आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

11 नवंबर 2024

बेशक जहन्नुम घात में है

बेशक जहन्नुम घात में है (21)
सरकशों का (वही) ठिकाना है (22)
उसमें मुद्दतों पड़े झींकते रहेंगें (23)
न वहाँ ठन्डक का मज़ा चखेंगे और न खौलते हुए पानी (24)
और बहती हुयी पीप के सिवा कुछ पीने को मिलेगा (25)
(ये उनकी कारस्तानियों का) पूरा पूरा बदला है (26)
बेशक ये लोग आख़ेरत के हिसाब की उम्मीद ही न रखते थे (27)
और इन लोगो हमारी आयतों को बुरी तरह झुठलाया (28)
और हमने हर चीज़ को लिख कर मनज़बत कर रखा है (29)
तो अब तुम मज़ा चखो हमतो तुम पर अज़ाब ही बढ़ाते जाएँगे (30)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...