बेशक जहन्नुम घात में है (21)
सरकशों का (वही) ठिकाना है (22)
उसमें मुद्दतों पड़े झींकते रहेंगें (23)
न वहाँ ठन्डक का मज़ा चखेंगे और न खौलते हुए पानी (24)
और बहती हुयी पीप के सिवा कुछ पीने को मिलेगा (25)
(ये उनकी कारस्तानियों का) पूरा पूरा बदला है (26)
बेशक ये लोग आख़ेरत के हिसाब की उम्मीद ही न रखते थे (27)
और इन लोगो हमारी आयतों को बुरी तरह झुठलाया (28)
और हमने हर चीज़ को लिख कर मनज़बत कर रखा है (29)
तो अब तुम मज़ा चखो हमतो तुम पर अज़ाब ही बढ़ाते जाएँगे (30)
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