तो उसने (ग़फलत में) न (कलामे ख़ुदा की) तसदीक़ की न नमाज़ पढ़ी (31)
मगर झुठलाया और (ईमान से) मुँह फेरा (32)
अपने घर की तरफ़ इतराता हुआ चला (33)
अफ़सोस है तुझ पर फिर अफ़सोस है फिर तुफ़ है (34)
तुझ पर फिर तुफ़ है (35)
क्या इन्सान ये समझता है कि वह यूँ ही छोड़ दिया जाएगा (36)
क्या वह (इब्तेदन) मनी का एक क़तरा न था जो रहम में डाली जाती है (37)
फिर लोथड़ा हुआ फिर ख़ुदा ने उसे बनाया (38)
फिर उसे दुरूस्त किया फिर उसकी दो किस्में बनायीं (एक) मर्द और (एक) औरत (39)
क्या इस पर क़ादिर नहीं कि (क़यामत में) मुर्दों को जि़न्दा कर दे (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 नवंबर 2024
तो उसने (ग़फलत में) न (कलामे ख़ुदा की) तसदीक़ की न नमाज़ पढ़ी
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