाब अब्दुल रशीद " आज़ाद " साहेब को उनके जन्म दिन पर ढेर सारी बधाइयां दी थीं और उनकी लंबी उम्र की दुआएं मांगी थीं। अभी अचानक ही यह पीड़ा दायक खबर मिली है कि करीब तीन दिन पहले मुंबई में उनका निधन हो गया है। वे उनके कलाकार पुत्र द्वारा निर्मित एक चर्चित फिल्म के उद्घाटन किए जाने के सिलसिले में कुछ अर्से से सपरिवार मुंबई में ही थे।
अब्दुल रशीद खान "आज़ाद " कोटा,बूंदी और झालावाड़ जिलों में शिक्षा अधिकारी रहे थे। बेहद मिलनसार स्वभाव और गहरी साहित्यिक समझ रखने वाले," आज़ाद" साहब पिछले करीब तीस साल से हाड़ौती अंचल की शायद ही कोई हिन्दी _ उर्दू साहित्य की गोष्ठी/ महफ़िल रही हो,जिसमें डॉ. रौनक रशीद खान के साथ पूरे उत्साह के साथ उनकी उपस्थिति न रही हो. इंसानियत के हक में जब भी कोई दमदार रचना पढ़ी जाती अपनी धीमी सी मुस्कुराहट से वे इसकी ताईद करते थे।
उनके इस तरह हमारे बीच से चले जाना न केवल उनके परिवार अपितु वृहत् साहित्यिक _सांस्कृतिक परिवेश का अपूर्णीय नुकसान है। हम " विकल्प " जन सांस्कृतिक मंच और कोटा के साहित्यिक जगत की ओर से उनके निधन पर अपना गहरा शोक व्यक्त करते हुए विनम्र - श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।महेंद्र नेह
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