बुज़ुर्ग लोग (फ़रिश्ते सब बातों को) लिखने वाले (केरामन क़ातेबीन) (11)
जो कुछ तुम करते हो वह सब जानते हैं (12)
बेषक नेको कार (बेहिश्त की) नेअमतों में होंगे (13)
और बदकार लोग यक़ीनन जहन्नुम में जज़ा के दिन (14)
उसी में झोंके जाएँगे (15)
और वह लोग उससे छुप न सकेंगे (16)
और तुम्हें क्या मालूम कि जज़ा का दिन क्या है (17)
फिर तुम्हें क्या मालूम कि जज़ा का दिन क्या चीज़ है (18)
उस दिन कोई शख़्स किसी शख़्स की भलाई न कर सकेगा और उस दिन हुक्म सिर्फ ख़ुदा ही का होगा (19)
सूरए अल इनफितार ख़त्म
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