10 वर्षों से ज्योति मित्र को मातृशोक, परंपरा अनुसार देहदान संपन्न
2. शाइन इंडिया के सहयोग से जयपुर में संपन्न हुआ 100 वर्षीया माताजी का देहदान
नेत्रदान
अंगदान और देहदान के लिए 13 वर्षों से कार्यरत संस्था शाइन इंडिया
फाउंडेशन के सक्रिय सदस्य और ज्योति मित्र,इंदिरा विहार निवासी राजेंद्र
जैन 'वया' (सेवानिवृत्त बैंक कर्मी यूको बैंक) की माता जी पानी बाई पत्नी
स्वर्गीय श्री नानालाल वया,का कल 100 वर्ष की उम्र में जयपुर में आकस्मिक
निधन हो गया ।
जैन धर्म में आस्था रखने वाली,अमूक
प्राणियों,वृक्षों, निर्बलों और असहाय लोगों के लिए हमेशा सेवा की भावना
रखने वाली, जैन गुरुओं की सेवा में रहने वाली पानी बाई 10 सालों से अपने
सुपुत्र राजेंद्र वया को शाइन इंडिया के नेत्रदान के कार्य से जुड़ा देखकर
काफी खुश होती थी,कि किसी तरह से बच्चों का मनुष्य जन्म सार्थक हो रहा है ।
माताजी
कभी नहीं चाहती थी कि,उनकी मृत्यु के बाद पशु पक्षियों के आश्रय को
अनावश्यक नष्ट किया जाये,पेड़ काटे जाये, इससे अच्छा है,मृत-शरीर का दान
किया जाये, जिससे निर्जीवों के घर का विनाश ना हो और अनावश्यक कीट पतंगों
की मृत्यु ना हो ।
राजेंद्र जी भी अपनी मां के सेवा कार्यों से
प्रेरित होकर समाज में काफी समय से,प्लास्टिक छुड़ाने,पर्यावरण बचाओ,जल
संरक्षण और नेत्रदान,देहदान के कार्य के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं
। माताजी अपने देवर शोभा चंद्र वया के देहदान से काफी प्रेरित थी,इसीलिए
उन्होंने अपना देना संकल्प पत्र शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ 8 वर्ष पूर्व
भर दिया था ।
अपना देहदान सुनिश्चित हो, इसलिए संकल्प पत्र भरने के
बाद अपने 4 बेटे डॉ विजय, एडवोकेट दलपत, डॉ ललित ,राजेंद्र, यशवंत और
पुत्री डॉ मधु सहित सभी नाती पोतों को भी इस बात की सूचना दे दी थी ।
कल
सुबह जब उनका निधन हुआ तो,तुरंत ही सभी रिश्तेदारों ने आपस में सहमति लेकर
,पानी बाई का देहदान जयपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में संपन्न
कराया । राजेंद्र ने पिछले 10 वर्षों में संस्था के साथ जुड़कर 1200 से
अधिक लोगों के नेत्रदान संकल्प पत्र, और 24 देहदान संकल्प पत्र भी भरवाएं
हैं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
25 नवंबर 2024
10 वर्षों से ज्योति मित्र को मातृशोक, परंपरा अनुसार देहदान संपन्न
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